-हादसों से सबक लेने की जरूरत
-------------- अनिल बेताब, फरीदाबाद जहां तक हो मुमकिन वफा कीजिए, मगर हादसों से सबक
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अनिल बेताब, फरीदाबाद
जहां तक हो मुमकिन वफा कीजिए, मगर हादसों से सबक लीजिए।
पिछले वर्षों में जिन लोगों पर दिवाली भारी पड़ी, यानी जो लोग पटाखे फोड़ने से झुलस गए, उन लोगों ने दोबारा पटाखे न फोड़ने का संकल्प अब तक जारी रखा है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ भी कहते हैं कि पटाखों से दूरी बनाए रखना ही बेहतर है। पटाखे फोड़ने से निकलने वाले प्रदूषक तत्व आंखों व त्वचा को नुकसान पहुंचाते हैं। वहीं पर्यावरण के लिए भी खतरा है। पिछले कई वर्षों में पटाखों से बहुत से लोग झुलसे थे। पिछले
वर्षों में बम, अनार जलाते समय बुरी तरह झुलस गए कई लोगों को अस्पताल तक आना पड़ा था।
पटाखे फोड़ने से अधिक संख्या में बच्चे झुलसे थे। स्वास्थ्य विभाग के रिकार्ड के मुताबिक गत वर्ष बादशाह खान अस्पताल में पटाखों से झुलस जाने पर इलाज को दर्जनों लोग आए तो शहर के प्रसिद्ध प्लास्टिक सर्जन डा.अक्षत नैय्यर के एनआइटी पांच के अस्पताल में भी कई लोग इलाज के लिए आए थे, जिन्हें कई दिन अस्पताल में भर्ती रहना पड़ा था।
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आते रहे हैं अनार से झुलसने के मामले
मेरे यहां दिवाली पर हर वर्ष करीब सौ लोग पटाखों से झुलसने पर इलाज को आते हैं।
इनमें बच्चों की संख्या अधिक होती है। अधिकांश मामले हाथ में अनार जलाने से झुलसने के होते हैं। इनमें
50 फीसद से ज्यादा मरीजों को कई दिन तक भर्ती होकर इलाज कराना पड़ता है।
-डॉ. अक्षैत नैय्यर, प्लास्टिक सर्जन।
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लिया सबक, पटाखों से की तौबा
दो वर्ष पहले अनार जलाते हुए मेरा एक हाथ झुलस गया था। मैंने तब से पटाखे न फोड़ने का पक्का इरादा कर लिया था। मैंने अपने दोस्तों को भी पटाखों से दूर रहने की सलाह दी है। मैंने तो पटाखों से तौबा कर ली है।
-हन्नी बक्शी, सेक्टर 23 निवासी।
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सूती कपड़े पहने
-दिवाली पर सूती एवं टाइट कपड़े ही पहने।
-नायलॉन एवं ढीले-ढाले कपड़ों के प्रयोग से बचें।
-स्किन पर मॉइस्चराइ¨जग लोशन का इस्तेमाल करना फायदेमंद होता है।
-त्योहारों के इन दिनों में पानी का अधिक सेवन स्किन एवं बालों के लिए लाभदायक होता है।
-डॉ. श्रुति कोहली, त्वचा रोग विशेषज्ञ।
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आंखों की सुरक्षा जरूरी
-बहुत से लोग कूड़ा एकत्र करके जला देते हैं।
-ऐसे में वातावरण प्रदूषित होता है। पटाखों का धुआं हो या
अन्य किसी चीज का आंखों को नुकसान पहुंचा सकता है।
-अगर दिवाली के समय रंगोली बना रहे हैं तो रंगोली बनाने के बाद हाथों को अच्छे से धो लें।
-डॉ. जयद्रथ कुमार, वरिष्ठ नेत्र रोग विषेशज्ञ, सर्वोदय अस्पताल।
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दमा रोगी रखें अपना खास ख्याल
-दिवाली के समय सिर्फ पटाखों की आग से ही खतरा नही है, बल्कि उसके जलाने से निकलने वाला धुंआ
भी खतरनाक होता है।
-कई प्रकार की विषैली गैसें जैसे सल्फर डाईआक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड भी हवा मे मिल जाती है।
-पटाखों के धुंए से दमा के मरीज को अधिक सचेत रहना चाहिए।
-प्रदूषक तत्व फेफड़े की समस्या को और भी गंभीर कर देते है।
-दमा का दौरा पड़ने का खतरा भी बढ़ जाता है। इसलिए दिवाली के समय रोगियों को
आतिशबाजी दूर से ही रहना चाहिए।
-डॉ. मनीषा मेहंदीरत्ता, सांस रोग विशेषज्ञ, सर्वोदय अस्पताल।
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हृदय का भी रखें ख्याल
-दिवाली पर पटाखों से होने वाला ध्वनि प्रदूषण दिल के रोगियों को परेशान कर सकता है।
-अचानक से होने वाले धमाके की आवाज से रक्तचाप बढ़ सकता है, खासकर उन लोगों में जो
पहले से ही उच्च रक्तचाप से पीड़ित हैं।
-यह अंतत: स्ट्रोक के खतरे को बढ़ा सकता है।
-दिल का दौरा झेल चुके लोगों में पटाखों के शोर से सीने में दर्द हो सकता है, जिसके कारण फिर से दिल का
दौरा भी पड़ सकता है।
-डॉ. संजय कुमार, विभाग प्रमुख, फोर्टिस एस्कोर्ट्स अस्पताल।