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मरीजों की जिदगी में रंग भरने लगी है आयुष्मान योजना

लगभग 9 लाख रूपये बनता है। 17 हजार पात्रों के मेडिक्लेम गोल्डन कार्ड बन चुके हैं। अप्रैल 201

By JagranEdited By: Published: Sun, 03 Mar 2019 05:17 PM (IST)Updated: Sun, 03 Mar 2019 05:17 PM (IST)
मरीजों की जिदगी में रंग भरने लगी है आयुष्मान योजना
मरीजों की जिदगी में रंग भरने लगी है आयुष्मान योजना

जागरण संवाददाता, तावडू:

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आयुष्मान योजना जिले के मरीजों की जिदगी में रंग भरने लगी है। 97 लोगों ने इस योजना का लाभ लिया है। यह लाभ लगभग 9 लाख रूपये बनता है। 17 हजार पात्रों के मेडिक्लेम गोल्डन कार्ड बन चुके हैं।

अप्रैल 2018 में डॉ. भीमराव अंबेडकर जयंती पर पीएम नरेंद्र मोदी ने छत्तीसगढ़ से इस योजना को लांच किया। योजना के तहत उन्होंने देश का पहला हेल्थ एंड वेलनेस केंद्र का शुभारंभ भी किया। वहीं सितंबर में पीएम मोदी ने झारखंड से आयुष्मान भारत मेडिक्लेम योजना को लांच किया। इस योजना के तहत पात्रों को 5 लाख तक का कैशलेस मेडिक्लेम का लाभ दिया जा रहा है। योजना के आयुष्मान मेडिक्लेम व हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर ये दो कंपोनेंट हैं। लगभग 11 लाख की आबादी के नूंह जिले में योजना से सामान्य अस्पताल मांडीखेड़ा, मेडिकल कॉलेज नलहड़, सीएचसी नूंह कनेक्ट हैं। जिले का एक भी प्राइवेट हॉस्पिटल इस योजना के पैमाने पर खरा नहीं उतरता है।

गोल्डन कार्ड व लाभ:

जिले के लगभग 56 हजार परिवार इस योजना से जुड़े हैं जिनमें 6578 शहरी व 49422 ग्रामीण परिवार हैं। इन परिवारों से कुल 5 लाख 52 हजार लोग योजना से कनेक्ट हैं। लगभग 17 हजार पात्रों के मेडिक्लेम कार्ड बन चुके हैं। वहीं इन तीनों अस्पतालों में 97 पात्रों को लगभग 9 लाख रुपये का इस योजना का लाभ मिला है। ये लाभ 18 हजार से 35 हजार रुपये तक का है।

हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर:

नूंह जिले में 21 पीएचसी हैं जिनमें से 5 वेलनेस सेंटर में बदल चुकी हैं। 13 और पीएचसी को इन सेंटरों में बदलने का प्रपोजल चंडीगढ भेजा जा चुका है। जिले में 94 हेल्थ सब सेंटर हैं। पहले विभाग ने केवल 20 सब सेंटरों को वेलनेस सेंटर में बदला। इन सेंटरों पर अभी भी काफी काम होना बाकी है। वहीं द्वितीय चरण में शेष 74 सब सेंटरों को वेलनेस केंद्रों में बदला जाएगा। इस योजना से मेडिकल कॉलेज नलहड, सामान्य अस्पताल मांडीखेड़ा व सीएचसी नूंह कनेक्ट हैं। जिले का एक भी प्राइवेट हॉस्पिटल योजना के पैमाने पर खरा नहीं उतरता है। लगभग 17 हजार पात्रों के गोल्डन कार्ड बन चुके हैं। ये योजना गरीब लोगों के लिए काफी कारगर साबित हो रही है।

-डॉ. रेनू शर्मा, नोडल ऑफिसर, आयुष्मान योजना, नूंह। जिन पात्रों के गोल्डन कार्ड नहीं बने हैं वे इन तीन अस्पतालों में नियुक्त आयुष्मान मित्रों को आधार कार्ड नंबर बताकर गोल्डन कार्ड बनवा सकते हैं। जल्द ही समस्त पात्रों को गोल्डन कार्ड मिल जाए इसको लेकर विभाग प्रयासरत है। निसंदेह ये योजना मरीजों की जिदगी में रंग भर रही है।

-डॉ. राजीव बातिश, सीएमओ, नूंह।


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