अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं तालाब
अंतराम खटाना, नूंह सरकार व प्रशासन द्वारा हर वर्ष बरसात के जल संचयन के लिए योजना तैयार की जाती है।
अंतराम खटाना, नूंह
सरकार व प्रशासन द्वारा हर वर्ष बरसात के जल संचयन के लिए योजना तैयार की जाती है। जिससे तालाब अपने पुराने अस्तित्व को प्राप्त कर जल संरक्षण को बढ़ावा दे सके, लेकिन जिले में इस मुहिम में सबसे बड़ा रोड़ा तालाबों पर अवैध कब्जा है। कुछ वर्ष पूर्व तक जिले के हर गांव में तालाब देखे जा सकते थे, लेकिन आज गांवों में तालाब अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं। लोगों की शिकायत के बावजूद प्रशासन द्वारा तालाबों को मुक्त कराने में असमर्थ हैं। जिले में अनेक ऐसे तालाब हैं, जिन पर अवैध कब्जे हैं। ये कब्जे खुद ग्रामीणों द्वारा किए गए हैं। लोगों ने तालाब की जमीन पर घर तक बना रखे हैं। जिले में पूर्व से ही मीठे जल के स्त्रोतों का अभाव रहा है। यमुना व बादली प्रोजेक्ट के तहत भी पानी भी हाल ही में आया है। इस पानी से पूर्व ग्रामीण गांवों में तालाबों के किनारे नलकूप आदि लगाकर अपनी प्यास को बुझाते थे, लेकिन अब जिस तरह से तालाबों का अस्तित्व खत्म हो रहा है, उससे जल स्तर में भारी गिरावट दर्ज की जा रही है। ऐसे में अगर समय रहते आमजन, प्रशासन व सरकार द्वारा ठोस निर्णय नहीं लिया गया तो, आने वाले समय पानी की एक-एक बूंद के लिए तरसना पड़ सकता है।
ठोस योजना का अभाव :
सरकार, प्रशासन के साथ सामाजिक संस्थाएं हर वर्ष वर्षा जल संरक्षण के लिए तरह-तरह के दावे करते हैं, लेकिन धरातल पर इन दावों में दूर-दूर तक सच नजर नहीं आता है। ऐसे में जल संरक्षण की मुहिम को आमजन से जोड़ने के लिए कड़े कदम उठाने की जरूरत है। तभी जाकर सकारात्मक परिणाम सामने आ सकते हैं।
नहीं समझ रहे जिम्मेदारी :
आज देश के कई हिस्से भारी पेयजल संकट से जूझ रहे हैं। जब तक आमजन वर्षा जल संरक्षण के साथ अपनी दिनचर्या में पानी को बचाने के लिए आगे नहीं आएंगे तब तक कुछ नहीं होने वाला है। जिले में पानी के अभाव से हर व्यक्ति परेशान है। लेकिन इस तरह के अभियानों को बढ़ाने में कोई अपना आगे आने को राजी नहीं हैं।
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पानी को बचाना हर व्यक्ति की जिम्मेदारी हैं, जिले में पानी के स्त्रोत बहुत सीमित है। जिले के जो गांव नूंह ड्रेनों के साथ लग रहे हैं। वहां के ग्रामीणों को तालाबों में पानी भरने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।
एसपी गर्ग, कार्यकारी अभियंता, ¨सचाई विभाग।