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जागरण विशेष : पलवल में भी लहलहाएंगे देवलोक के कल्पतरु

देवलोक का वृक्ष माने जाने वाला कल्पवृक्ष अब पलवल क्षेत्र में भी नजर आएगा। जिले के धार्मिक व सार्वजनिक क्षेत्रों में लगाने के लिए कल्पवृक्ष के 10 पौधे कोलकाता से मंगवाए गए हैं। इनमें से आठ पौधे पचोवन हनुमान मंदिर, श्रीब्रज चौरासी परिक्रमा मार्ग में पड़ने वाले सोंदहद, बंचारी, खांबी के मंदिरों, अधिकारी कालोनी, लघु सचिवालय, राजस्व कालोनी में लगाए गए हैं। दो पौधे प्रशासन ने रिजर्व रखे हुए हैं। ये पौधे लोगों की मांग पर प्रदान किए जाएंगे।

By JagranEdited By: Published: Sat, 25 Aug 2018 03:39 PM (IST)Updated: Sat, 25 Aug 2018 03:39 PM (IST)
जागरण विशेष : पलवल में भी लहलहाएंगे देवलोक के कल्पतरु
जागरण विशेष : पलवल में भी लहलहाएंगे देवलोक के कल्पतरु

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संजीव मंगला, पलवल

देवलोक का वृक्ष माने जाने वाला कल्पवृक्ष अब पलवल क्षेत्र में भी नजर आएगा। जिले के धार्मिक व सार्वजनिक क्षेत्रों में लगाने के लिए कल्पवृक्ष के 10 पौधे कोलकाता से मंगवाए गए हैं। इनमें से आठ पौधे पचोवन हनुमान मंदिर, श्रीब्रज चौरासी परिक्रमा मार्ग में पड़ने वाले सोंदहद, बंचारी, खांबी के मंदिरों, अधिकारी कालोनी, लघु सचिवालय व राजस्व कालोनी में लगाए गए हैं। दो पौधे प्रशासन ने सुरक्षित रखे हुए हैं। ये पौधे लोगों की मांग पर प्रदान किए जाएंगे।

कल्पवृक्ष के ये पौधे कोलकाता से शुक्रवार रात को ही पहुंचे थे तथा जिम्मेदार अधिकारियों को इन्हें रोपने की हिदायत दी गई थी। शनिवार की सुबह ही आठ पौधे रोप दिए गए। ये दुर्लभ पौधे हर स्थान पर नहीं मिलते।

कल्पवृक्ष को कल्पद्रुप, कल्पतरु, सुरतरु देवतरु तथा कल्पलता इत्यादि नामों से भी जाना जाता है। पुराणों के अनुसार समुद्रमंथन से प्राप्त 14 रत्नों में कल्पवृक्ष भी था। यह इंद्र को दे दिया गया था और इंद्र ने इसकी स्थापना सुर कानन में कर दी थी। ¨हदुओं के एक वर्ग का विश्वास है कि कल्पवृक्ष से जिस वस्तु की भी याचना की जाए, वही यह दे देता है। इसका नाश कल्पांत तक नहीं होता। वहीं ¨हदुओं का एक अन्य वर्ग इन बातों पर विश्वास नहीं करता। पलवल के समाजसेवियों और भक्तजनों के उत्साह और समर्पण को देखते हुए जिला प्रशासन ने कोलकाता से सर्व मनोकामना पूर्णकर्ता देव दुर्लभ माने जाने वाले कल्पवृक्ष के 10 पौधे मंगवाए हैं। इनमें से आठ लगाए जा चुके हैं। दो पौधे अच्छी जगहों पर लगाए जाएंगे। यह पेड़ न केवल धार्मिक ²ष्टिकोण व स्वास्थ्य कारणों से, अपितु पर्यावरण के लिए भी अत्यंत उपयोगी है।

- डॉ. मनीराम शर्मा, जिला उपायुक्त


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