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नंगला भीकू : एक गांव जो शहरों से भी न्यारा है

कॉमन इंट्रो एक जिले के रूप में पलवल वजूद में आया था वर्ष 2008 में। आज से 10 साल पहले बुनियादी सुवि

By JagranEdited By: Published: Thu, 21 Jun 2018 07:31 PM (IST)Updated: Thu, 21 Jun 2018 07:31 PM (IST)
नंगला भीकू : एक गांव जो शहरों से भी न्यारा है
नंगला भीकू : एक गांव जो शहरों से भी न्यारा है

कॉमन इंट्रो

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एक जिले के रूप में पलवल वजूद में आया था वर्ष 2008 में। आज से 10 साल पहले बुनियादी सुविधाओं से जूझने वाले 282 गांवों वाले पलवल जिले का नाम इसलिए हो रहा है क्योंकि इसके चार गांवों को सरकारी मशीनरी के सर्वे में 6 स्टार मिले हैं। ये 6 स्टार कैसे मिले, इसे जानने का प्रयास किया जागरण ने। जागरण संवाददाता ने गुरुवार को कई घंटे नंगला भीकू गांव में व्यतीत किये। लोगों से मिले। उनकी जरूरतों पर बात की। उपलब्ध संसाधनों पर चर्चा की। इच्छाशक्ति देखी, समझी। इस रिपोर्ट से आप समझ सकेंगे कि नई दिल्ली से 52 किलोमीटर दूर अवस्थित एक अनाम-सा गांव आज क्योंकर सुर्खियों में है। पेश है जागरण संवाददाता संजीव मंगला की रिपोर्ट..

करीब दो हजार की आबादी वाला नंगला भीकू वह गांव है, जो स्टार रैंकिंग में प्रदेश में छह स्टार लेकर पहले नंबर पर रहा है। विकास, समरसता, भाईचारा, स्वच्छता, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, अपराध मुक्त गांव जैसी परिकल्पनाओं के आधार पर इस गांव का चयन हुआ है। विकास के मामले में महानगरों का मुकाबला करने वाले इस गांव में अभी भी विकास की काफी गुंजाइश है हालांकि, अभी पंचायत का ढाई साल का कार्यकाल शेष है।

गांव में करीब एक हजार मतदाता हैं। तेवतिया गौत्र के जाटों का इस गांव में बाहुल्य है। हालांकि गांव में दलित, पिछड़े व ब्राह्मण वर्ग के लोग भी हैं। गांव के 32 वर्षीय सरपंच राजेंद्र ¨सह स्नातक हैं। उनके दादा मुंशी राम भी कई बार सरपंच रहे। राजेंद्र ¨सह तब चर्चा में आए थे, जब उनकी सगाई में मिली राशि उन्होंने गांव के स्कूल को दे दी थी। स्वभाव से व्यवस्था विरोधी राजेंद्र ¨सह सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे तथा स्वामी रामदेव के आंदोलन में सक्रिय रहे हैं।

गांव के मुख्य चौराहे पर लगे हैं कैमरे

आप गांव में जैसे ही प्रवेश करेंगे, स्वागत द्वार आपका अभिनंदन करेगा। गांव के मुख्य चौराहे पर मार्ग दर्शक बोर्ड व सीसीटीवी लगे हैं। बीच चौराहे पर फव्वारा लगा है। हालांकि चौराहे के पास ही एक घर से निकला गंदा पानी सड़क पर बह रहा है। सड़क भी चमाचम बनी हुई है। स्कूली बच्चों के बैठने के लिए अलग स्थान बना है तो लोगों के बैठने के लिए पत्थर की बेंच लगी हुई हैं। आसपास काफी पौधे भी रोपे गए हैं, जिनमें नियमित पानी दिया जाता है। गांव में तीन स्वागत द्वार बने हैं।

ईमानदारी से काम करते हैं सरपंच

सरपंच राजेंद्र ¨सह तेवतिया के काम की प्रशंसा करने वाले काफी लोग हैं तो उनके खिलाफ भी कम लोग नहीं है। वैसे यह सभी का मानना है कि सरपंच पूरी ईमानदारी से काम काम कर रहे हैं। सुबह से शाम तक पंचायती कामों में ही लगे रहते हैं। उनका यह भी कहना है कि विकास समान रूप से नहीं हुआ है। भुरजा रोड वाले क्षेत्र में काम नहीं हुआ है। वहां आज भी लोग खुले में शौच जाते हैं। सफाई भी नहीं होती है। गांव के किनारे कूड़ा भी पड़ा रहता है।

गांव में आगे जाने पर एक दूसरे चौराहे पर कुरुक्षेत्र के ब्रह्म सरोवर की तर्ज पर अर्जुन को श्रीकृष्ण द्वारा गीता का उपदेश देने की प्रतिमा गढ़ी जा रही है। गांव के तालाब की हदबंदी कर दी गई है। पूरे गांव में सौर ऊर्जा से जलने वाली 40 स्ट्रीट लगाई गई हैं। 42 अवैध कब्जे हटवाए गए हैं। मुक्त हुए इन स्थानों पर छह पार्क शहीदों के नाम पर बनाए जाएंगे। इसके अलावा पांच अन्य पार्क भी बनाए जाएंगे।

आधुनिक चौपाल

गांव की महर्षि बाल्मीकि व डॉ.आंबेडकर चौपाल आधुनिक तरीके से बनी हुई हैं। इनमें एलईडी से लेकर सोफा तथा शौचालय का समुचित प्रबंध है। गांव की आंगनबाड़ी देखने-दिखाने लायक है तो सरकारी स्कूल किसी नामी पब्लिक स्कूल से कम नजर नहीं आता। स्कूल में पौधे, स्ट्रीट लाइट, फर्श, रास्ते, कंप्यूटर कक्ष, सीसीटीवी, प्रोजेक्टर, आरओ के पानी की व्यवस्था है। नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नाम पर शानदार सचिवालय कम चौपाल-सह-अतिथि भवन का निर्माण जारी है। गांव में पंचायत की तरफ से नि:शुल्क वाई-फाई सुविधा उपलब्ध है। इसके लिए एयरटेल कंपनी का टावर लगा हुआ है। तीन एकड़ में शानदार व्यायामशाला बनाई गई है। गांव की नालियां कवर्ड करा दी गई हैं। सीवरेज की भी व्यवस्था की गई है।

कोई नहीं जाता थाने

गांव में कोई डिस्पेंसरी नहीं है, जिसकी काफी आवश्यकता लोग महसूस करते हैं। हालांकि टीकाकरण शत-प्रतिशत करा दिया गया है। गांव का हर बच्चा स्कूल जाता है। शमशान घाट भी आधुनिक बना दिया गया है। पंचायत ने करीब 2500 पेड़ लगाए हैं, जिनमें से आधे मर भी चुके हैं। हाईटेंशन तारें हटवा दी गई हैं। गांव के विवाद गांव में ही सुलझा दिए जाते हैं। थाने-चौकी कोई नहीं जाता। हालांकि शाम के समय शराबियों का आतंक बरकरार है। पंचायत की जमीन को समतल करा दिया गया है। गांव का पानी पीने योग्य नहीं है। गांव में पेयजल का अभाव रहता है। पब्लिक ओपिनियन

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गांव के तालाब में पानी नहीं है। पशु प्यासे मरते हैं। भुर्जा वाले रास्ते में लोग खुले में शौच जाते हैं। गांव में समान विकास नहीं हुआ है। सरपंच पूरी तरह से ईमानदार है, परंतु उन्हें पूरे गांव में विकास कराना चाहिए। देह शामलात की जमीन में पांच खाद गड्ढे बने हैं, वे हटने चाहिए।

- नाहर ¨सह गांव में ठोक कर विकास हो रहा है। सभी खुश हैं। जो खिलाफ चुनाव लड़े हैं, वे नहीं चाहते कि गांव का विकास हो। बढि़या काम चल रहा है।

- सुनील तेवतिया गांव का चहुंमुखी विकास हो रहा है। पूरे देश में गांव का नाम रोशन हो रहा है। सरपंच सब काम छोड़कर गांव को चमकाने में लगे हैं।

- देवेंद्र ¨सह काम तो बढि़या हो रहा है, परंतु सिकंदरपुर वाली साइड में लोग खुले में शौच करते हैं। उन पर पाबंदी होनी चाहिए।

- अमर ¨सह

हम नरक में रह रहे हैं। हमारे यहां सफाई नहीं होती। सरपंच पक्षपात बरतते हें। यह अच्छी बात नहीं।

- सुमन गांव का नाम हो रहा है। सरपंच ठीक-ठाक काम कर रहे हैं। सभी को सहयोग देना चाहिए।

- ब्रजपाल गांव में समान विकास नहीं है। कहीं ज्यादा सफाई है तो कहीं कम सफाई है। एक जैसी सफाई होनी चाहिए।

- राज तेवतिया मेरी पेंशन आज तक नहीं बंधी है। सरपंच वादा करते है, परंतु पेंशन नहीं बंधवाते।

- रामवती अच्छा काम होगा तो अच्छा कहा जाएगा। बुरा काम होगा तो बुरा कहा जाएगा। ठीक काम हो रहा है।

- रोशनी गांव में अच्छे विकास कार्य चल रहे हैं। जहां देखो वहीं विकास के काम चल रहे हैं। दलित बाहुल्य क्षेत्र में रास्ते बनने चाहिए। गरीबों को मकान भी मिलने चाहिए।

- कल्याण नंबरदार बीपीएल कालोनी के रास्ते कच्चे हैं। पानी की भी समस्या है। इन्हें ठीक कराया जाएगा।

- सुरेश पंच गांव में सभी वर्गों के लिए हर मोहल्ले में काम हुआ है। इसलिए नंगला भीकू पंचायत का नाम हो रहा है।

- जय ¨सह अभी आधा काम हुआ है। सरपंच मेहनती व ईमानदार हैं। तराई भी खुद करते हैं। बाकी कार्यकाल में गांव पूरी तरह चमक जाएगा।

- अजीत ¨सह सरपंच राजेंद्र ¨सह खुद भी सफाई कर्मचारी के साथ लगे रहते हैं। युवाओं को उसका सहयोग करना चाहिए।

- करण ¨सह क्या कहते हैं सरपंच

ग्राम पंचायत की आमदनी न के बराबर है। दो साल में पंचायत भूमि का पट्टा उठता है, जिससे केवल 11 लाख रुपये की आमदनी होती है। मैंने सरपंच का चुनाव लड़ते समय यह संकल्प लिया था कि अब पांच साल गांव का विकास करना है। गांव का नाम देश स्तर पर ऊंचा करना है। आधे कार्यकाल में विकास कार्यों की लंबी फेहरिस्त है। हल्का विधायक टेकचंद शर्मा तथा जिला प्रशासन पूरा सहयोग करता है। गांव की पार्टीबाजी से ऊपर उठकर मैंने पंचायत सदस्यों तथा लोगों के सहयोग से करोड़ों रुपये के विकास कार्य कराए हैं। मैं गांव को कृषि हब के रूप में भी विकसित करना चाहता हूं। 10 एकड़ में अवैध कब्जे हटवाए गए हैं। गांव में पंचायती आरओ प्लांट लगाने की योजना है। मुट्ठी भर लोगों को विकास नहीं पच रहा है। वे रास्तों में पशु बांध देते हैं। जान बूझकर कचरा सड़क किनारे डालते हैं, जबकि पूरे गांव में डस्टबिन रखे हैं। पंचायत के पास केवल एक सफाई कर्मचारी है। खाद के गड्ढे पक्के बनाने की योजना है। गांव की सूखी जोहड़ को सरोवर बनाने की योजना पर काम चल रहा है। फिर यह एक पिकनिक स्पॉट के रूप में विकसित हो जाएगा। गांव डेढ करोड़ रुपये की लागत से बूस्टर भी लगेगा। सभी सड़कें पक्की होंगी तथा जिस छोटे से क्षेत्र में काम नहीं हुआ है, वहां भी रिकार्ड काम होगा। पिछले दिनों ग्राम पंचायत को राष्ट्रीय स्तर पर दीनदयाल उपाध्याय सशक्तिकरण पुरस्कार भी मिला। भ्रष्टाचार के खिलाफ भी पंचायत सम्मानित हुई है। सुपर ग्राम चैलेंज प्रतियोगिता भी गांव ने जीती है। ढाई साल बाद नंगला भीकू गांव देश का नंबर वन गांव होगा। मैंने आज तक पंचायत के काम के बदले कभी किसी अधिकारी को सुविधा शुल्क नहीं दिया। मैं पूरी तरह हरियाणा पंचायती अधिनियम के तहत कार्य कर रहा हूं। लोगों की मदद से मैंने गांव के मंदिरों का भी जीर्णोद्धार कराया है।

- राजेंद्र ¨सह तेवतिया, सरपंच


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