बाल श्रम निषेध दिवस पर भी बच्चे करते रहे मजदूरी
चंदर अभी 10 साल का है। वह भटटे पर अपने माता-पिता के साथ मजदूरी करता है। उसे नहीं पता कि आज बाल श्रम निषेध दिवस है। वह तो और दिनों की तरह ीि आज भी भटटे पर काम करता रहा। इसी तरह चाय के होटल पर काम करने वाला राजू भी और दिनों की तरह चाय सप्लाई करता रहा। मीनू भी रेहड़ी पर अपने पिता के साथ आम बिकवाता रहा। इन सबके लिए बाल श्रम के क्या मायने हैं, इनमें से कोई नहीं जानता। उनके अभिभावक भी इस बारे में नहीं जानते। वे तो यही कहते हैं कि ये काम में हमारी मदद करते हैं।
संजीव मंगला, पलवल
चंदर अभी 10 साल का है। वह ईंट भंट्टे पर अपने माता-पिता के साथ मजदूरी करता है। उसे नहीं पता कि आज बाल श्रम निषेध दिवस है। वह तो और दिनों की तरह आज भी भंट्टे पर काम करता रहा। इसी तरह चाय के होटल पर काम करने वाला राजू भी और दिनों की तरह चाय सप्लाई करता रहा। मीनू भी रेहड़ी पर अपने पिता के साथ आम बिकवाता रहा। इन सबके लिए बाल श्रम के क्या मायने हैं, इनमें से कोई नहीं जानता। उनके अभिभावक भी इस बारे में नहीं जानते। वे तो यही कहते हैं कि ये काम में हमारी मदद करते हैं।
मंगलवार को बाल श्रम निषेध दिवस पर बाल मजदूरी को रोकने के कोई प्रयास नहीं हुए। जिले में भी अन्य स्थानों की तरह बाल मजदूरी बरकरार है। इसे मजबूरी कहें या बाल मजदूरी के खिलाफ बने कानूनों का पालन करवाने में श्रम विभाग की असफलता, बाल मजदूरों की संख्या लगातार बढ़ रही है। ईंट भट्टों से लेकर चाय के होटल व ढ़ाबों तक, सभी पर बाल मजदूर कार्य करते नजर आ जाएंगे। इसके अलावा कूड़ा बीनने वाले व रेहड़ी लगाने वाले बच्चों की संख्या भी काफी है। पढ़ने की आयु में ये बच्चे थोड़ा-बहुत कमा कर अपने अभिभावकों की मदद कर रहे हैं। कुछ अभिभावक बच्चों को ऐसा करने तथा भीख मांगने के लिए विवश भी कर रहे हैं।
पलवल में बाल संरक्षण गृह भी नहीं है। जिसकी अब बेहद जरूरत है। बाल संरक्षण गृह के अभाव में बच्चों को फरीदाबाद भेजना पड़ता है। इसकी पुरानी मांग है तथा हर साल यह मांग उठती है। हर बार प्रशासन इसे बनवाने का वायदा करता है, परंतु बात सिरे नहीं चढ़ती।
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14 वर्ष तक के बच्चों से बाल श्रम करवाना कानूनी अपराध है। संशोधन के बाद यह कानून 14 से 18 वर्ष तक के किशोरों को भी कारखानों तथा जोखिम भरे रोजगारों पर पाबंदी लगाता है। बाल श्रम करवाने के दोषी को छह माह से दो वर्ष तक की कैद व 20 हजार से 50 हजार रुपये तक का जुर्माना किया जा सकता है। बच्चों को कल्याण, मुफ्त कानूनी सहायता पाने का, गरिमा का, समानता का, शोषण के विरूद्ध सुनवाई का, सुरक्षा का, पुनर्वास योजनाओं का लाभ पाने के अधिकार प्राप्त हैं।
- जगत ¨सह रावत, पैनल अधिवक्ता जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण।