जिले में वर्षों बाद भी विकसित नहीं हुआ कोई पर्यटन स्थल
नूंह जिले की भौगोलिक स्थिति पर्यटन स्थल के लिहाज से बहुत बेहतर है और यहां इसके लिए अपार संभावनाएं हैं। लेकिन सरकार व मंत्रियों की अनदेखी के कारण यहां पर्यटन का विकास नहीं हो सका। लिहाजा जिले में आज तक कोई पर्यटन स्थल नहीं बनाया गया है। जबकि यहां अरावली की वादियां यहां के प्राकृतिक सौंदर्य को खुशनुमा बनाती हैं तो कई प्राचीन मंदिर-मस्जिद व दरगाह पर्यट
जागरण संवाददाता नूंह:
नूंह जिले की भौगोलिक स्थिति पर्यटन स्थल के लिहाज से बहुत बेहतर है और यहां इसके लिए अपार संभावनाएं हैं, लेकिन सरकार व मंत्रियों की अनदेखी के कारण अबतक यहां पर्यटन का विकास नहीं हो सका। जबकि अरावली की वादियां यहां के प्राकृतिक सौंदर्य को खुशनुमा बनाती हैं तो कई प्राचीन मंदिर-मस्जिद व दरगाह पर्यटन स्थल के रूप में बेहतर साबित हो सकती हैं। जबकि नूंह से सटे जिले में एक नहीं कई-कई पर्यटन स्थल है, लेकिन इस क्षेत्र में यहां अनदेखी हो रही है। इसका लोगों को मलाल भी है। यहां पर विकसित हो सकते हैं पर्यटक स्थल:
जिला मुख्यालय स्थित नलहड़ मंदिर, कोटला झील को विकसित किया जा सकता है तो फिरोजपुर झिरका में अरावली की वादियों में बने प्राचीन शिवमंदिर, भौंड़ गांव के पांडवकालीन मंदिर को भी विकसित किया जा सकता है। इसी प्रकार शाहचौखा गांव में बाबा शाहचौखा पीर की दरगाह पर हर वर्ष हजारों श्रद्धालु चादर चढ़ाने व मन्नत मांगने आते हैं। यहां इनके अलावा कई स्थान ऐसे हैं, जिन्हें पर्यटन के रूप में विकसित किया जा सकता है। नेता व प्रशासन नहीं लेते दिलचस्पी:
यहां के नेताओं को विकास से कम थाने-तहसील की राजनीति ज्यादा अच्छी लगती है। नेताओं के पास विकास की ठोस योजनाएं नहीं मिलेंगी, उनके आसपास अनपढ़ लोगों का झुंड रहता है जो इन बातों के बारे में जानते ही नहीं है। प्रशासन के पास ऐसी योजनाओं के बारे में सोचने का वक्त तक नहीं। इस मांग को जल्द पूरा किया जाए:
पूर्व बार प्रधान ताहिर हुसैन रूपाड़िया, मेवात विकास मंच के महासचिव आसिफ अली चंदेनी, मुनेश कुमार फौजी उजीना, खेड़ा खलीलपुर के संतलाल खटाना, मास्टर सुभाषचंद खेड़ला ने बताया कि जिले की पर्यटक स्थल बनाने की मांग बहुत पुरानी है। इसे सरकार व प्रशासन को प्राथमिकता के साथ हल करवाना चाहिए।