पिनगवां की प्राचीन इमारतों की नहीं ली जा रही सुध
अपने आप में प्राचीन इतिहास को संजोए हुई पिनगवां की इमारतों की सरकार व प्रशासन द्वारा कोई सुध नहीं ली जा रही है। जिससे ये प्राचीन इमारतों ने खंडहर का रूप ले लिया है। जब अगर सरकार व प्रशासन इनके जीर्णोंदार कराए तो इन्हें पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा सकता है। इतिहासकार बताते हैं कि प्राचीन समय में पिनगवां कस्बा ¨पगलगढ़ के नाम से जाना जाता था। उस समय ¨पगलगढ़ का राजा बुध हुआ करता था। जिसने यहां पर 3 गुमट के साथ ही एक गुमट में बावड़ी
जागरण संवाददाता, पुन्हाना:
अपने आप में प्राचीन इतिहास को संजोए हुई पिनगवां की इमारतों की सरकार व प्रशासन द्वारा कोई सुध नहीं ली जा रही है। इससे इन प्राचीन इमारतों ने खंडहर का रूप ले लिया है। अब अगर सरकार व प्रशासन इनका जीर्णोंद्धार कराए तो इन्हें पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा सकता है।
इतिहासकार बताते हैं कि प्राचीन समय में पिनगवां कस्बा ¨पगलगढ़ के नाम से जाना जाता था। उस समय ¨पगलगढ़ का राजा बुध हुआ करता था। जिसने यहां पर 3 गुमट के साथ ही एक गुमट में बावड़ी का भी निर्माण कराया था। निर्माण के समय इमारत में सुंदर नक्कासी भी कराई गई थी। जो आज भी इन गुमट इमारतों पर छपी हुई है। प्राचीन समय के गुमट की इमारतों ने यहां पर राजा-महाराजाओं से लेकर अंग्रेज व मुगलों का भी शासन काल देखा है। लेकिन इसके बाद भी प्राचीन इमारतों की कोई देख-रेख नहीं की जा रही है। इससे जहां ये इमारतें अपना वजूद खो रही हैं वहीं अवैध कब्जों का भी शिकार हो रही हैं। इन इमारतों के खंडहर होने से कस्बे के लोग इनमें जाने से भी डर रहे हैं वहीं दूसरी ओर ये इमारतें शरारती तत्वों की आरामगाह बनी हुई हैं।
पिनगवां निवासी कौशल, भीम, पंकज वर्मा, अमित कुमार सहित लोगों का कहना है कि पिनगवां का इतिहास काफी पुराना है। इतिहास के साथ-साथ यहां पर प्राचीन इमारतें भी हैं। जो कस्बे के इतिहास का जीता-जागता प्रमाण है। जिसको देखते हुए सरकार व प्रशासन को इमारतों के जिर्णोद्धार के लिए पहल करनी चाहिए, ताकि कस्बे के इतिहास को आने वाली पीढि़यों के लिए बचाया जा सके। आने वाली नस्लें भी इन प्राचीन इमारतों को देख सकें।