मानवता का संदेश दे रहे कृष्णानंद
संविधान में सर्वधर्म संभाव का पालन करने के अधिकार प्रदत्त हैं।
संवाद सहयोगी, कनीना:
संविधान में सर्वधर्म संभाव का पालन करने के अधिकार प्रदत्त हैं। संविधान में सभी धर्मों को समान रूप से मनाने का अधिकार दिया हुआ है। इसी अधिकार का पालन करते हुए ब्रह्मचारी कृष्णानंद अपने श्रद्धालुओं को सर्वधर्म संभाव का पालन करते हुए वर्षों से मानवहित के लिए काम करने का संदेश दे रहे हैं। यही कारण है कि आज उनकी ख्याति जिला, प्रदेश के सभी समुदाय के लोगों में फैली हुई है। उपमंडल से पांच किलोमीटर दूर चरखीदादरी मार्ग पर धनौंदा गांव स्थित ब्रह्मचारी कृष्णानंद आश्रम सर्व धर्म संभाव का संदेश दे रहा है। यहां आने वाले श्रद्धालुओं को धर्म के माध्यम से मानवता की भलाई का संदेश दिया जाता है। यहां गांव के केवल हिदू या जाति विशेष के लोग ही नहीं आते बल्कि मुसलमान, सिख और विभिन्न संप्रदाय भी समान रूप से आदर करता है। आश्रम के संचालक ब्रह्मचारी कृष्णानंद का आशीर्वाद लेने के लिए दूर दराज से अनुयायी आते हैं। कृष्णानंद महाराज का कहना है कि लोगों में अपने अपने धर्म के प्रति श्रद्धा और आस्था है लेकिन सभी धर्मों का एक ही संदेश होता है मानवता के लिए जीवन। यहां आने वाले लोग केवल एक धर्म या जाति विशेष के ही नहीं आते बल्कि यहां वातावरण एवं रमणीक स्थान भी सामाजिक एकता और भाईचारे का संदेश देते हैं। आज भी यहां पुराने कुएं के दर्शन होते हैं जहां पानी खींच कर पीते आये हैं। वे कहते हैं कि हिदू मुस्लिम, सिख, ईसाई सभी धर्मों के लोग यहां श्रद्धा से आते हैं। वैसे भी पास में बाबा दयाल का आश्रम भी है जहां भी विभिन्न धर्मों के लोग आते हैं। बाबा कृष्णानंद आश्रम में सुबह से शाम तक भजन कीर्तन के साथ प्रवचन सुनने वालों की एकजुटता दिखती है। कृष्णानंद महाराज कभी आयुर्वेद के प्रसिद्ध ज्ञाता माने जाते थे। आजकल वे इस कार्य की बजाय भजन उपदेशों में ज्यादा ध्यान देते हैं। उनके आश्रम में लंबे समय से कनीना, खेड़ी, खरखड़ा बास, धनौंदा तथा अन्य गांवों के श्रद्धालु प्रवचन सुनने के साथ बाबा का प्रसाद ग्रहण करने आते हैं। ब्रह्मचारी कृष्णानंद का कहना है कि वे सभी धर्म को बराबर आंखों से देखते हैं। इसमें किसी की जाति या धर्म नहीं पूछा जाता है। वे कहते हैं कि भगवान ने सभी को एक समान बनाया है।