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किसान कपास की समय पर निराई-गुड़ाई करें : डा. अजीत सिंह

जिले में इस बार करीब पांच हजार हेक्टेयर भूमि पर कपास की बिजाई की गई है। बीते वर्ष भी कपास की साढ़े चार हजार हेक्टेयर भूमि पर बिजाई की गई थी। वैसे तो जिले के अधिकांश हिस्से में कपास को उगाया जाता है। लेकिन नूंह व पुन्हाना क्षेत्र में इस बार कपास की अधिक बिजाई की गई है। कपास की बिजाई को एक महीने से अधिक समय हो गया है। ऐसे में किसानों को अब कपास की निराई-गुड़ाई व खाद पर ध्यान देना चाहिए। जिससे उनकी फसल बेहतर बन सके। वैसे जिले में अभी तक कपास की फसल बहुत ही सुरक्षित है लेकिन अगर किसी

By JagranEdited By: Published: Sun, 09 Jun 2019 05:12 PM (IST)Updated: Sun, 09 Jun 2019 05:12 PM (IST)
किसान कपास की समय पर निराई-गुड़ाई करें : डा. अजीत सिंह
किसान कपास की समय पर निराई-गुड़ाई करें : डा. अजीत सिंह

जागरण संवाददाता, नूंह : जिले में इस बार करीब पांच हजार हेक्टेयर भूमि पर कपास की बिजाई की गई है। बीते वर्ष भी कपास की साढ़े चार हजार हेक्टेयर भूमि पर बिजाई की गई थी। वैसे तो जिले के अधिकांश हिस्से में कपास को उगाया जाता है। लेकिन नूंह व पुन्हाना क्षेत्र में इस बार कपास की अधिक बिजाई की गई है। कपास की बिजाई को एक महीने से अधिक समय हो गया है। ऐसे में किसानों को अब कपास की निराई-गुड़ाई व खाद पर ध्यान देना चाहिए। जिससे उनकी फसल बेहतर बन सके। वैसे जिले में अभी तक कपास की फसल बहुत ही सुरक्षित है, लेकिन अगर किसी कारणवश कपास में कोई रोग लग जाता है, तो ऐसी स्थिति से निपटने के लिए किसानों को कृषि विभाग के विशेषज्ञों से सलाह अवश्य लेनी चाहिए। कई बार किसान अपनी मर्जी से फसलों में दवाई डाल देते है। जिससे फसल के खराब होने की संभावना होती है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार फसलों का ध्यान रखने से ही फसलों का अच्छे तरीके से विकास किया जा सकता है।

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जिले में कपास की फसल करीब पांच हजार हेक्टेयर भूमि पर बिजाई की गई है। इसलिए किसान अपनी इस फसल की निराई-गुड़ाई पर ध्यान देना शुरू करें। जिससे फसल को बेहतर बनाया जा सके।

डा. अजीत सिंह, एसडीओ, कृषि विभाग।

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