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कटआउट न्यूज---बहुओं के लिए दूसरे क्षेत्रों की तरफ करना पड़ेगा रुख

जिले के कुछ गांव में ¨लगानुपात अगर इसी तरह घटता रहा तो बहुओं के लिए लोगों को दूसरे प्रदेशों की तरफ रुख करना पड़ेगा। स्वास्थ्य विभाग के आंकडे़ काफी चौकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। ¨लगानुपात के मामले में हथीन खंड का कोंडल गांव अव्वल है तो होडल खंड का डाडका गांव सबसे फिसड्डी। पलवल जिला अन्य जिलों की तुलना में काफी पीछे बताया गया है। जिले में एक हजार लड़कों पर करीब 900 से भी कम लड़कियां आ रही हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 08 Oct 2018 07:28 PM (IST)Updated: Mon, 08 Oct 2018 07:28 PM (IST)
कटआउट न्यूज---बहुओं के लिए दूसरे क्षेत्रों की तरफ करना पड़ेगा रुख
कटआउट न्यूज---बहुओं के लिए दूसरे क्षेत्रों की तरफ करना पड़ेगा रुख

- ¨लगानुपात में कोंडल अव्वल, डाडका गांव फिसड्डी

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मोहम्मद हारून, पलवल : जिले के कुछ गांव में ¨लगानुपात अगर इसी तरह घटता रहा तो बहुओं के लिए लोगों को दूसरे प्रदेशों की तरफ रुख करना पड़ेगा। स्वास्थ्य विभाग के आंकडे़ काफी चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। ¨लगानुपात के मामले में हथीन खंड का कोंडल गांव अव्वल है तो होडल खंड का डाडका गांव सबसे फिसड्डी। पलवल जिला अन्य जिलों की तुलना में काफी पीछे बताया गया है। जिले में एक हजार लड़कों पर करीब 900 से भी कम लड़कियां आ रही हैं।

विभाग के आंकड़ों के अनुसार कोंडल गांव में एक हजार लड़कों पर 1391 लड़कियां है वहीं डाडका गांव में एक हजार लड़कों पर मात्र 459 लड़कियां है। यहां पर लड़कियों का औसत 50 प्रतिशत भी कम है। आंकड़ों के मुताबिक एक हजार लड़कों पर मांदकोल में 500, सिहौल में 552, दुधौला 595, गदपुरी गांव में 600 लड़कियां हैं। इसके अलावा इस्लाबाद में एक हजार लड़कों पर 667 लड़कियां, रूंधी में 684, नंगला मोहरूका 735, भीमसीका 741, पेलक 560, रनसीका 667, बघौला 774 में लड़कियां हैं।

गांव असावटी में लड़कियों का औसत 778 तथा शहर हथीन का औसत भी कम है। हथीन में एक हजार लड़कों पर 797 लड़कियां हैं। खास बात यह है कि जहां पर लड़कियों की संख्या औसतन 50 प्रतिशत के आस पास है, ये इलाके शहर क्षेत्रों से स्टे हुए गांव हैं। विभाग के अधिकारिक सूत्र कहते हैं कि कुछ लोग चोरी छिपे अभी भी प्रतिबंधित संसाधनों का प्रयोग करते हैं, इसलिए लड़कियों की संख्या में गिरावट दर्ज की जा रही है। हालांकि लड़का लड़की एक समान का नारा सरकार दे रही है, लेकिन आंकड़ों से साफ जाहिर है कि लड़कियों की अभी भी भ्रूण हत्याएं हो रही हैं या फिर अनुचित संसाधन प्रयोग करके लड़कियों को दुनिया में आने से पहले की ठिकाने लगाया जा रहा है। ऐसे कई मामले भी सामने आए हैं कि नवजात लड़कियों को झाड़ियों में फेंका जा चुका है। इसका ताजा उदाहरण मलाई गांव का है। हालांकि कुछ गांव ऐसे भी हैं जहां पर लड़कियों की संख्या ज्यादा है। कोंडल के अलावा बासवां में 1370, मर्रोली में 1294, सौंध 1250, ¨भडूकी में 1210, घुडावली 1189, खाइका 1143, औरंगाबाद 1107, धतीर 1095, लिखी 1081, होडल 1076, कोट 1071, सिहा 1065, शमशाबाद 1043 उटावड 1037 लड़कियां हैं। विभाग अपनी तरफ से बार-बार भ्रूण हत्याओं पर अंकुश के लिए शिकायत मिलने छापेमारी करती रहती है। जागरूकता के लिए अभियान चलाए हुए हैं, आगे से इस पर ज्यादा ध्यान दिया जाएगा।

- डॉ. प्रदीप शर्मा, सिविल सर्जन पलवल


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