जिले में निरंतर बढ़ रहा है जल संकट, नहीं उठाए जा रहे व्यापक कदम
राष्ट्रीय राजधानी से सटे मेवात इलाके में विगत कुछ वर्षो से जल संकट निरंतर बढ़ता जा रहा है।
अख्तर अलवी, फिरोजपुर झिरका
राष्ट्रीय राजधानी से सटे मेवात इलाके में विगत कुछ वर्षो से जल संकट निरंतर बढ़ता जा रहा है। संबंधित विभागों के आंकड़ों पर यदि गौर करें नूंह, फिरोजपुर झिरका और पुन्हाना में भूजल स्तर करीब 500 से 600 फुट नीचे खिसक गया है। लगातार गिरते जलस्तर को लेकर जहां संबंधित विभाग के माथे पर चिता की लकीरें साफ दिखाई दे रही हैं, वहीं इस परेशानी ने इलाके में पानी की किल्लत भी बढ़ा दी है। दरअसल इसके पीछे बड़ा कारण यहां जलदोहन के मामलों में लगातार वृद्धि होना और प्राकृतिक स्त्रोतों को नष्ट करना है। सरकार एवं संबंधित विभागों को मेवात में बढ़ रहे जल संकट को लेकर गंभीरता दिखाने की आवश्यकता है अन्यथा यहां पीने के पानी के लाले पड़ जाएंगे। हार्वेस्टिग सिस्टम दुरुस्त करने की जरुरत जनस्वाथ्य विभाग द्वारा जल संरक्षित करने के लिए लगाए गए हार्वेस्टिग सिस्टम भी लगभग अनुपयोगी साबित हो चुके हैं। दरअसल ये लगाए तो बारिश के पानी को संरक्षित करने के लिए गए थे, लेकिन इनकी देखरेख न होने के चलते ये बंद हो चुके हैं। ऐसे में बरसात का हजारों क्यूसेक पानी बह जाता है। संबंधित विभाग को इसपर ध्यान देना होगा। बांधों की मरम्मत भी जरूरी
जल संरक्षण के लिए कृषि विभाग एवं इस दिशा में कार्य कर रहीं विभिन्न संस्थाओं ने क्षेत्र में बांध बनाए हैं, लेकिन इनमें से अधिकांश बांध देखरेख के अभाव में क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। ऐसे में बांधों का रखरखाव व देखरेख न होने के चलते इनमें रोका गया पानी धीरे-धीरे निकल जाता है, जिससे साफ तौर यहां जल संरक्षण की मुहिम को बढ़ावा नहीं मिल रहा। सरकार एवं संबंधित विभागों को मिलकर नए बांध व क्षतिग्रस्त हो चुके इन बांधों की मरम्मत करने की जरूरत है। जलदोहन पर पाना होगा काबू
जिले में जलदोहन बड़ी समस्या है। यहां बड़े स्तर पर आए दिन जमीन का सीना छलनी कर अवैध तरीके से पानी निकालकर उसकी बर्बादी की जा रही है। एक जानकारी के मुताबिक नूंह जिले में एक साल में करीब 20 हजार नए बोरिग लगाए गए हैं, जिनपर अकसर लोग पानी की बर्बादी करते नजर आ जाएंगे। इसके साथ-साथ यहां बड़े पैमाने पर भूजल स्तर को प्रदूषित भी किया जा रहा है। जो गंभीर विषय है। जलदोहन की इस समस्या से निपटने के लिए सरकार एवं विभाग को व्यापक स्तर पर कार्रवाई करने की जरुरत है ताकि जलदोहन के मामलों में कमी आ सके। इनका प्रयास नहीं किया जा सकता नजरअंदाज
क्षेत्र में वर्षो से पानी बचाने की मुहिम में लगे मेवात के जलपुरुष हाजी इब्राहिम का भागीरथ प्रयास हम सभी के लिए प्रेरणा है। हाजी इब्राहिम पहाड़ों में हो रहे अवैध कटान, पेड़ों की कटाई व जमीन का सीना चीर कर निकाले जा रहे अंधाधुंध जल की बर्बादी को लेकर लोगों को जागरूक कर कुंद पड़े सिस्टम से लड़ाई लड़ रहे हैं। उनके अथक प्रयास की बदौलत हाल के कुछ वर्षो में शराब बनाने वाली 42 फैक्ट्रियों पर रोक लगी है। ये सभी फैक्ट्रियां पड़ोसी राज्य की सीमा में लगनी थी, क्योंकि इनसे जलदोहन होने का खतरा था। लेकिन हाजी इब्राहिम के भागीरथ प्रयास से इन फैक्ट्रियों पर राजस्थान हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है।