पचास साल पुराने हाई स्कूल की फिर हुई उपेक्षा
जागरण संवाददाता, नगीना: दो महीने बाद एक अप्रैल से नया सत्र शुरू होने जा रहा है। लेकिन चालू
जागरण संवाददाता, नगीना: दो महीने बाद एक अप्रैल से नया सत्र शुरू होने जा रहा है। लेकिन चालू सत्र में भी नगीना खंड के ऐतिहासिक गांव मांडीखेड़ा के उच्च विद्यालय का दर्जा बढ़ाकर इनमें ग्यारहवीं कक्षा शुरू होने की ग्रामीणों की मांग पूरी नहीं हो सकी है, जबकि सरकार ने हाल ही में जिले के दर्जनों मिडिल व हाई स्कूलों का दर्जा बढ़ाकर वाहवाही लूटी है।
मांडीखेड़ा के सहशिक्षा वाले पुराने हाई स्कूल और न ही इस गांव के कन्या मिडिल स्कूल दोनों में से किसी का भी दर्जा बढ़ाने की सुध ली गई, जबकि इस गांव में आस-पास के जाटका, सीसोना, रानीका, नांगल, सांठावाड़ी, जलालपुर, नाइनंगला, कुलताजपुर, खेड़ी आदि दर्जनों गांव से सैंकड़ों लड़के व लड़कियां पढ़ने आते हैं। दसवीं के बाद आगे पढ़ने की इच्छुक गांव की लड़कियों को चार किलोमीटर दूर नगीना के स्कूल में प्रवेश लेना पड़ता है।
गांव के रिटायर्ड शिक्षक व पूर्व पंचायत सदस्य मास्टर वीरभान व पूर्व सरपंच दिनेश कालडा व पूर्व पंचायत समिति सदस्य उसमान खान का कहना है कि उनके गांव के स्कूल का दर्जा बढ़ाने में शिक्षा विभाग लापरवाही बरत रहा है। इनका कहना है कि एक तरफ सरकार, जिले के रहबर व जिला प्रशासन यहां कन्या शिक्षा को बढ़ावा देने को अपनी प्राथमिकता होने का दावा करते नहीं थकते। उसी दावे के तहत जिले में 34 सरकारी कन्या स्कूलों का दर्जा बढ़ाकर सीनियर सेकेंडरी करने की सरकार ने विधानसभा में घोषणा भी की गई थी।
हाई स्कूल में भी नौवीं व दसवीं कक्षाओं में ही लगभग 400 की संख्या में छात्र छात्राएं शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। ग्रामवासियों की मांग है कि उनके गांव में दोनों स्कूल ही अपग्रेड किए जाने चाहिए। कन्या शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कन्या मिडिल स्कूल को बारहवीं तक किया जाए तो वहीं हाई स्कूल को भी अपग्रेड करके बाल सीनियर सेकेंडरी स्कूल बनाया जाए।