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बैंकों के विशाल कर्ज तले डूबे जिले के किसान

वर्ष 1996 के बाद से कम वर्षा के कारण अकाल जैसे हालातों को झेल रहे जिले के किसान समय पर कर्ज नहीं चुकाने के कारण सहकारी समितियां भूमि विकास बैंक सर्व हरियाणा ग्रामीण बैंक सहित अन्य बैंकों के विशाल कर्ज के नीचे दबा हुआ है। जिले के अधिकांश किसानों की भूमि कर्जा लेने की एवज में बैंकों के पास गिरवी रखी हुई है। लंबे समय से समय पर कर्जा अदायगी नहीं करने के कारण अधिकतर किसान डिफाल्टर चल रहे हैं। यदि बैंकों ने अपने कर्ज वसूली के लिए गिरवी रखी किसानों की भूमि को नीलाम करना शुरू कर दिया तो काफी संख्या में जिले का किसान भूमिविहीन हो जाएगा। जिससे किसानों के माथे पर चिता की लकीर साफ नजर आती है। वहीं कभी किसान का मित्र कहे जाने वाली भूमि विकास बैंकों का वजूद अब खतरे में नजर आ रहा है। कर्जा समय पर वसूल नहीं होने के कारण भू

By JagranEdited By: Published: Thu, 28 Feb 2019 07:32 PM (IST)Updated: Thu, 28 Feb 2019 07:32 PM (IST)
बैंकों के विशाल कर्ज तले डूबे जिले के किसान
बैंकों के विशाल कर्ज तले डूबे जिले के किसान

अंतराम खटाना, नूंह : वर्ष 1996 के बाद से कम वर्षा के कारण अकाल जैसे हालातों को झेल रहे जिले के किसान समय पर कर्ज नहीं चुकाने के कारण सहकारी समितियां, भूमि विकास बैंक, सर्व हरियाणा ग्रामीण बैंक सहित अन्य बैंकों के विशाल कर्ज के नीचे दबे हुए हैं। जिले के अधिकांश किसानों की भूमि कर्जा लेने की एवज में बैंकों के पास गिरवी रखी हुई है।

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समय पर कर्जा अदायगी नहीं करने के कारण अधिकतर किसान डिफाल्टर चल रहे हैं। यदि बैंकों ने अपने कर्ज वसूली के लिए गिरवी रखी किसानों की भूमि को नीलाम करना शुरू कर दिया तो काफी संख्या में जिले के किसान भूमिविहीन हो जाएंगे। इससे किसानों के माथे पर चिता की लकीर साफ नजर आती है।

दूसरी तरफ, कभी किसान का मित्र कहे जाने वाले भूमि विकास बैंकों का वजूद अब खतरे में नजर आ रहा है। कर्जा समय पर वसूल नहीं होने के कारण भूमि विकास बैंक की पुन्हाना व तावडू शाखाओं को उच्चाधिकारियों ने पहले ही बंद कर दिया है। पुन्हाना बैंक को फिरोजपुर झिरका व तावडू बैंक की शाखा को नूंह बैंक में विलय कर दिया है। यहां के किसान नहर की कमी और भूमिगत जमीन में खारा पानी के कारण वर्षा जल पर ही सिचाई के लिए निर्भर रहता है। जिले के बैंकों के कर्जे पर नजर

अब जिले का एनपीए (नॉन परफोर्मिंग एसेट) बढ़कर 31 प्रतिशत तक पहुंच गया है। बीते वर्ष जिले का एनपीए 25 प्रतिशत था, जो अब बढ़कर 31 प्रतिशत पहुंच गया है। जिले के लोगों पर विभिन्न बैंक शाखाओं का अभी भी 1610 करोड़ रुपये का ऋण बकाया है। किसानों पर कृषि का लोन 1100 करोड़ वहीं औद्योगिक क्षेत्रों पर भी 145 करोड़ रुपये की राशि बकाया है।

इसके अलावा 470 करोड़ रुपये की राशि लंबे समय से डूबी हुई है। बैंकों की ये राशि जिले के लगभग 1 लाख 33 हजार उपभोक्ताओं पर बकाया है, जिसमें करीब 70 प्रतिशत किसान शामिल हैं। जिले में भूमि विकास बैंकों पर 48 करोड़ सर्व हरियाणा ग्रामीण बैंक की विभिन्न शाखाओं पर 250 करोड़, ओबीसी बैंक पर 53 करोड़ की राशि बकाया है। इन शाखाओं में करीब 80 प्रतिशत तक का एनपीए है।

बैंक अधिकारियों के लगातार प्रयासों के बावजूद ग्रामीण क्षेत्रों के लोग बैंक के कर्ज तले दबे हुए है। बैंकों की यह राशि उपभोक्ताओं पर दस वर्षों से अटकी हुए है। आज निश्चित तौर पर इस ओर सभी उपभोक्ताओं को ध्यान देने की जरूरत है। केंद्र व प्रदेश सरकार लगातार जिले के विकास पर ध्यान दे रही हैं, जिसे ध्यान में रखकर हम कार्य कर रहे हैं। जिले का एनपीए बढ़कर 31 प्रतिशत हो गया है, जिस पर सभी को ध्यान देने की जरूरत है। अभी भी बैंक शाखाओं का 1610 करोड़ रुपये की राशि बकाया है। यह बहुत बड़ी रकम है।

- सत्यप्रकाश सिंह, अग्रणी जिला प्रबंधक


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