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राजकीय कॉलेज के निर्माण पर संकट के बादल

विभाग ने सेक्शन 4 और 5 का हवाला देते हुए उपरोक्त भूमि को अपना बताया है। जबकि नगर पालिका प्रशासन इस भूमि को अपना बता रहा है। हालाकि पालिका प्रशासन ने ही इस भूमि को कॉलेज निर्माण के लिए प्रस्तावित किया था। लेकिन कॉलेज के निर्माण से ऐन पहले वन विभाग ने इसमें अडंगा ठोक दिया। विभाग का तर्क है कि कॉलेज बनाने के लिए संबंधित विभाग ने वन विभाग से एनओसी नहीं ली है। इसी वजह से यह मामला फिलहाल ठंडे बस्ते में पड़ गया है। वहीं फिरोजपुर झिरका में कॉलेज के निर्माण में आई बाधा से क्षेत्र के लोगों में गहरा रोष व्याप्त है। लोगों ने यहां केंद्र एवं प्रदेश सर

By JagranEdited By: Published: Sun, 09 Jun 2019 06:59 PM (IST)Updated: Tue, 11 Jun 2019 06:36 AM (IST)
राजकीय कॉलेज के निर्माण पर संकट के बादल
राजकीय कॉलेज के निर्माण पर संकट के बादल

संवाद सहयोगी, फिरोजपुर झिरका : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने माह पहले जिस राजकीय कॉलेज का

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शिलान्यास किया था, उसका निर्माण कार्य फिलहाल अधर में है। दरअसल जिस जगह को कॉलेज निर्माण के लिए अधिकृत किया गया था उस भूमि पर वन विभाग और नगर पालिका प्रशासन आमने-सामने हो गए हैं। वन विभाग ने सेक्शन 4 व 5 व अरावली पौधरोपण क्षेत्र का हवाला देते हुए उपरोक्त भूमि को अपना बताया है। जबकि नगर पालिका प्रशासन इस भूमि को अपनी बता रहा है। हालाकि पालिका प्रशासन ने ही इस भूमि को कॉलेज निर्माण के लिए प्रस्तावित किया था। कॉलेज के निर्माण से ठीक पहले वन विभाग ने इसमें अड़ंगा लगा दिया। विभाग का तर्क है कि कॉलेज बनाने के लिए संबंधित विभाग ने वन विभाग से एनओसी नहीं ली है। इसी वजह से यह मामला ठंडे बस्ते में पड़ गया है। वहीं फिरोजपुर झिरका में कॉलेज के निर्माण में आई बाधा से क्षेत्र के लोगों में गहरा रोष व्याप्त है। लोगों ने यहां केंद्र एवं प्रदेश सरकार कॉलेज निर्माण में आई बाधा को दूर करने की मांग की है।

बता दें कि अब से तीन माह पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जम्मू-कश्मीर की धरती से एक कार्यक्रम के दौरान 10 एकड़ भूमि में फिरोजपुर झिरका में बनने वाले प्रस्तावित राजकीय कॉलेज की आधारशिला डिजिटल लांचिग के जरिए रखी थी। इस बात का क्षेत्र के लोगों को जैसे ही पता चला तो क्षेत्र के युवाओं में हर्ष का माहौल देखा गया था। सामाजिक एवं बुद्धिजीवी वर्ग से जुड़े लोगों ने सरकार के इस निर्णायक एवं ऐतिहासिक फैसले का जोरदार स्वागत किया था। लेकिन निर्माण न होने से लोगों में खासी नाराजगी देखी जा रही है।

13 करोड़ से अधिक की राशि होनी है खर्च :

अरावली क्षेत्र से सटी भूमि पर बनने वाले प्रस्तावित राजकीय कॉलेज पर अनुमानित करीब 13 करोड़ से अधिक की राशि खर्च होने वाली है। सीकैंट कंपनी को कॉलेज बनाने का ठेका छोड़ा जा चुका है। लेकिन कंपनी को वन विभाग की एनओसी का इंतजार है। जिसे पा पाना शायद मुश्किल लग रहा है।

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जिस जमीन पर कॉलेज बनना है वो जमीन नगर पालिका की है। वन विभाग का दावा गलत है। यहा कॉलेज का निर्माण नियम व शर्तो के अनुसार हरहाल में होकर रहेगा। इसके लिए पालिका अध्यक्ष एवं पार्षदों से विचार विमर्श किया जाएगा।

अशोक गुर्जर प्रधान नगर पालिका।

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उपरोक्त भूमि अरावली पौधारोपण के अंतर्गत वन विभाग के पास है। सेक्शन 4 व 5 के तहत भी रिकार्ड देखा जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट की हिदायत अनुसार वन क्षेत्र में निर्माण कार्यो पर प्रतिबंध है। अगर कॉलेज निर्माण कार्य की एनओसी ली जाती है तो इसपर विभागीय अधिकारी फैसला करेंगे।

सैद उमर बीट इंजार्च वन विभाग फिरोजपुर झिरका।


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