पार्षद बनने को लेकर जी-हुजूरी शुरू
सरकार द्वारा सीधे तौर पर मनोनीत पार्षदों को लेकर जोर आजमाइश शुरू हो गई है। इसको लेकर राजनेताओं की जी-हुजूरी शुरू हो गई है। तावडू में कौन इन दो पदों पर मनोनीत होगा ये तो वक्त ही बताएगा लेकिन ये तय है कि इन पदों पर काबिज होने की भागदौड़ ने शहर में राजनीतिक पारा अवश्य चढ़ा दिया है। बता दें, कि तावडू नगरपालिका में 15 वार्ड हैं तथा इन वार्डों का चुनाव काफी समय पूर्व संपन्न हो चुका है। लेकिन प्रदेश की भाजपा सरकार ने प्रदेश भर में अपनी ओर से भी नगरपालिकाओं में 2-3 पार्षदों को मनोनीत किया। जिन नपा में चुनाव हो चुके हैं वहां स्वत: ही ऐसे पार्षदों का कार्यकाल भी समाप्त हो चुका है। जहां नई नपा का गठन हुआ है वहां काफी
जागरण संवाददाता, तावडू:
सरकार द्वारा सीधे तौर पर मनोनीत पार्षदों को लेकर जोर आजमाइश शुरू हो गई है। इसको लेकर राजनेताओं की जी-हुजूरी शुरू हो गई है। तावडू में कौन इन दो पदों पर मनोनीत होगा ये तो वक्त ही बताएगा, लेकिन ये तय है कि इन पदों पर काबिज होने की भागदौड़ ने शहर में राजनीतिक पारा अवश्य चढ़ा दिया है।
बता दें, कि तावडू नगरपालिका में 15 वार्ड हैं तथा इन वार्डों का चुनाव काफी समय पूर्व संपन्न हो चुका है। लेकिन प्रदेश की भाजपा सरकार ने प्रदेश भर में अपनी ओर से भी नगरपालिकाओं में 2-3 पार्षदों को मनोनीत किया। जिन नपा में चुनाव हो चुके हैं वहां स्वत: ही ऐसे पार्षदों का कार्यकाल भी समाप्त हो चुका है। जहां नई नपा का गठन हुआ है वहां काफी जगह सरकार ने ऐसे पार्षदों को मनोनीत कर भी दिया है तथा जहां अब तक नहीं किया वहां इन पदों पर काबिज होने को लेकर भागदौड़ जारी है। नपा चुनाव को लेकर छह महीने हो चुके हैं तथा इस अंतराल में ऐसे पार्षदों की नियुक्ति नहीं हुई है।
विधायक के अनुरूप तावडू नपा में सरकार की ओर से दो पार्षद मनोनीत होंगे तथा इसी महीने इस सूची के जारी होने की उम्मीद है। वहीं इन पदों पर तावडू में न्यूनतम एक दर्जन दावेदार हैं। इसको लेकर विधायक से लेकर क्षेत्रीय सांसद व अन्य नेताओं के दरबारों में हाजिरी बजाने का कार्य शुरू हो चुका है। वहीं कुछ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पदाधिकारियों का आशीर्वाद लेकर इन पदों पर काबिज होने की फिराक में हैं। इन पदों पर काबिज होने को लेकर दावेदार साम-दाम-दंड-भेद की नीति अपनाने से भी गुरेज नहीं कर रहे। कोई स्वयं को वर्षों से भाजपा का सच्चा सिपाही बता रहा है तो कोई राजनेताओं को अपने अहसानों को गिनवा रहा है। कोई विधायक को अपना जनाधार गिनवा रहा तो कोई जातीय कार्ड खेल रहा है। विधायक व सांसद भी इस असमंजस में है कि किसे इस पद पर मनोनीत किया जाए और किसे नहीं ? खैर इन दो पदों की गेंद किसके पाले में जाएगी ये तो वक्त ही बताएगा, लेकिन इस रस्साकशी ने ठंड में तावडू का राजनीतिक तामपान गर्म कर दिया है।