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पांडूवन को सरकार की नजरें इनायत होने का इंतजार

ब्रज के प्रमुख वनों में शुमार होडल का पांडू वन जिसे पांडव वन भी कहा जाता है, अपना प्राचीन स्वरूप खोता जा रहा है। एतिहासिक विरासतों में शामिल यह स्थल उपेक्षा के कारण यह अब खंडहर के रूप में परिवर्तित हो रहा है। पांडुवन को एतिहासिकता को देखते हुए सरकार व प्रशासन ने भी इसका चित्र लघु सचिवालय में प्रदर्शित किया हुआ है, जिसके चलते लोग इस दर्शनीय स्थल पर जाते भी हैं, लेकिन वहां व्याप्त समस्याओं के चलते निराश ही होते हैं। यह अब गंदगी का घर बनने लगा है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 11 Dec 2018 03:34 PM (IST)Updated: Tue, 11 Dec 2018 03:34 PM (IST)
पांडूवन को सरकार की नजरें इनायत होने का इंतजार
पांडूवन को सरकार की नजरें इनायत होने का इंतजार

- कई घोषणाओं के बावजूद किसी में नहीं आया कोई बदलाव

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- लघु सचिवालय में लगा है पांडूवन का चित्र, देखने जाने वाले लोगों को मिलती है निराशा

संजय मग्गू, पलवल

ब्रज के प्रमुख वनों में शुमार होडल का पांडू वन जिसे पांडव वन भी कहा जाता है, अपना प्राचीन स्वरूप खोता जा रहा है। ऐतिहासिक विरासतों में शामिल यह स्थल उपेक्षा के कारण अब खंडहर के रूप में परिवर्तित हो रहा है। पांडूवन की ऐतिहासिकता को देखते हुए सरकार व प्रशासन ने भी इसका चित्र लघु सचिवालय में प्रदर्शित किया हुआ है, जिसके चलते लोग इस दर्शनीय स्थल पर जाते भी हैं, लेकिन वहां व्याप्त समस्याओं के चलते निराश ही होते हैं। यह अब गंदगी का घर बनने लगा है।

वन में भी अब पेड़ लगातार कम हो रहे हैं। तालाब सूख चुका है तथा इसमें पानी की जगह गंदगी नजर आती है तथा यहां विहार करने वाले बंदर भी प्यासे घूमते हैं। पांडू वन में एक गुफा भी है, जिसके बारे में अनेक बातें इस क्षेत्र में प्रचलित हैं। कहते हैं कि गुफा में एक सुरंग भी है। मंदिर में बना तालाब अपनी प्राचीनता खो रहा है। इस तरफ किसी का ध्यान नहीं है।

पांडव वन में हनुमान जी, मां सरस्वती व राधा-कृष्ण की प्राचीन प्रतिमाएं हैं जिनके दर्शन करने भी लोग आते हैं। ऐतिहासिक धरोहर की दुर्दशा का एक कारण यह भी है कि इसकी देखरेख के लिए कोई कमेटी नहीं बनी है। कुल मिलाकर पांडव वन की दशा बेहद खराब नजर आती है।

किंदवंतियों के अनुसार पांडव अपने अज्ञातवास के दौरान कुछ समय के लिए यहां घने जंगल में भी ठहरे थे। योगीराज श्रीकृष्ण भी उनसे मिलने आए थे। इसे कभी हाहावन भी कहा जाता था। वन में स्थित डूंगर व कनेर के वृक्ष काफी संख्या में थे, जो अब न के बराबर हैं। देख रेख के अभाव में ये भी आने वाले दिनों में नष्ट हो सकते हैं। पहले यहां कई किस्म के जंगली जानवर भी थे, जिनमें से अब बंदर व खरगोश ही नजर आते हैं। वैसे तो जिला लघु सचिवालय में प्रवेश करते ही पांडू वन का चित्र नजर आता है। इसे देखकर लोगों में इसे देखने की इच्छा होती है, परंतु यहां आकर उन्हें भी पता चलता है कि इसकी परवाह राजनेताओं व स्थानीय प्रभावशाली लोगों को नहीं है। इस वन के बारे में सरकार को सोचना चाहिए तथा इसकी प्राचीनता व महत्व को बरकरार रखना चाहिए।

- जय ¨सह राबिया, पूर्व चेयरमैन मुख्यमंत्री ने होडल की ऐतिहासिक धरोहरों के लिए कई घोषणाएं की थीं, जो कि पाइपलाइन में हैं। पांडूवन में व्याप्त समस्याओं को भी मुख्यमंत्री जी के संज्ञान में लाकर समाधान कराया जाएगा।

- रामरतन, पूर्व विधायक होडल


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