दिल्ली-बडोदरा राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण में आएगी तेजी
दिल्ली-बडोदरा राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण के लिए पलवल जिले में भूमि अधिग्रहण करने की प्रक्रिया में अब तेजी आने लगी है। राष्ट्रीय राज मार्ग प्राधिकरण के वरिष्ठ अधिकारी सीआर राणा ने इस संदर्भ में जिले के अधिकारियों की बैठक भी बुलाई तथा उन्हें आवश्यक निर्देश भी दिए। इस मसले पर केंद्रीय सड़क, परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय राजमार्ग के मध्य आने वाले पलवल जिले के गांवों की भूमि को अधिग्रहण करने के लिए नोटिस भी जारी कर चुका है तथा भूमि मालिकों से आपत्तियां मांग चुका है।
संवाद सहयोगी, पलवल : दिल्ली-बडोदरा राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण के लिए पलवल जिले में भूमि अधिग्रहण करने की प्रक्रिया में अब तेजी आने लगी है। राष्ट्रीय राज मार्ग प्राधिकरण के वरिष्ठ अधिकारी सीआर राणा ने इस संदर्भ में जिले के अधिकारियों की बैठक भी बुलाई तथा उन्हें आवश्यक निर्देश भी दिए। इस मसले पर केंद्रीय सड़क, परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय राजमार्ग के मध्य आने वाले पलवल जिले के गांवों की भूमि को अधिग्रहण करने के लिए नोटिस भी जारी कर चुका है तथा भूमि मालिकों से आपत्तियां मांग चुका है।
राणा ने निर्देश दिए कि आपत्तियों पर सुनवाई शीघ्र हो तथा अवार्ड पारित कर प्रभावित भू मालिकों को मुआवजा दे दिया जाए। जिले में दिल्ली-बडोदरा राजमार्ग के 21.3 किलोमीटर से 40.9 किलोमीटर तक के भूखंड का निर्माण होना है। जिले के गांव अकबरपुर नाटोल, बिघावली, चांदका, मीरका, रीवड़, पोंडरी व मंडकोल से यह राजमार्ग गुजरेगा। ये सभी गांव हथीन तहसील के हैं। इसके लिए इन गांवों की कुल 197 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया जाना है।
मंडकौला में 82.7691, रीवड में 14.8357, पोंडरी में 40.3299, अकबरपुर नाटोल में 11.39.57, बिघावली में 36.9284, चांदका में 2.5341 हेक्टेयर, तथा मीरका में 8.9501 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण होना है। यह कार्य पूरा हो जाने पर दिल्ली से मुंबई की दूरी कम हो जाएगी। दिल्ली से मुंबई तक कार का सफर 24 घंटे कर बजाय 12 घंटे में पूरा होगा। पलवल से यह सफर करीब एक घंटे और कम हो जाएगा।
यह राजमार्ग दिल्ली, गुरुग्राम, अलवर, दौसा, चित्तौड़गढ़, जयपुर, कोटा, सवाई माधोपुर, रतलाम, गोधरा और वडोदरा के नजदीक से होकर गुजरेगा। इस कारण पलवल से यह शहर भी नजदीक हो जाएंगे। इन शहरों को यहां से काफी संख्या में लोग जाते हैं। इस प्रोजेक्ट को पलवल व मेवात जैसे पिछड़े इलाकों के उत्थान के अवसर के तौर पर देखा जा रहा है।