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महिलाओं के स्वास्थ्य में आड़े आ रही आयरन की कमी

संसाधनों का अभाव जागरूकता की कमी या फिर अशिक्षा कारण चाहे कोई भी हो लेकिन ये सभी समस्याएं जिले में महिलाओं के स्वास्थ्य पर भारी पड़ रही हैं। इससे जिले में हजारों महिलाएं अनीमिया के संकट से जूझ रही है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 30 Sep 2019 06:30 PM (IST)Updated: Mon, 30 Sep 2019 06:30 PM (IST)
महिलाओं के स्वास्थ्य में आड़े आ रही आयरन की कमी
महिलाओं के स्वास्थ्य में आड़े आ रही आयरन की कमी

जागरण संवाददाता, नूंह : संसाधनों का अभाव, जागरूकता की कमी या फिर अशिक्षा कारण चाहे कोई भी हो, लेकिन ये सभी समस्याएं जिले में महिलाओं के स्वास्थ्य पर भारी पड़ रही हैं। इससे जिले में हजारों महिलाएं अनीमिया से ग्रस्त होती जा रही हैं। खून की कमी के कारण प्रतिवर्ष सौ से अधिक महिलाएं दम तोड़ देती हैं। इनमें गर्भवती महिलाओं की संख्या सबसे अधिक है।

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यह समस्या महिलाओं के विकास में बाधक बनी हुई है। हालांकि इससे निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा समय-समय पर गांवों में जाकर लोगों को खानपान, टीकाकरण सहित कई प्रकार के सुझाव दिए जा रहे हैं लेकिन इसका कोई खास असर जिले में नहीं दिखाई दे रहा है।

नूंह सीएचसी में वर्ष 2016 से महिलाओं को आयरन सूकरोज दिया जा रहा है। यहां पर पिछले दो वर्षों में लगभग 35 हजार महिलाओं को आयरन सूकरोज के इंजेक्शन दिए जा चुके हैं। यहां पर प्रतिदिन करीब 20 से 25 महिलाओं को आयरन सूकरोज दिया जा रहा है। हर महीने करीब 500 से अधिक महिलाओं में यह समस्या सामने आ रही है। गर्भवती महिलाओं के साथ किशोरियों में भी यह समस्या आम है। सभी सीएचसी पर कमोबेश यही स्थिति है :

महिलाओं में आयरन की कमी का यह आंकड़ा जिले की पुन्हाना, फिरोजपुर झिरका, नगीना व तावडू में सीएचसी व पीएचसी पर यही स्थिति है। इससे महिलाएं लंबे समय से जिदगी मौत से लड़ रही है। इस बाबत कई बार विभाग की टीम गांवों में जाकर लोगों को जागरूक करती है लेकिन जो परिणाम आना चाहिए था वह अभी नहीं आ रहा रहा है। इससे जिले में महिलाओं का स्वास्थ्य लगातार प्रभावित हो रहा है। खानपान व कम उम्र में शादी होना भी एक कारण

स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों ने माना कि जिले की एक बहुत बड़ी आबादी आज भी अभावों में जी रही है। यहां लोगों का मुख्य पेशा ड्राइवरी का है जिससे वह अपने बच्चों का पालन-पोषण कर रहे हैं। गरीबी व अनपढ़ता के कारण वह अपने साथ महिलाओं के खानपान पर ध्यान नहीं दे पाते हैं। दूसरी ओर अभी भी कम उम्र में लड़कियों को शादी के बंधन बांध दिया जाता है। इससे वह कम उम्र में मां बन जाती है। ऐसी स्थिति में यह समस्या सामने आ रही है। महिलाओं के स्वास्थ्य के नजरिए से यह एक गंभीर विषय है जिस पर हम सभी को विचार करने की जरूरत है। वर्तमान में क्षेत्र के साथ जिले में महिलाएं में अनीमिया की शिकार हैं। इससे निपटने के लिए महिलाओं के खानपान पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है। तभी जाकर इस समस्या से निपटा जा सकता है। स्वास्थ्य विभाग बीते वर्षों से इस समस्या पर काबू पाने का पूरा प्रयास कर रहा है।

- डा. गोबिद शरण, एसएमओ सीएचसी नूंह


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