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लड़कियों के उत्थान के लिए किशोरी शक्ति योजना शुरू

प्रदेश सरकार द्वारा किशोरी शक्ति महत्वाकांक्षी योजना लागू की है ताकि कोई भी कन्या शिक्षा से वंचित न रहे। यह योजना लगभग सभी जिलों में लागू की गई है। अब इसे सरकार द्वारा पूरे प्रदेश में लागू कर दिया गया है। उपायुक्त अशोक शर्मा ने बताया कि स्कूल न जाने वाली 11 से 14 साल की लड़कियों को शिक्षित बनाने, उनके खुद के पैरों पर खड़ा करने तथा सशक्त बनाने के उद्देश्य से किशोरी शक्ति योजना लागू की है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 18 May 2018 07:08 PM (IST)Updated: Fri, 18 May 2018 07:08 PM (IST)
लड़कियों के उत्थान के लिए किशोरी शक्ति योजना शुरू
लड़कियों के उत्थान के लिए किशोरी शक्ति योजना शुरू

जागरण संवाददाता, नूंह : प्रदेश सरकार द्वारा किशोरी शक्ति महत्वाकांक्षी योजना लागू की है ताकि कोई भी कन्या शिक्षा से वंचित न रहे। यह योजना लगभग सभी जिलों में लागू की गई है। अब इसे सरकार द्वारा पूरे प्रदेश में लागू कर दिया गया है। उपायुक्त अशोक शर्मा ने बताया कि स्कूल न जाने वाली 11 से 14 साल की लड़कियों को शिक्षित बनाने, उनके खुद के पैरों पर खड़ा करने तथा सशक्त बनाने के उद्देश्य से किशोरी शक्ति योजना लागू की है।

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उन्होंने बताया कि यह योजना आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से आंगनबाड़ी सेवाओं के मंच का उपयोग करते हुए लागू की जाएगी। महिला एवं बाल विकास विभाग अधिकारी ने बताया कि जिले में लगभग 4 हजार 504 लाभार्थियों की किशोरियों संख्या है। उन्होंने कहा कि इसकी रिपोर्ट सरकार व उच्चाधिकारियों को जल्द भी भेजी जाएगी। योजना के तहत किशोरियों को उचित पोषाहार देने, उनके स्वास्थ्य में सुधार, स्वच्छता, औपचारिक स्कूली शिक्षा, कौशल प्रशिक्षण और सामाजिक जागरूकता का प्रावधान शामिल है। उन्होंने महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों व संबंधित विभाग को यह भी निर्देश दिए है कि जिला में कोई भी लड़की शिक्षा से वंचित न रहे, इसके लिए पुख्ता प्रबंध करना सुनिश्चित करें।

महिला एवं बाल विकास विभाग की जिला कार्यक्रम अधिकारी नीरू मेहता ने उपायुक्त को आश्वस्त किया कि किशोरी शक्ति योजना का लाभ शत प्रतिशत दिया जाएगा और इस बारे जिला प्रशासन व सरकार को भी अवगत करवा दिया जाएगा। योजना के तहत स्कूल न जाने वाली सभी लड़कियां पूरक पोषाहार की हकदार होगी। उन्हें 1 वर्ष में 300 दिनों के लिए 600 कैलोरी, 18 से 20 ग्राम प्रोटीन और सूक्ष्म पोषक तत्व प्रदान किए जाएंगे। उन्हें घर ले जाने के लिए खाना और मौके पर ही पका हुआ भोजन भी दिया जाएगा। एक दिन की खुराक करीब साढ़े नौ रुपये की पड़ेगी। इन बच्चियों को आत्मनिर्भर बनाने पर सालाना एक लाख रुपये तक खर्च किए जाएंगे।


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