संशोधित---शहीदों के स्मरण को भूला नूंह प्रशासन
लगता है भारत के अमर क्रांतिकारी पंडित रामप्रसाद बिस्मिल की पंक्तियां शहीदों की चिताओं पर लगेगें हर वर्ष मेले वतन पर मिटने वालों का यही बाकी निशां होगा वर्तमान में अपनी प्रासंगिकता खोती जा रही हैं। यह कथन सभी को अचंभे में डालने वाला लग रहा होगा लेकिन हकीकत यही है। पूरे जिले में कहीं पर भी कारगिल विजय दिवस पर एक भी कार्यक्रम का आयोजन नहीं किया गया।
संवाद सहयोगी, तावडू: लगता है भारत के अमर क्रांतिकारी पंडित रामप्रसाद बिस्मिल की पंक्तियां शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पर मिटने वालों का यही बाकी निशां होगा, वर्तमान में अपनी प्रासंगिकता खोती जा रही हैं। यह कथन सभी को अचंभे में डालने वाला लग रहा होगा लेकिन हकीकत यही है। पूरे जिले में कहीं पर भी कारगिल विजय दिवस पर एक भी कार्यक्रम का आयोजन नहीं किया गया।
जिले के प्रशासनिक अधिकारियों ने जिले में कहीं पर सरकारी कार्यक्रम का आयोजन नहीं रखा और न ही शैक्षणिक संस्थानों में कार्यक्रम का आयोजन हुआ। विजय दिवस मनाना तो दूर की बात है ज्यादातर लोग तो इस दिवस से ही अनभिज्ञ दिखे। कारगिल युद्ध भारत और पाकिस्तान के बीच मई से जुलाई 1999 के बीच कश्मीर के कारगिल जिले में हुए सशस्त्र संघर्ष का नाम है।
गौर हो कि 1999 में पाकिस्तान की सेना और घुसपैठियों ने भारत और पाकिस्तान के बीच की नियंत्रण रेखा पार करके भारत की जमीन पर कब्जा करने की कोशिश की थी। पाकिस्तान ने दावा किया कि इसमें लड़ने वाले सभी कश्मीरी आतंकवादी हैं। लेकिन युद्ध में बरामद हुए दस्तावेजों और पाकिस्तानी नेताओं के ब्यानों से साबित हुआ कि पाक की सेना प्रत्यक्ष रूप से युद्ध में शामिल थी। क्या प्रेरणा मिलेगी भावी पीढि़यों को
क्रांतिकारी राष्ट्रकवि स्व. श्रीकृष्ण सरल ने अपनी पुस्तक क्रांतिगंगा में एक कविता में लिखा है कि-पूजे न गए शहीद तो यह पंख कौन अपनाएगा, धरती को मां कहकर मस्तक माथे से से कौन लगाएगा? शहीद राष्ट्र की धरोहर हैं तथा शहीदों का स्मरण करने से भावी पीढ़ी को देशभक्ति की प्रेरणा मिलती हैं। परंतु इस तरह शहीदों की प्रशासन व आमजन द्वारा घोर उपेक्षा किए जाने से भावी पीढि़यों में किस तरह देश के लिए त्याग व समर्पण की भावना का विकास होगा, ये गंभीर प्रश्न है। जिले में कारगिल विजय दिवस पर भव्य आयोजन कर शहीदों का स्मरण व शहीदों का सम्मान क्यों नहीं हुआ, इस बारे में रिपोर्ट ली जाएगी। शहीद राष्ट्र की धरोहर हैं व उनका स्मरण कर उनके पदचिन्हों पर चलना प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है।
- जी अनुपमा, मंडलायुक्त, फरीदाबाद रेंज