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स्वच्छता सर्वेक्षण : ताला बंद शौचालयों से कैसे ओडीएफ होगा शहर

स्वच्छता सर्वेक्षण 2019 का आगाज हो चुका है, जिसमें कि देशभर के 4200 शहरों को शामिल किया गया है। पूरे देश में चार जनवरी से 31 जनवरी के बीच सभी शहरों में होने वाले इस सर्वेक्षण का मुख्?य उद्देश्?य शहरों को कचरा और खुले में शौच से मुक्?त कराने के प्रयास में व्?यापक स्?तर पर जन भागीदारी सुनिश्चित करना तथा समाज के सभी वर्ग के लोगों के लिए शहरों को जीने लायक बेहतर स्?थान बनाने के प्रति जागरूकता पैदा करना है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 07 Jan 2019 07:39 PM (IST)Updated: Mon, 07 Jan 2019 07:39 PM (IST)
स्वच्छता सर्वेक्षण : ताला बंद शौचालयों से कैसे ओडीएफ होगा शहर
स्वच्छता सर्वेक्षण : ताला बंद शौचालयों से कैसे ओडीएफ होगा शहर

संजय मग्गू, पलवल

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स्वच्छता सर्वेक्षण 2019 का आगाज हो चुका है, जिसमें देशभर के 4200 शहरों को शामिल किया गया है। पूरे देश में चार से 31 जनवरी के बीच सभी शहरों में होने वाले इस सर्वेक्षण का मुख्य उद्देश्य शहरों को कचरा और खुले में शौच से मुक्त कराने के प्रयास में व्यापक स्तर पर जन भागीदारी सुनिश्चित करना तथा समाज के सभी वर्ग के लोगों के लिए शहरों को जीने लायक बेहतर स्थान बनाने के प्रति जागरूकता पैदा करना है।

स्वच्छता सर्वेक्षण में मिलने वाले अंकों में खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) का विशेष योगदान है। पलवल शहर देश के 3323 ओडीएफ घोषित शहरों में शामिल है। स्वच्छता सर्वेक्षण में 5000 अंकों को चार श्रेणियों में बांटा गया है, जिसमें सभी श्रेणियों में 1250-1250 अंक निर्धारित किए गए हैं। खुले में शौचमुक्त पर पांच फीसद अंक रखे गए हैं, यानि 5000 में से 250 अंक।

इसके अलावा स्वच्छता एप में शहर में लगे शौचालयों को दर्शाने के 60 अंक अलग से हैं। जरूरी यह भी है कि सभी शौचालय साफ-सुथरी हालत में हों, लेकिन शहर के शौचालयों पर तो लंबे समय से ताले पड़े हैं। ऐसे में शहर को खुले में शौचमुक्त की कल्पना भी बेमानी है। यह है खुले में शौचमुक्त (ओडीएफ) में रैं¨कग का पैमाना :

स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम) में ओडीएफ की रैं¨कग में बदलाव किया गया है। इसके तहत सर्वेक्षण में ओडीएफ घोषित करने व उसको परिणामित करने में ओडीएफ का कड़ाई से पालन किया जा रहा है। इसके तहत शहर में शौचालयों की संख्या के बदले उनकी स्थिति तथा उनके परिणामों की निगरानी की जा रही है। एसबीएम ओडीएफ प्लस व एसबीएम ओडीएफ प्लस-प्लस प्रोटोकाल में विभिन्न पहलुओं को शामिल किया गया है।

मसलन अलग-अलग प्रोटोकाल में सामुदायिक शौचालय का रखरखाव, सेप्टेज का बेहतर प्रबंधन, शौचालय के उपयोग को ध्यान में रखते हुए उनकी कार्यक्षमता, सफाई व जल प्रबंधन सहित कई ¨बदु शामिल हैं। यदि इस गहनता से सर्वेक्षण हुआ तो शहर की स्थिति पहले के स्थान पर भी नहीं रह सकती है। नगर परिषद जिसके जिम्मे शहर की व्यवस्था संभालना है, वही फजीहत कराने पर तुली है। लाखों रुपये खर्च कर लगो गए शौचालय भी बदतर हालत में है। जिले का आला अधिकारियों को इस तरफ ध्यान देना चाहिए।

- दीपक मित्तल, सामाजिक कार्यकर्ता स्वच्छता सर्वेक्षण में शहर को अच्छी रैं¨कग मिले, इसके प्रयास किए जा रहे हैं। शहर में शौचालयों की क्या स्थिति है, इस पर विस्तृत रिपोर्ट मंगाई जाएगी। यदि किसी स्तर पर अनियमितता पाई गई तो कार्रवाई की जाएगी।

- आशिमा सांगवान, नगराधीश व शहरी मामलों की प्रभारी


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