Mewat: जाते जाते पांच को नई जिंदगी दे गई डेढ़ वर्षीय माहिरा
Mewat प्रदेश के पिछड़े जिलों में शामिल जिला नूंह मेवात के तावडू वार्ड सात में रहने वाले एक परिवार ने अनूठी मिसाल पेश की है। स्वजन ने अपनी डेढ़ वर्षीय बेटी के ब्रेन डेड हो जाने पर अंगदान करने का साहसिक निर्णय लिया।
नूंह, जागरण टीम: प्रदेश के पिछड़े जिलों में शामिल जिला नूंह मेवात के तावडू वार्ड सात में रहने वाले एक परिवार ने अनूठी मिसाल पेश की है। स्वजन ने अपनी डेढ़ वर्षीय बेटी के ब्रेन डेड हो जाने पर अंगदान करने का साहसिक निर्णय लिया। बेहद गरीब परिवार से आने वाले दंपती के इस निर्णय को लेकर उनकी चहुं ओर प्रशंसा हो रही है।
नगर के वार्ड नंबर सात शिव नगर में रहने वाले जमशेद ने बताया कि छह नवंबर की सायं उनकी डेढ़ वर्षीय बेटी माहिरा बालकनी से गिर गई। जिसे उपचार के लिए जिले के नल्हड़ मेडिकल कालेज, नूंह में भर्ती कराया। लेकिन माहिरा की गंभीर हालत को देखते हुए उसे दिल्ली के एम्स ट्रामा सेंटर रेफर कर दिया गया।
चिकित्सकों के लगातार प्रयास के बावजूद उनकी बेटी 11 नवंबर को ब्रेन डेड हो गई। जमशेद ने बताया कि वह बेटी के उपचार के समय साथ रहा और ट्रामा सेंटर की गैलरी में लगे पोस्टर 'करें अंगदान-दें दूसरों को जीवनदान' को भी निहारता रहा। जब चिकित्सकों ने कहा कि उनकी बेटी अब नहीं रही तब उन्होंने वहां उपचार कर रहे डा. दीपक गुप्ता से अंगदान करने की बात कही।
उन्होंने कहा कि वह चाहते हैं कि उनकी बेटी किसी ना किसी रूप में जिंदा रहे, चाहे दूसरे के शरीर में ही क्यों नहीं। इसको लेकर उन्होंने पत्नी वरीसा व उनके पारिवारिक रिश्तेदार जो चिकित्सक हैं डा. फारूक और डा. शरीफ से बात की। जिसमें सभी ने उनकी इस पहल का समर्थन किया। इसके तुरंत बाद सभी लिखित औपचारिकताएं पूरी कर अंगदान की प्रक्रिया शुरू हो गई।
माहिरा का लीवर, किडनी, कार्निया व हार्ट वाल्व सहित पांच अंग दान करने का निर्णय लिया गया। इसके तुरंत बाद माहिरा का लीवर आइएलबीएस दिल्ली में भर्ती छह वर्षीय बच्चे को ट्रांसप्लांट किया गया। दोनों किडनियां एम्स में भर्ती 17 वर्षीय एक मरीज को ट्रांसप्लांट कर दी गईं। बाकी बचे तीन अंग रिजर्व रख लिए गए ताकि अन्य जरूरतमंदों के काम आ सके।
यहां यह भी बता दें कि भारत में अंगदान करने वालों की संख्या बेहद कम है। दुनिया में सबसे कम 0.4 प्रतिशत लोग ही भारत में अंगदान करते हैं। इसमें अगर मेवात जैसे बेहद पिछड़े जिले के लोग अपनी सहभागिता निभाने लगे हैं तो यह जिला नूंह मेवात ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश व देश के लिए भी बहुत अच्छी पहल है।
इनका कहना है
मेवात जिले से आई यह पहल बेहद सराहनीय है। बाकी लोगों को भी इस मुहिम में अपनी सहभागिता देनी चाहिए। मर कर भी अमर हो गई माहिरा, पीड़ित परिवार के साथ संवेदनाएं हैं। - सुरेंद्र यादव, सिविल सर्जन, नूंह