निजीकरण हटाओ-रोडवेज बचाओ रैली करेंगे कर्मचारी
नूंह जिले में हरियाणा रोडवेज के कर्मचारियों की हड़ताल के समर्थन में सरकार की हठधर्मिता के खिलाफ हरियाणा के सभी महकमों, निगम व बोर्डों के कच्चे-पक्के कर्मचारी 4 नवंबर को जींद में निजीकरण हटाओ-रोडवेज बचाओ'रैली करेंगे। इसमें संगठित और असंगठित क्षेत्र की सभी ट्रेड यूनियनों के बैनर तले लाखों कर्मचारी हिस्सा लेंगे। रोडवेज बचाने के लिए इस रैली में किसानों और छात्रों के सभी संगठनों ने भी भाग लेने का निर्णय लिया है।
जागरण संवाददाता, नूंह :
हरियाणा रोडवेज के कर्मचारियों की हड़ताल के समर्थन में सरकार की हठधर्मिता के खिलाफ हरियाणा के सभी महकमों, निगम व बोर्डों के कच्चे-पक्के कर्मचारी 4 नवंबर को जींद में 'निजीकरण हटाओ-रोडवेज बचाओ' रैली करेंगे। इसमें संगठित और असंगठित क्षेत्र की सभी ट्रेड यूनियनों के बैनर तले लाखों कर्मचारी हिस्सा लेंगे। रोडवेज बचाने के लिए इस रैली में किसानों और छात्रों के सभी संगठनों ने भी भाग लेने का निर्णय लिया है। नूंह के गांधी पार्क में धरनास्थल पर तालमेल कमेटी के सदस्य मोहम्मद इकबाल, महबूब खां, तैयब हुसैन, योगराज दीक्षित, मोहम्मद अब्बास, राजेश जागलान, हसमत अली, रामरति दलाल, महरम, गुर्जर, पूरण चंद, आसिफ अली, रिजवान चौधरी, असलम, अशोक कुमार ताहिर हुसैन, अनिल आदि नेताओं ने हड़ताल के दौरान एक बैठक का आयोजन किया। इसमें 4 नवंबर को जींद में होने वाली निजीकरण हटाओ-रोडवेज बचाओ रैली को कामयाब करने की रूपरेखा तैयार की। आगामी रणनीति का खुलासा करते हुए उन्होंने बताया कि शनिवार को कमेटी सभी विभागों में गेट-मी¨टग करके कर्मचारियों से रैली में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेकर उसे कामयाब करने की अपील करेगी। इसके साथ ही कमेटी हर गांव मोहल्ले के पंच सरपंच और वार्ड मेंबर, जिला परिषद सदस्यों से संपर्क करेगी और आम जनमानस की सवारी हरियाणा रोडवेज को बचाने के लिए जींद रैली में सहयोग की अपील करेगी। उन्होंने कहा कि यह रैली हरियाणा सरकार के सख्त रुख को तोड़ने का काम करेगी। बता दें कि, रोडवेज के कर्मचारी पिछले 18 दिनों से हड़ताल पर चल रहे हैं। नूंह के गांधी पार्क में सैंकड़ों कर्मचारी प्रतिदिन सरकार के खिलाफ रोष प्रकट करते हुए नारेबाजी कर रहे हैं। शुक्रवार को तमाम कर्मचारियों ने रोडवेज की मांगों को लेकर आवाज बुलंद की। कर्मचारियों ने कहा कि जब तक सरकार अपने हठ का त्याग नहीं करेगी, वे हड़ताल पर ही रहेंगे। सरकार का निजीकरण का फैसला किसी के भी हक में नहीं है। जिसे सरकार को रद्द करना ही होगा।