पति की मजदूरी बंद हुई तो पत्नी ने शुरू किया सिलाई-कढ़ाई सेंटर
अभी कोरोना की वजह से लाकडाउन हुआ तो कामधंधे भी चौपट हो गए थे। दौखेरा निवासी विष्णु कुमार मजदूरी कर अपने घर को चलाता था लेकिन कोरोना की वजह से उनकी मजदूरी भी बंद हो गई। ऐसे में विष्णु की पत्नी ममता ने हिम्मत नहीं हारी और आत्मनिर्भर होने की ठान ली।
जागरण संवाददाता, नारनौल: अभी कोरोना की वजह से लाकडाउन हुआ तो कामधंधे भी चौपट हो गए थे। दौखेरा निवासी विष्णु कुमार मजदूरी कर अपने घर को चलाता था, लेकिन कोरोना की वजह से उनकी मजदूरी भी बंद हो गई। ऐसे में विष्णु की पत्नी ममता ने हिम्मत नहीं हारी और आत्मनिर्भर होने की ठान ली। आज ममता न केवल आत्मनिर्भर है,बल्कि अन्य महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनाने का कार्य कर रही है।
विशेष बातचीत में दौखेरा निवासी ममता देवी ने बताया कि वह एक गरीब परिवार से संबंध रखती है। देश में कोरोना महामारी का प्रकोप फैल चुका था और काम धंधे बंद हो गए थे। मेरा पति भी मजदूरी करता था और उनकी मजदूरी भी बंद हो गई थी। हमारा जीवन यापन करना बड़ा ही मुश्किल हो गया था। हमारे गांव में एसएम सहगल फाउंडेशन व एचडीएफसी बैंक के द्वारा चलाई जा रही परिवर्तन पर योजना के तहत गांव में जीवन शिक्षा कौशल केंद्र चलाया जा रहा था। इसमें महिलाओं को फ्री में सिलाई कढ़ाई के कोर्स सिखाए जाते थे और महिलाओं को सशक्तिकरण के बारे में भी पढ़ाया जाता था। संस्था के सदस्य हनुमान शर्मा व सुरजीत कुमार एक दिन हमारे घर आए और उन्होंने बताया कि आप हमारे केंद्र पर आकर सिलाई और कढ़ाई का कार्य सीखें, जिससे आप आत्मनिर्भर बनेंगी। मैंने उनकी बात को मान कर संस्था के जीवन शिक्षा कौशल केंद्र पर जाकर अपना नाम दर्ज करवा दिया। रोजाना जाकर सिलाई कढ़ाई का कार्य सीखा। कुछ समय बाद मैं इस कार्य में काफी निपुण हो गई। हनुमान शर्मा ने मुझे सिलाई मशीन दी और मैंने अपना कार्य शुरू कर दिया। इससे मुझे कुछ इंकम शुरू हुई। इसके बाद धीरे-धीरे मैंने अपनी एक दुकान खोली, जिसमें महिलाओं के संबंधित सामान रखने शुरू कर दिए और और मेरी इंकम बढ़ने लगी। मेरा परिवार भी बढि़या से रहने लग गया। आज मैं महीने के 25 से 30 हजार रुपये कमा लेती हूं। मेरे साथ-साथ और अन्य महिलाओं ने भी इस काम में मेरा हांथ बटाना शुरू कर दिया। इससे उनके परिवार की भी आमदनी बढ़ गई है। ममता ने कहा कि मेरे पति मजदूरी का कार्य करते थे तो उनको बराबर कार्य नहीं मिलता था । देश में लाकडाउन लगने बाद तो बिल्कुल ही खाली बैठ गए थे। मेरे तीन बच्चे हैं। दो लड़कियां हैं पढ़ाई करती हैं। मैं सोचती थी कि कैसे गुजारा होगा, लेकिन अब वक्त बदला है और आपदा ही हमारे लिए अवसर लेकर आई है।