कृषि यंत्र खोलने की योजना नहीं चढ़ पा रही है सिरे
कृषि विभाग द्वारा जिले में कृषि यंत्र बैंक खोले जाने की योजना सिरे नहीं चढ़ पा रही हैं। प्रशासन द्वारा दस्तावेजों की जांच के बाद 25 किसान समूहों को यंत्र बैंक खोलने की अनुमति तो दी गई थी, परंतु सहकारी बैंकों में बजट नहीं है और निजी बैंक भूमि या प्रापर्टी को रहन रखे बिना ऋण देने को तैयार नहीं हैं। सबसे बड़ी बात है कि किसान समूहों के फाइल तैयार करवाने में ही सात-आठ हजार रुपये खर्च हो चुके हैं और अब वे ऋण के लिए कभी बैंक को कभी कृषि विभाग अधिकारियों के यहां मारे-मारे फिर रहे हैं।
- किसान समूहों को ऋण देने में आनाकानी कर रहे हैं बैंक
- फाइलों पर सात-आठ हजार रुपये खर्च कर चुके हैं किसान
- प्रशासन ने साक्षात्कार और दस्तावेजों की जांच के बाद निकाला था समूहों का ड्रॉ
सुरेंद्र चौहान, पलवल
कृषि विभाग द्वारा जिले में कृषि यंत्र बैंक खोले जाने की योजना सिरे नहीं चढ़ पा रही है। प्रशासन द्वारा दस्तावेजों की जांच के बाद 25 किसान समूहों को यंत्र बैंक खोलने की अनुमति तो दी गई थी, परंतु सहकारी बैंकों में बजट नहीं है और निजी बैंक भूमि या प्रापर्टी को रहन रखे बिना ऋण देने को तैयार नहीं हैं। सबसे बड़ी बात है कि किसान समूहों के फाइल तैयार करवाने में ही सात-आठ हजार रुपये खर्च हो चुके हैं और अब वे ऋण के लिए कभी बैंक को कभी कृषि विभाग अधिकारियों के यहां मारे-मारे फिर रहे हैं।
बता दें कि सरकार ने फसल अवशेष प्रबंधन योजना के तहत जिले में 25 कृषि यंत्र बैंक खोलने को मंजूरी दी थी। योजना के तहत फसल अवशेष जलाने पर रोक लगाने और उसे खेती में ही खाद बनाने के उद्देश्य से इससे जुड़े कृषि यंत्रों के बैंक खोले जाने हैं। यंत्र बैंक के लिए सहकारी समितियों, स्वयं सहायता समूह, निजी महिला समूह, प्रगतिशील किसान समूह आदि से आवेदन मांगे गए थे। इसके तहत कृषि यंत्र बैंक को सुपर स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम, हैप्पी सीडर, पैडी स्ट्रा चॉपर, शर्ब मास्टर, रिवर्सिबल एमबी प्लॉ, रोटरी स्लेशर, जोरा टिल ड्रिल मशीन व रोटावेटर को 80 प्रतिशत अनुदान पर दिया जाना है।
योजना के तहत विभाग को रोटावेटर के लिए 230 आवेदन तथा जीरो टिल ड्रिल मशीन के लिए 69 आवेदन प्राप्त हुए थे। 26 जून को लघु सचिवालय स्थित उपायुक्त बैठक हॉल में आवेदकों के साक्षात्कार और उनके द्वारा प्रस्तावित यंत्र बैंक का मूल्यांकन करने के बाद इनका ड्रा निकाला गया था, जिनमें से 21 रोटावेटर व 40 जीरो टिल ड्रिल मशीन के लिए अनुमति प्रदान की गई थी। इन कृषि यंत्र बैंकों पर करीब पांच करोड़ रुपये का खर्च आएगा।
ड्रा निकलने के बाद किसान समूहों ने जब बैंकों में अपनी फाइलें लगाई तो बैंकों ने ऋण देने से इंकार कर दिया। सहकारी बैंकों ने बजट न होने को लेकर हाथ खड़े कर दिए, जबकि निजी बैंक ऋण के बराबर कोई प्रॉपर्टी रहन रखने की मांग कर रहे हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि ऋण की राशि भी सीधे यंत्र उपलब्ध कराने वाली कंपनी या विक्रेता के खाते में जानी है और यंत्र को किराए पर देने से आमदनी होनी है, वह भी समिति के खाते में आनी है। समिति को खर्च व ऋण किश्त काटने के बाद ही बचत की राशि मिलने का प्रावधान है, उसके बावजूद बैंक ऋण देने को तैयार नहीं है।
ड्रॉ में शामिल किसान कल्याण सेवा समिति खेड़ला फरीजनपुर के सचिव देवकरण ने बताया कि उन्हें ड्रॉ के बाद पत्र जारी कर दिया गया था, परंतु कोई बैंक ऋण देने को तैयार नहीं है। उनका खाता एचडीएफसी बैंक में है, उक्त बैंक भी ऋण नहीं दे रहा है। शिकायत मिलने पर जिला उपायुक्त के संज्ञान में मामले को रखा गया था। उपायुक्त ने इस बाबत संबंधित बैंक के अधिकारियों से बात की है। मैंने विभाग के आला अधिकारियों को भी पत्र भेजा है। उम्मीद है कि जल्द ही समस्या दूर हो जाएगी और किसानों को यंत्र के लिए ऋण उपलब्ध हो जाएगा।
- डॉ.विरेंद्र आर्य, उपनिदेशक कृषि