करवाचौथ : सुहागिनों ने की जमकर खरीदारी, बाजारों में रही रौनक
शनिवार के दिन बाजारों में महिलाओं ने जमकर खरीदारी की। कास्मेटिक से लेकर कपड़ों की दुकानों पर भारी भीड़ रही।
जागरण संवाददाता, पलवल: करवाचौथ का व्रत हर सुहागिन के लिए खास दिन होता है, जिसके लिए कई दिन पहले तैयारी शुरू हो जाती है। कोरोना महामारी के बाद अबकी बार बाजारों में करवाचौथ को लेकर चकाचौंध देखने को मिल रही है। रविवार को करवाचौथ का व्रत है और सुहागिनें सरगी खाने से पहले सोलह श्रृंगार करने की तैयारी में जुटी हुई हैं।
शनिवार के दिन बाजारों में महिलाओं ने जमकर खरीदारी की। कास्मेटिक से लेकर कपड़ों की दुकानों पर भारी भीड़ रही। बाजारों में मेहंदी लगाने वालों के पास महिलाएं लंबी लाइनों में इंतजार करती नजर आईं। दुकानदारों द्वारा भी करवाचौथ के पर्व को देखते हुए साड़ियों पर विशेष छूट दी जा रही है। जिले के व्यापारियों का मानना है कि अबकी बार करवाचौथ के पर अच्छा कारोबार होगा। उनका मानना है कि कोरोना काल में विगत दो साल से मिठाई, कपड़ा, आभूषण आदि का बाजार ठंडा रहा था।
पंडित ब्रह्मानंद शास्त्री बताते हैं कि व्रत रखने के लिए महिलाएं एक दिन पहले आधी रात के बाद सरगी खाती हैं। इसके बाद चंद्रोदय होने तक वह अन्न या जल ग्रहण नहीं करतीं हैं। मान्यताओं के अनुसार करवा चौथ का व्रत चांद और पति के चेहरे को छलनी से देखने के बाद ही खोला जाता है। बाजारों में रही रौनक
शहर के मुख्य बाजार, कैंप बाजार, गुप्तागंज, मीनारगेट, रेलवे रोड़ व सराय पुख्ता बाजार समेत ग्रामीण क्षेत्रों की दुकानों पर जमकर खरीदारी हुई। महिलाएं चुटकी, पायल, सिंदूर, चूडियां, सूट, साड़ी, मिठाई, करवा और पुरुषों द्वारा पत्नी को करवाचौथ पर दिए जाने वाले उपहार की जमकर खरीदारी हुई। विवाहिताएं विवाह के समय ही पति का हर कदम पर साथ देने का वचन लेती हैं। करवाचौथ उसी वचन को निभाने की ही एक तरीका है। इस दिन व्रत पर पति की लंबी आयु की दुआ की जाती है।
- अंशु थरेजा इस दिन सुहागिन निर्जला व्रत रखती हैं और रात में चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद अपना व्रत तोड़ती हैं। हमने काफी खरीदारी भी की है।
- नीलम दीक्षित, निवासी, गांव बाता सास को करवा पर उपहार देने का प्रचलन है, जिसे बायना कहते हैं। महिलाएं बायना में मिठाई के साथ सूट, साड़ी और नकद भेंट करती हैं। इसके लिए हमने सभी तैयारियां कर ली है।
- नंदनी हमनें पर्व से जुड़ी खरीदारी की है। मध्यम वर्गीय परिवार की सुहागिन महिला भी तीन से पांच हजार रुपये सामान पर खर्च करती हैं।
- निधि अरोड़ा