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दाम तो बढ़े, बाजरे खरीद की नहीं पुख्ता व्यवस्था

सरकार ने बाजरे की फसल के दाम तो बढ़ा दिए, लेकिन अनाज मंडी हथीन में खरीद की कोई व्यवस्था नहीं की गई। नतीजतन, किसानों को बाजरे की फसल औने-पौने दामों में बेचनी पड़ रही है। स्थानीय अधिकारी किसानों को पलवल मंडी जाने की सलाह दे रहे हैं, लेकिन बाजरे की फसल का पूर्व में रजिस्ट्रेशन नहीं करा पाए किसानों को वहां से भी बैरंग ही लौटना पड़ रहा है। इसलिए किसान झेमले से बचने के लिए प्राइवेट स्तर पर ही बाजरे की फसल को सस्ते दामों में बेचने को विवश

By JagranEdited By: Published: Thu, 11 Oct 2018 03:13 PM (IST)Updated: Thu, 11 Oct 2018 03:13 PM (IST)
दाम तो बढ़े, बाजरे खरीद की नहीं पुख्ता व्यवस्था
दाम तो बढ़े, बाजरे खरीद की नहीं पुख्ता व्यवस्था

- किसान प्राइवेट आढ़तियों को औने-पौने दामों पर फसल बेचने को मजबूर

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संवाद सहयोगी, पलवल : सरकार ने बाजरे की फसल के दाम तो बढ़ा दिए, लेकिन अनाज मंडी हथीन में खरीद की कोई व्यवस्था नहीं की गई। नतीजतन, किसानों को बाजरे की फसल औने-पौने दामों में बेचनी पड़ रही है। स्थानीय अधिकारी किसानों को पलवल मंडी जाने की सलाह दे रहे हैं, लेकिन बाजरे की फसल का पूर्व में रजिस्ट्रेशन नहीं करा पाए किसानों को वहां से भी बैरंग ही लौटना पड़ रहा है। इसलिए किसान झमेले से बचने के लिए प्राइवेट स्तर पर ही बाजरे की फसल को सस्ते दामों में बेचने को विवश हैं।

मार्केट कमेटी रिकार्ड के मुताबिक पिछले वर्ष हथीन की अनाज मंडी में 1831 क्विंटल बाजरे की आवक हुई थी। मंडी में इस बार लगभग 400 क्विंटल बाजरा आ चुका है। इस बाजरे को प्राइवेट स्तर पर आढ़तियों ने ही खरीदा है क्योंकि हथीन की अनाज मंडी में बाजरे के लिए खरीद केंद्र नहीं बनाया गया। जिले के किसानों के लिए केवल पलवल की मंडी में ही बाजरे के लिए खरीद केंद्र बनाया गया है। खास बात यह है कि सरकार की तरफ से यह हिदायत है कि बाजरा केवल उन्हीं किसानों का खरीदा जाएगा, जिन्होंने पूर्व में रजिस्ट्रेशन कराया हो। अनपढ़ काफी किसान बाजरे की फसल का रजिस्ट्रेशन नहीं करा पाए। इसलिए उनके बाजरे की सरकारी खरीद हो यह मुमकिन नहीं।

मंडी में ऊंचे दामों की हसरत लेकर आ रहे किसानों को सस्ते में बाजरा प्राइवेट स्तर पर बेचना पड़ रहा है। बता दें कि सरकार ने बाजरे के रेट 1950 रुपये प्रति क्विंटल तय किए हैं। तय रेटों को लेकर जो किसान पहले खुश हुए थे, अब उनकी खुशी काफूर हो गई है। मंडी में सरकारी खरीद नहीं हो रही। प्राइवेट स्तर पर 1300 रुपये प्रति ¨क्वटल बाजरा बेचना पड़ रहा है। जब फसल के दाम बढ़ाए गए तो खरीद की पुख्ता व्यवस्था होनी चाहिए थी। सरकार इस पर गौर करे।

-इलियास, किसान गांव रनसीका। जिले में केवल एक ही खरीद केंद्र पलवल में बना है। सभी किसानों को यह बताया जा रहा है, अगर फिर भी कोई प्राइवेट स्तर पर बाजरा बेचना है तो उसमें मार्केट कमेटी क्या कर सकती है।

- रणबीर ¨सह, मंडी अभिलेखक, मार्केट कमेटी हथीन।


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