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तारकोल कम, रोडी कम, सड़कों में नहीं मिला दम

ग्रोथ इंजन की दौड़ के लिए अच्छा इंफ्रास्ट्रक्चर भांप की तरह है। यह बेहतर हो तो कायापलट कर सकता है। देश की आजादी के बाद का सबसे पुराना जिला महेंद्रगढ़ कपास व बाजारे की खेती के लिए पूरे राज्य में विख्यात है। पर्यटन के मामले में भी राज्य में विशिष्ट स्थान रखता है। वर्ष 2013 में यह जिला राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र योजना बोर्ड (एनसीआरपीबी) में शमिल किया गया, इसके बाद भी बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर के मामले मे यह जिला पिछड़ा हुआ है। महेंद्रगढ़ से अलग होकर रेवाड़ी अलग जिला बना पर इंफ्रास्ट्रक्चर के मामले में महेंद्रगढ़ पर भारी है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 26 Sep 2018 07:09 PM (IST)Updated: Wed, 26 Sep 2018 07:09 PM (IST)
तारकोल कम, रोडी कम, सड़कों में नहीं मिला दम
तारकोल कम, रोडी कम, सड़कों में नहीं मिला दम

राजकुमार, नारनौल : ग्रोथ इंजन की दौड़ के लिए अच्छा इंफ्रास्ट्रक्चर भाप की तरह है। यह बेहतर हो तो कायापलट कर सकता है। देश की आजादी के बाद का सबसे पुराना जिला महेंद्रगढ़ कपास व बाजारे की खेती के लिए पूरे राज्य में विख्यात है। पर्यटन के मामले में भी राज्य में विशिष्ट स्थान रखता है। वर्ष 2013 में यह जिला राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र योजना बोर्ड (एनसीआरपीबी) में शमिल किया गया, इसके बाद भी बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर के मामले मे यह जिला पिछड़ा हुआ है।  महेंद्रगढ़ से अलग होकर रेवाड़ी अलग जिला बना पर इंफ्रास्ट्रक्चर के मामले में महेंद्रगढ़ पर भारी है।

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महेंद्रगढ़ जिला सड़कों के मामले में पिछड़ा तो विकास के पहिए की रफ्तार भी कम हुई। जिले में 80 प्रतिशत से अधिक मार्ग ऐसे हैं जो न जाने कब से चलने लायक नहीं है। अधिकांश मार्गों की हालत यह है कि कहीं निर्माण में रोड़ी कम तो कहीं पर तारकोल कम प्रयोग करने से समयावधि से पहले ही सड़क उखड़ गई है। जिला में करीब 180 गांव ऐसे हैं जिनका ¨लक रास्तों का निर्माण नहीं होने के चलते आपस में संपर्क टूटा सा हुआ है। विशेषज्ञों की मानें तो सड़क निर्माण में तारकोल का प्रयोग भी कम किया गया, जिस कारण सड़क पर रोड़ी बिखरती हुई नजर आ रही है। इन सड़कों पर पूरे मार्ग में हर बीस कदम पर गड्ढा नजर आ रहा है। राष्ट्रीय राजमार्ग केंद्रीय भूतल व परिवहन मंत्रालय की जिम्मेदारी है। नितिन गडकरी इस विभाग के मंत्री हैं।

रेवाड़ी-नारनौल मार्ग व रायमलिकपुर वायां नांगल चौधरी-नारनौल-महेंद्रगढ़ मार्ग को केंद्र ने क्रमश: नेशनल हाईवे 11 व 148 घोषित किया है, नारनौल-रेवाड़ी हाइवे की हालत खस्ता है बाछौद से लेकर अटेली तक सड़क में काफी गड्ढे बने हुए हैं। सड़क निर्माण में गुणवत्ता का अभाव भी दिखाई दे रहा है। कहीं पर बड़ी पुलिया का संकरापन तो कहीं पर खस्ता सड़क ट्रैफिक को ऐसे बाधा पहुंचा रहे हैं, जैसा शरीर में रक्त प्रवाह को कोलेस्ट्राल। ये है गतिरोध बाक्स नंबर एक :::

नारनौल से महेंद्रगढ़ तक 25 किलोमीटर तक की सड़क। एक दशक लगातार आंदोलन के बाद इस मार्ग का निर्माण हुआ। डीसी शिविर कार्यालय के बाद यह सड़क बदहाल हो चुकी है। भारी वाहनों के दबाव में उड़ रही धूल परेशानी का सबब बनी हुई है। डामर की जगह गड्ढा ज्यादा दिखाई दे रही है वहीं गिट्टियां गड्ढे में नहीं बल्कि सड़क के बीच व किनारे में बिखरी हुई है।

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बाक्स नंबर दो :

महावीर चौक से नई मंडी मार्ग। नगर परिषद सीमा में शामिल शहर का यह मुख्य मार्ग अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। जगह-जगह इस मार्ग में गड्ढें दिखाई दे रहे। यह मार्ग ही नहीं शहर के अन्य मार्ग की हालत भी यही है। सिविल अस्पताल रोड पर तो हालात यह है कि बारिश के समय में यहां से निकलना दूभर हो जाता है।

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बाक्स नंबर तीन :

कनीना में बस स्टैंड से अटेली टी-प्वाइंट तक सड़क मार्ग हालत जर्जर हो चुकी है। सड़क में गड्ढे हैं या गड्ढों में सड़क इसका कुछ पता ही नहीं चलता है। आए दिन कोई न कोई वाहन दुर्घटनाग्रस्त होता रहता है लेकिन प्रशासन इस तरह कोई ध्यान नहीं दे रहा है। सड़क टूटी होने के कारण आमजन को आए दिन जाम की स्थिति से जूझना पड़ता है। कनीना बस स्टैंड से अटेली तक का करीब आधा किलोमीटर सड़क मार्ग इस कदर जर्जर हो गया है कि गहरे गड्ढे बन गए हैं। इन गड्ढों में बारिश का पानी भर जाता है व गड्ढे दिखाई नहीं देते हैं जोकि अकसर हादसे का शिकार हो जाते है। दो से चार मिनट का सफर आधे घंटे से लेकर एक घंटे में पूर्ण होता है, जिससे यात्रियों को भारी परेशानी हो रही है। बस स्टैंड के पास स्थित वार्ड नंबर 12 में सड़क मार्ग ऊंचा उठाए जाने से कई घरों में पानी घुस गया है, इसके बाद इस समस्या का समाधान नही हो रहा है।

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बाक्स नंबर चार :

बरसात के बाद सतनाली-बाढड़ा, सतनाली-महेंद्रगढ़, सतनाली-लोहारू व सतनाली-दादरी सहित सभी मुख्य सड़क मार्गों पर सड़क किनारे से हुए मिट्टी कटाव के चलते सड़क मार्ग अनेक स्थानों से धंस गया है। ऐसे में मिट्टी कटाव के कारण सड़क क्षतिग्रस्त भी हो गई है। यह मार्ग हादसों को न्योता दे रहा है। अनेक स्थानों से सड़क धंस जाने के कारण यहां से गुजरने वाले वाहन चालकों को हर समय हादसे का भय बना रहता है। पिछले दिनों भी बरसात के बाद यहां मुख्य सड़क मार्गों पर मिट्टी कटाव होने से सड़क मार्ग धंसने के बाद विभाग ने यहां केवल मिट्टी डलवाकर इतिश्री कर ली थी, लेकिन स्थाई समाधान नहीं किया। इसके बाद फिर से हुई बरसात के कारण घाटी में सड़क किनारे की मिट्टी बह गई सड़क किनारों पर से टूट गई है। ऐसे में पहाड़ियों में घाटी के बीच जगह-जगह किनारे पर मिट्टी ढह जाने के कारण टूटी हुई सड़क हादसे को निमंत्रण दे रही है। ये है तस्वीर

जिले में कुल सड़क लंबाई : 1030 किमी (हाईवे-94 किमी, प्रादेशिक राजमार्ग-941 किमी, स्थानीय निकाय-94 किमी,अन्य विभाग-05 किमी)

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हर सड़क पर तीन दिन से करीब पांच स्थानों पर जाम लगता है। रोज इन मार्गो पर करीब एक लाख रुपये का पेट्रोल व डीजल बर्बाद होता है। वाहनों की औसत गति 30 किमी. प्रति घंटा के बजाय 16 किमी. प्रति घंटा रह गई है। यदि सड़क में सुधार नहीं हुआ तो वर्ष 2019 तक यह गति छह किमी. प्रति घंटा तक सिमट कर रह जाएगी।

- 3.6 किलोमीटर लंबे सफर में लगते हैं 42 मिनट- 87 फीसदी लोगों की काम संबंधी आवाजाही शहर के भीतरी क्षेत्र में महेंद्रगढ़ जिला की सड़क में'छेद'सड़क सुरक्षा सर्वे रिपोर्ट व क्षेत्रवासियों के अनुसार महेंद्रगढ़ जिला की 2011 में 921680 की आबादी 2021 में बढ़कर करीब 12 लाख होने की संभावना है। वाहनों की संख्या में इजाफा होगा। महेंद्रगढ़ जिला में अधिकांश मार्गो पर सर्वाधिक ट्रेफिक है। जिला की 80 प्रतिशत सड़क ऐसी हैं, जिन पर फुटपाथ नहीं हैं। बस स्टाप शून्य के बराबर है। इस जिला में रोज एक लाख से अधिक लोग दिल्ली, हिसार, अलवर, जयपुर, रेवाडी, गुरुगाम से आना-जाना कर रहे हैं। 370 गांव ऐसे हैं जो ब्लॉक व जिला मुख्यालय की सड़क से जुड़े हैं पर अधिकांश सड़क बदहाल होने के कारण परेशानी हो रही है। पागल कर देता है ट्रेफिक

महेंद्रगढ़ जिला की सीमा या प्रमुख मार्ग पर गड्ढों के कारण जाम लगता है, इसी कारण ध्वनि प्रदूषण में वृद्धि हो रही है। सामान्य मानक 55 डेसीबल ध्वनि प्रदूषण का है पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार यहां ध्वनि प्रदूषण बढ़ रहा है। गड्ढों में समा गए करोड़ों जागरण  टीम ने जिला की विभिन्न सड़कों की गुणवत्ता को लेकर भ्रमण किया तो निर्माण की बाबत विशेषज्ञों से राय ली तो पता चला कि निर्माण में निम्न श्रेणी का तारकोल प्रयोग हुआ है। पिछले एक दशक में सड़क सु²ढ़ीकरण व चौड़ीकरण पर महेंद्रगढ़  जिला में ही विभिन्न विभागों ने करीब 400 करोड़ खर्च किए हैं पर वर्तमान में 80 प्रतिशत सड़कों की हालत बदतर है। अधिकतर मामलों मे क्षेत्रवासियों ने निर्माण कार्य होने की पुष्टि की पर मानकों की कमी सभी ने बताई। शासन से गठित टास्क फोर्स की जांच में भी  महेंद्रगढ़ जिला में 80 सड़कों में से 53 के निर्माण में टास्क फोर्स को कमी मिली इसके बाद भी ठेकेदार पर कार्रवाई नहीं हुई है। विशेषज्ञों के अनुसार इन सड़कों के निर्माण के 30-60 ग्रेड का तारकोल प्रयोग किया गया है, जबकि सड़कों की मजबूती के लिए 80-100 ग्रेड के तारकोल की जरूरत होती है।

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पक्ष :

जिले की अधिकांश सड़कें सही है। बरसात के कारण कुछ दिक्कत आई है। उन सड़कों की मरम्मत शीघ्र करवाई जाएगी।

--दर्शन कुमार, कार्यकारी अभियंता, पीडब्ल्यूडीबी एंड आर।


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