भड़ाना को भारी पड़ गई थी कांग्रेसी नेताओं की नाराजगी
वर्ष 2014 का चुनाव कई मायनों में हमेशा याद रखा जाएगा। जहां मोदी लहर पर सवार होकर पहली बार संसदीय चुनाव में उतरे भाजपा प्रत्याशी कृष्णपाल गुर्जर ने वोट प्राप्त करने तथा जीत के अंतर का रिकार्ड कायम कर दिया। गुर्जर जहां देश भर के विजेता सांसदों में टॉप-10 में स्थान बना गए वहीं लगातार 10 वर्ष तक सांसद रहे अवतार सिंह भड़ाना वोटों के अंकगणित को बस समझते ही रह गए। गुर्जर की जीत में जहां मोदी लहर का विशेष योगदान रहा तो भड़ाना की हार के अंतर को मोदी लहर के बजाय उनसे कांग्रेसी नेताओं की नाराजगी बढ़ा कर गई।
संजय मग्गू, पलवल
वर्ष 2014 का चुनाव कई मायनों में हमेशा याद रखा जाएगा। जहां मोदी लहर पर सवार होकर पहली बार संसदीय चुनाव में उतरे भाजपा प्रत्याशी कृष्णपाल गुर्जर ने वोट प्राप्त करने तथा जीत के अंतर का रिकार्ड कायम कर दिया। गुर्जर जहां देश भर के विजेता सांसदों में टॉप-10 में स्थान बना गए वहीं लगातार 10 वर्ष तक सांसद रहे अवतार सिंह भड़ाना वोटों के अंकगणित को बस समझते ही रह गए। गुर्जर की जीत में जहां मोदी लहर का विशेष योगदान रहा तो भड़ाना की हार के अंतर को मोदी लहर के बजाय उनसे कांग्रेसी नेताओं की नाराजगी बड़ा कर गई। पलवल जिले में गुर्जर ने एक लाख 87 हजार 217 वोट लेते हुए भड़ाना को एक लाख 20 हजार 569 वोटों से हराया। भड़ाना को 66 हजार 648 वोट मिले तथा होडल व पलवल में तो वह तीसरे स्थान पर खिसक गए।
1991 के लोकसभा चुनाव में पहली बार सांसद बने अवतार सिंह भड़ाना 1996 व 1998 के चुनाव में अलग-अलग पार्टियों के प्रत्याशी बन कर भाजपा प्रत्याशी रामचंद्र बैंदा से चुनाव हारते रहे। 1999 के चुनाव में उप्र के मेरठ-मवाना संसदीय क्षेत्र से सांसद बनने के बाद 2004 के संसदीय चुनाव में उन्होंने फरीदाबाद में वापसी की तथा रिकार्ड मतों के अंतर से इनेलो के मोहम्मद इलियास को चुनाव हराकर कांग्रेस के सांसद चुने गए। इस बार सांसद बनने के बाद भड़ाना का कांग्रेस के स्थानीय नेताओं से 36 का आंकड़ा बनना शुरू हो गया। हालांकि 2009 के लोकसभा चुनाव में तो फिर भी बात बन गई, लेकिन 2014 के संसदीय चुनाव में भड़ाना व पलवल जिले के कांग्रेसी नेताओं के बीच बनी खाई पाटने में न तो प्रदेश के तत्कालीन सीएम भूपेंद्र हुड्डा कामयाब हो पाए व न ही अन्य प्रयास सिरे चढ़ सके दरअसल वर्ष 2009 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के दो धुरंधर नेता पलवल से करण सिंह दलाल व होडल से उदयभान विधानसभा चुनाव हार गए। विधानसभा चुनाव में दोनों नेताओं की हार के पीछे कांग्रेस की गुटबाजी को बड़ा कारण माना गया। बस यहीं से कांग्रेस पार्टी में बगावत का ऐसा दौर शुरू हुआ जो कि संसदीय क्षेत्र की सभी नौ विधानसभा सीटों पर अपना असर दिखाता रहा। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में हालांकि पहली विधानसभा का चुनाव हार चुके करण सिंह दलाल ने अपनी ड्यूटी संसदीय क्षेत्र से बाहर लगवा ली, लेकिन उनके भाई-भतीजे तथा समर्थक अवतार सिंह भड़ाना को हराने के कार्य में लगे रहे। कमोबेश यही स्थिति होडल व हथीन विधानसभा क्षेत्र में भी रही। हालांकि अन्य नेताओं ने तो कभी खुलकर बगावत करने की बात को नहीं स्वीकार किया लेकिन करण सिंह दलाल भड़ाना के हारने के पहले दिन से ही अपनी भूमिका स्वीकार करते रहे। इतना ही नहीं करीब दो माह पूर्व तो करण दलाल ने एक प्रेस वार्ता में खुलकर कृष्णपाल गुर्जर की मदद करना स्वीकार किया तथा इसे अपनी राजनीतिक भूल भी बताया। बहरहाल अवतार सिंह भड़ाना वाया इनेलो तथा भाजपा होते हुए वापस कांग्रेस में प्रवेश कर चुके हैं तथा भड़ाना व करण सिंह दलाल दोनों ही लोकसभा चुनाव के लिए टिकट के लिए ताल ठोक रहे हैं। हालांकि अबकी बार कांग्रेस के दोनों ही धुरंधर कांग्रेस के प्रत्याशी को जिताने की दुहाई दे रहे हैं, लेकिन यह तो चुनाव शुरू हो जाने तथा चुनाव परिणाम सामने आने के बाद स्पष्ट होगा कि कांग्रेसी नेताओं में पांच वर्ष पुराना बगावती दौर खत्म होता है या फिर हाथी के दांत खाने के और व दिखाने के और की उक्ति चरितार्थ होती है।
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पलवल जिले में विधानसभा स्तर पर यह रही स्थिति :
पलवल विधानसभा क्षेत्र
कृष्णपाल गुर्जर - भाजपा-86159
अवतार भड़ाना - कांग्रेस-8608
आरके आनंद - इनेलो--19301
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होडल विधानसभा क्षेत्र
कृष्णपाल गुर्जर - 55614
अवतार भड़ाना - 20950
आरके आनंद - 22829
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हथीन विधानसभा क्षेत्र
कृष्णपाल गुर्जर - 45544
अवतार भड़ाना - 37090
आरके आनंद - 36760।