11 साल बाद भी जिले को नसीब नहीं हो पाया कृषि विज्ञान केंद्र
जिला बनने के 11 साल बाद भी नूंह को कृषि विज्ञान केंद्र नसीब नहीं हो पाया है। पिछली सरकारों की तरह भाजपा सरकार भी कृषि विज्ञान केंद्र की तरफ कोई ध्यान नहीं दे रही है। हालांकि पिछड़ा जिला होने के कारण भाजपा सरकार का यहां ध्यान जरूर है, लेकिन कृषि विज्ञान केंद्र की जरूरत अभी तक किसी भी सरकार को महसूस नहीं हो रही है। ऐसे में यहां के किसान समृद्ध होने की जगह लगातार पिछड़ते जा रहे हैं। जिले का कृषि विभाग भी स्टाफ सहित अन्य बुनियादी सुविधाओं से जूझ रहा है। किसानों के हित का दावा करने वाली सरकार में अभी तक किसानों की बेहतरी के लिए कोई कार्य नहीं हुआ है।
जागरण संवाददाता, नूंह: जिला बनने के 11 साल बाद भी नूंह को कृषि विज्ञान केंद्र नसीब नहीं हो पाया है। पिछली सरकारों की तरह भाजपा सरकार भी कृषि विज्ञान केंद्र की तरफ कोई ध्यान नहीं दे रही है। हालांकि पिछड़ा जिला होने के कारण भाजपा सरकार का यहां ध्यान जरूर है, लेकिन कृषि विज्ञान केंद्र की जरूरत अभी तक किसी भी सरकार को महसूस नहीं हो रही है। ऐसे में यहां के किसान समृद्ध होने की जगह लगातार पिछड़ते जा रहे हैं। जिले का कृषि विभाग भी स्टाफ सहित अन्य बुनियादी सुविधाओं से जूझ रहा है। किसानों के हित का दावा करने वाली सरकार में अभी तक किसानों की बेहतरी के लिए कोई कार्य नहीं हुआ है।
बता दें, कि नूंह जिले की 80 प्रतिशत आबादी कृषि पर निर्भर है। कृषि के माध्यम से ही उनकी रोजी-रोटी चलती है, लेकिन यहां किसानों की हालात दयनीय है। इसका कारण किसानों को पर्याप्त संसाधन और सुविधाएं मुहैया ना करा पाना है। कृषि विज्ञान केंद्र की मांग लंबे समय से चली आ रही है, लेकिन नूंह की जगह पलवल जिले के मंडकोला में कृषि विज्ञान केंद्र स्थापित कर दिया गया। नूंह फिर भी उपेक्षित ही रहा। जानकारी के अभाव में किसान अंधाधुंध रासायनिक खाद का इस्तेमाल कर रहे हैं। इससे जमीन की उर्वरक क्षमता भी कम होती जा रही है। आज के समय में किसानों की लागत तो लगातार बढ़ती जा रही है और उत्पादन घटता जा रहा है। इससे कृषि किसानों के लिए घाटे का सौदा साबित हो रही है। कृषि विज्ञान केंद्र की यहां के किसानों को अधिक जरूरत है।
-रणजीत नंबरदार सरकार किसानों की हित की बात तो जरूर करती है, लेकिन धरातल पर कुछ दिखाई नहीं देता। यूरिया व डीएपी खाद के रेट तो बढ़ा दिए गए और उनका वजन कम दिया गया। बिना मिट्टी की जांच के किसान अधिक मात्रा में खाद का इस्तेमाल करते हैं। इससे उनकी लागत बढ़ जाती है, जबकि उसके अनुरूप उत्पादन नहीं होता।
-अख्तर हुसैन, चंदेनी कृषि विज्ञान केंद्र आज के आधुनिक युग में किसानों की जरूरत है। इसे सरकार को पूरा करना चाहिए। कृषि विज्ञान केंद्र में किसानों को कृषि संबंधित सभी सुविधाएं मिलती हैं। इसलिए सरकार को चाहिए कि यहां जल्द से जल्द कृषि विज्ञान केंद्र स्थापित किया जाए।
-नत्थु गुर्जर सरकार फसलों के रेट बढ़ा रही है, जो किसानों के हित में है, लेकिन सरकार को किसानों की दूसरी सुविधाओं की तरफ भी ध्यान देना चाहिए। इससे जिले का किसान समृद्ध होगा। अगर किसान समृद्ध होगा तभी देश तरक्की कर सकता है। कृषि विज्ञान केंद्र किसानों की पहली मांग है।
-महेंद्रपाल