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एसवाईएल हरियाणा की अर्थव्यवस्था से जुड़ा मुद्दा : डा. अभय यादव

नांगल चौधरी के विधायक डा. अभय सिंह यादव ने एक बार फिर से स्वराज इंडिया के सुप्रीमो योगेन्द्र यादव पर निशाना साधा है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 20 Jan 2021 05:53 PM (IST)Updated: Wed, 20 Jan 2021 05:54 PM (IST)
एसवाईएल हरियाणा की अर्थव्यवस्था से जुड़ा मुद्दा : डा. अभय यादव
एसवाईएल हरियाणा की अर्थव्यवस्था से जुड़ा मुद्दा : डा. अभय यादव

जागरण संवाददाता, नारनौल: नांगल चौधरी के विधायक डा. अभय सिंह यादव ने एक बार फिर से स्वराज इंडिया के सुप्रीमो योगेन्द्र यादव पर निशाना साधा है। विधायक ने किसान आंदोलन में व्यस्त योगेंद्र यादव द्वारा उनकी चुनौती स्वीकार करने पर प्रतिक्रिया दी, जिस पर उन्होंने कहा था कि केंद्र, हरियाणा सरकार व पंजाब भाजपा से अगर यह आश्वासन मिल जाए कि वे उन द्वारा किए गए फैसले को मानेंगे तो वे पंजाब के किसानों से बात कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि योगेन्द्र यादव के इस कथन से स्पष्ट है कि पंजाब की कांग्रेस सरकार से उनकी स्वभाविक और वैचारिक निकटता के कारण वह आश्वस्त हैं कि पंजाब सरकार उनकी बात मान लेगी। उन्होंने कहा कि एसवाईएल कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है, बल्कि यह सीधा हरियाणा के किसान की अर्थव्यवस्था से जुड़ा हुआ है। अत: वह उनको आश्वस्त करते हैं कि इस विषय में किसी भी सार्थक परिणाम को सभी का पूर्ण समर्थन मिलेगा। जहां भाखड़ा का पानी लाने वाली नहरों की जीर्ण हालत के कारण उसकी पानी लाने की क्षमता घट रही है और हरियाणा को वर्तमान में मिलने वाला पानी भी पूरी मात्रा में नहीं मिल रहा वहीं दक्षिणी हरियाणा समेत हरियाणा के अनेक जिले पानी की कमी से जूझते हुए बर्बादी के कगार पर पहुंच गए हैं। अत: एसवाईएल के मुद्दे पर सहमति और सद्भावना बनाने का यह सुनहरा अवसर है, जब पंजाब के किसान हमारे बॉर्डर पर हमारे मेहमान के रूप में उपस्थित हैं एवं योगेंद्र यादव किसान आंदोलन में मुख्य भूमिका के साथ ही मुख्य सलाहकार भी हैं। अत: इस अवसर का फायदा उठाकर एसवाईएल के मुद्दे पर पंजाब के किसानों के साथ सहमति बनाने का प्रयास करना चाहिए। इस पर रोजाना घुमा फिरा कर बातें व तर्क वितर्क करने का कोई लाभ नहीं है। इसके अतिरिक्त यह कहना कि हरियाणा में सरसों व बाजरे की खरीद किसान आंदोलन के दबाव में की गई है, एक सार्वजनिक झूठ है। यह सर्वविदित है कि सरसों और बाजरा समेत अनेक फसलों की खरीद हरियाणा सरकार 2019 से पहले ही प्रारंभ कर चुकी है। यह खरीद किसी राजनीति के लिए नहीं, बल्कि किसान की आमदनी बढ़ाने का हरियाणा सरकार का एक सराहनीय प्रयास है।

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