Move to Jagran APP

धर्म और आस्था के नाम रहा रविवार

पंचपर्व के चौथे दिन रविवार को जिला भर में लोग पूजा पाठ और धार्मिक कार्यक्रमों में व्यस्त रहे।

By JagranEdited By: Published: Sun, 15 Nov 2020 06:13 PM (IST)Updated: Sun, 15 Nov 2020 06:27 PM (IST)
धर्म और आस्था के नाम रहा रविवार
धर्म और आस्था के नाम रहा रविवार

जागरण संवाददाता, नारनौल:

loksabha election banner

पंचपर्व के चौथे दिन रविवार को जिला भर में लोग पूजा पाठ और धार्मिक कार्यक्रमों में व्यस्त रहे। सुबह से देर शाम तक मंदिरों और घरों में धार्मिक कार्यक्रम जारी रहे। रविवार को मौसम भी सुहाना रहा। आसमान में बादल छाने के साथ बीच बीच में बूंदाबांदी के आसार बने रहे। इस बार कोविड-19 की महामारी के चलते श्रद्धालुओं की भीड़ एकत्रित होने नहीं देने के लिए विशेष ध्यान दिया जा रहा था। कई जगह श्रद्धालुओं को बैठकर तो कई जगह प्रसाद घर लेकर जाने के लिए पैकेट तैयार किए गए थे। प्रसाद के रूप में कढ़ी, बाजरा, मूंग, चावल के साथ विभिन्न सब्जियों का मिश्रण कर तैयार गया था। शहर के विभिन्न मंदिरों में चामुंडा देवी मंदिर, बागेश्वर मंदिर, पुरानी कचहरी स्थित हनुमान मंदिर, संघीवाड़ा स्थित सीताराम मंदिर सहित विभिन्न स्थानों पर अन्नकूट का प्रसाद वितरित किया गया। यहां दूर दराज से आए श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया। संघीवाड़ा स्थित सीता-राम मंदिर में आयोजित कार्यक्रम में दोपहर 12 बजे अन्नकुट का प्रसाद ठाकुर जी को भोग लगाने के बाद श्रद्धालुओं को खिलाया गया। इस मौके पर भाजपा जिला अध्यक्ष राकेश शर्मा, सरस्वती शिक्षा समिति के चेयरमैन विशाल सैनी, गोवर्धन सैनी, गोविद भारद्वाज, ज्ञानस्वरूप भरद्वाज, पं. क्रांति निर्मल शास्त्री, मनीष शास्त्री, भागीरथ, किशोर सैनी आदि विशेष रूप से उपस्थित हुए। इसी प्रकार के कार्यक्रम महेंद्रगढ़, कनीना, अटेली, नांगल चौधरी, सतनाली, सिहमा सहित विभिन्न स्थानों पर आयोजित हुए जहां दीपावली के अगले दिन भी लोग देर शाम तक व्यस्त रहे।

गोवर्धन पूजा में व्यस्त रहीं महिलाएं:

जिला भर में आयोजित गोवर्धन पूजा में महिलाएं व्यस्त रही। सुबह गोबर से गोवर्धन की आकृति तैयार किया गया। इसके बाद विभिन्न स्थानों पर शाम तक पूजा अर्चना का दौर चलता रहा। भैया दूज के साथ पंच पर्व का आज होगा समापन:

पंच पर्व के अंतिम दिन रविवार को भैया दूज मनाया जाएगा। इसके साथ ही पंच पर्व का समापन हो जाएगा। इस दौरान बहनें अपने भाई को तिलक लगाकर उनके दीर्घायु और सुख समृद्धि की कामना करती हैं। भाई बहनों को उपहार भेंट करते हुए उनका सम्मान करते हैं। भाई बहन के अटूट प्यार को निभाने वाला पर्व भैया दूज 16 नवंबर को मनाया जा रहा है। इस पर्व पर दूरदराज से बहन अपने भाई से मिलने के लिए पहुंचती है या फिर भाई अपनी बहन से मिलने के लिए उन तक पहुंचता है। माना जाता है कि यह पर्व रिश्तों को प्रगाढ़ बनाने के लिए मनाया जाता है। वर्ष में दो बार यह पर्व आता है। होली के पश्चात तथा दीपावली के पश्चात दोनों ही पर्वों के बाद यह पर्व मनाया जाता है। इस दिन अवकाश रहेगा। यह पौराणिक कथा यम यमी की याद दिलाता है। आज भी प्रसिद्ध है यमराज और यमुना का प्रसंग:

संवाद सहयोगी, कनीना: भैया दूज मनाने को लेकर कई प्रसंग आज भी प्रचलित हैं। मान्यता है कि सूर्यदेव की पत्नी छाया की कोख से यमराज तथा यमुना का जन्म हुआ। यमुना अपने भाई यमराज से स्नेहवश निवेदन करती थी कि वे उसके घर आकर भोजन करें लेकिन यमराज व्यस्त रहने के कारण यमुना की बात को टाल जाते थे। कार्तिक शुक्ल द्वितीया को यमुना अपने द्वार पर अचानक यमराज को देखकर प्रसन्न हो गई। प्रसन्नचित्त हो भाई का स्वागत, सत्कार किया तथा भोजन करवाया। इससे प्रसन्न होकर यमराज ने बहन से वर मांगने को कहा। तब बहन ने भाई से कहा कि आप प्रतिवर्ष इस दिन मेरे यहां भोजन करने आया करेंगे तथा इस दिन जो बहन अपने भाई को टीका करके भोजन खिलाए उसे आपका भय न रहे। यमराज ने तथास्तु कहा और यमपुरी चले गए। ऐसी मान्यता है कि जो भाई आज के दिन यमुना में स्नान करके पूरी श्रद्धा से बहनों के आतिथ्य को स्वीकार करते हैं उन्हें तथा उनकी बहन को यम का भय नहीं रहता।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.