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दिल्ली से लापता युवक को परिजनों को सौंपा

दिल्ली के शहादरा से लापता हुई एक 30 वर्षीय युवक को गांव दुर्गापुर निवासी प्रेमचंद ने उसके बिछड़े परिजनों से मिला दिया। मां की मौत के बाद युवक का मानसिक संतुलन बिगड़ गया था, जिससे वह नवंबर 2017 से घर लापता होकर इधर-उधर भटक रहा था। प्रेमचंद ने युवक का नूंह स्थित हसन खान मेवाती मेडिकल कालेज में उपचार करवाया। पांच दिन बाद स्थित में सुधार होने पर युवक ने अपना पता बताया। जिसके बाद पुलिस की मदद से उसे उसके घर पहुंचाया गया।

By JagranEdited By: Published: Sun, 20 Jan 2019 07:01 PM (IST)Updated: Sun, 20 Jan 2019 07:01 PM (IST)
दिल्ली से लापता युवक को परिजनों को सौंपा
दिल्ली से लापता युवक को परिजनों को सौंपा

जागरण संवाददाता, पलवल : दिल्ली के शाहदरा से लापता 30 वर्षीय युवक को गांव दुर्गापुर निवासी प्रेमचंद ने उसके बिछड़े परिजनों से मिला दिया। मां की मौत के बाद युवक का मानसिक संतुलन बिगड़ गया था, जिससे वह नवंबर 2017 से घर लापता हो गया था। अब प्रेमचंद ने युवक का नूंह स्थित हसन खान मेवाती मेडिकल कालेज में उपचार करवाया। पांच दिन बाद स्थित में सुधार होने पर युवक ने अपना पता बताया। जिसके बाद पुलिस की मदद से उसे उसके घर पहुंचाया गया।

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प्रेमचंद के अनुसार दिल्ली के शाहदरा स्थित मीत नगर की 25 फुटा रोड गली नंबर एक के मकान ए-424 निवासी प्रदीप कुमार मूल रूप से उप्र के जिला आजमगढ़ की तहसील फूलपुर के गांव बिडहर का निवासी है।

प्रेमचंद ने बताया कि छह दिन पहले उसने प्रदीप को ठंड में ठिठुरते देखा। उसके पैर सूजे हुए थे, टखने पर गहरा जख्म था, मैले-कुचैले कपड़े पहने हुए थे तथा नाक से खून टपक रहा। प्रेमचंद ने पांच दिन तक प्रदीप का अस्पताल में इलाज करवाया।

प्रेमचंद ने इंटरनेट के माध्यम से नंबर निकालकर आजमगढ के अहरौला थाना प्रभारी अयोध्या तिवारी के मोबाइल पर बात की। एसएचओ ने बिडहर गांव के प्रधान भक्कल यादव को बुलाया और लापता प्रदीप के बारे में बताया। प्रधान भक्कल यादव ने प्रदीप के चचेरे भाई मंदीप को जब इस बारे में बताया तो उन्होंने दिल्ली में परिजनों से बात की। दिल्ली से शुक्रवार की शाम प्रवीन, संदीप, श्यामलाल और रामप्रसिद्ध ने प्रदीप को देखा तो उनकी आंखों में आंसू आ गए। परिजनों ने बताया कि मां की मौत के बाद प्रदीप घर से निकल गया था। काफी तलाश करने पर भी उसका कोई सुराग नहीं लगा। प्रेमचंद के फोन करने पर पहले तो उन्हें विश्वास नहीं हुआ लेकिन बाद मे प्रेमचंद द्वारा फोटो भेजने पर वे तुरंत अपने भाई को लेने आ गए।


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