कृषि सलाह : ग्रीन हाउस में टमाटर की खेती से हो रहे मालामाल
गांव अलावलपुर निवासी प्रगतिशील किसान ओमप्रकाश तेवतिया बताते हैं कि ग्रीन हाउस या नेट में टमाटर की खेती करके ज्यादा उत्पादन तथा खाद्यान्न फसलों के मुकाबले कई गुना लाभ कमा सकते हैं।
जागरण संवाददाता, पलवल: गांव अलावलपुर निवासी प्रगतिशील किसान ओमप्रकाश तेवतिया बताते हैं कि ग्रीन हाउस या नेट में टमाटर की खेती करके ज्यादा उत्पादन तथा खाद्यान्न फसलों के मुकाबले कई गुना लाभ कमा सकते हैं। खुद ग्रीन हाउस में खेती करने वाले तेवतिया ने रविवार को अपने खेत में किसान जागरूकता संगोष्ठी में कहा कि टमाटर की पूरे साल भारी मांग रहती है। टमाटर में कार्बोहाइड्रेट, विटामिन, कैल्शियम, आयरन तथा अन्य खनिज लवण भरपूर मात्रा में होते हैं। नेट में टमाटर उत्पादन की अपार संभावनाएं हैं।
गोष्ठी में कृषि विशेषज्ञ डा. महावीर मलिक ने कहा कि खुले वातावरण में उगाई गई टमाटर की फसल ग्रीनहाउस या नेट में उगाई गई फसल से कम पैदावार देती है। नेट में उगाई टमाटर ऊंचे तापमान व आदर्श आद्रता मिलती है। फसल का सर्दी व पाले से बचाव के साथ रोग व कीट प्रकोप भी कम होता है। अत: इस तकनीक में लागत कम तथा पैदावार ज्यादा मिलती है।
उन्होंने किसानों को बताया कि ग्रीन हाउस या नेट में बेलनुमा टमाटर की संकर किस्मे लगाई जाती हैं, जो लगातार बढ़ती रहती हैं तथा पौधों पर फल ज्यादा लगते हैं। नर्सरी में संकर टमाटर का लगभग 80 से 100 ग्राम बीज प्रति एकड़ लगता है। टमाटर की पौध पांच से छह सप्ताह में तैयार हो जाती है। पौध की रोपाई नेट में तीन फुट चौड़ी मेंड पर दोहरी लाइनों में 30 3 60 सेंटीमीटर की दूरी पर करके रोपाई के तुरंत बाद सूक्ष्म सिचाई ड्रिप द्वारा की जाती है। सिचाई बूंद-बूंद पद्धति से करने पर टमाटर उत्पादन व गुणवत्ता बढ़ती है तथा पानी की भी बचत होती है।
नेट में उगाई गई संकर टमाटर की ऊंचाई आठ से 10 फुट से अधिक हो जाती है, अत: पौधों को रस्सियों से सहारा देते रहते हैं। पौधों को रस्सियों के सहारे लपेटकर ऊपर की ओर चढ़ाया जाता हैं, ताकि टमाटर जमीन पर लगने से खराब न हो। अच्छी उपज के लिए खरपतवार निराई करके निकाल दें तथा खाद व उर्वरक मिट्टी जांच आधार पर देना चाहिए। उर्वरक टपका सिचाई विधि द्वारा पानी के साथ दिए जा सकते हैं।
प्रगतिशील सब्जी उत्पादक किसान ओमप्रकाश तेवतिया ने बताया कि संकर किस्म 4266 उन्होंने नेट में लगाई है तथा बूंद- बूंद सिचाई विधि से करते हैं। टमाटर में दीमक रोकथाम के लिए नीम की खली तथा अन्य की रोकथाम के लिए नीम के तेल वह ट्राइकोडरमा तथा ब्यीवेरिया, बेसियाना जैविक कीटनाशक का प्रयोग करके जैविक टमाटर उगाते हैं। उनका टमाटर मंडी में ऊंचे भाव बिकता है। किसानों को नेट में उगाई गई टमाटर की फसल भी दिखाई गई। गोष्ठी में कीर्तपाल, बलवीर, मुख्त्यार, मूलचंद, शिवसिंह, संतराम, देशराज, लीले, श्रीचंद, महेश, प्रेमपाल, रूद्रपाल, धनीराम मौजूद थे।