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आरओ के पानी के नाम पर धोखा, नियमों की उड़ा रहे धज्जियां

जागरण संवाददाता, नारनौल :  आप पानी पीने जा रहे हैं तो जरा संभलिए। पानी पीने से पहले जरा यह पता

By JagranEdited By: Published: Sun, 17 Jun 2018 07:00 PM (IST)Updated: Sun, 17 Jun 2018 07:00 PM (IST)
आरओ के पानी के नाम पर धोखा, नियमों की उड़ा रहे धज्जियां
आरओ के पानी के नाम पर धोखा, नियमों की उड़ा रहे धज्जियां

जागरण संवाददाता, नारनौल : 

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आप पानी पीने जा रहे हैं तो जरा संभलिए। पानी पीने से पहले जरा यह पता कर लें कि जो पानी आप पीने जा रहे हैं, वह स्वच्छ  एवं पीने योग्य भी है या नहीं। शहर एवं आसपास के गांवों में आरओ  (रिवर्स ओस्मासिस)  के  नाम पर लोगों को साधारण पानी ही पिलाया जा रहा है। जबकि दाम आरओ पानी के ही वसूले जा रहे हैं। कम गुणवत्ता होने के कारण इस पानी से लोगों में बीमारियां फैलने का डर भी बना रहता है। कमाल की बात यह है कि पानी  के ये प्लांट बिना किसी लाइसेंस के ही शहर में चल रहे हैं।

जिला मुख्यालय ही नहीं, अपितु पूरे जिले में पीने के पानी की किल्लत होना आम बात है। इसी किल्लत का फायदा उठाकर अनेक वाटर सप्लायर मोटा मुनाफा कमाने में लगे हैं। इन्हें लोगों के स्वास्थ्य से ज्यादा अपने व्यवसाय से मुनाफा कमाने की ज्यादा ¨चता रहती है। इसी चक्कर में जैसा पानी मिल जाए, वैसा ही सप्लाई किया जा रहा है। भले ही उसमें फ्लोराइड  या टीडीएस  की मात्रा स्वास्थ्य के लिए हानिकारक ही क्यों हो। स्वास्थ्य विभाग ने भी इनके विरुद्ध कार्यवाही करने पर मौन साधा हुआ है। इसी समस्या को पानी का व्यवसाय करने वाले लोगों द्वारा करीब दो दशकों से भुनाया जा रहा है और क्षेत्र में अनेक आरओ  फिल्टर चिल्ड वाटर के प्लांट धड़ल्ले से चल रहे हैं। हालात ये हैं कि अब तक शहर ही नहीं, गांवों में भी ये आरओ  फिल्टर चिल्ड वाटर वाले पीने के पानी की सप्लाई करने लगे हैं। मगर इनका पानी स्वच्छ, शुद्ध एवं पीने योग्य होगा, इसकी कोई गारंटी नहीं है। इनके पानी में जल जनित बीमारियों के बैक्टिरिया पाए जाते हैं। जिससे पीलिया, हैजा, डायरिया व टाइफाइड जैसी भयानक बीमारियां हो सकती हैं।

नारनौल शहर में आसपास करीब 20 वाटर सप्लाई के प्लांट लगे हुए हैं। ये प्लांटों से पानी लेकर कैन द्वारा शहर में वाटर सप्लाई का कार्य करते हैं। गर्मी के सीजन में पीने के पानी की खपत अधिक होने से अनेक आरओ  उतना पानी फिल्टर ही नहीं कर पाते हैं, जितना पानी आपूर्ति किया जा रहा है। उस पर भी बिजली कट लगना या खराबी के कारण पूरी-पूरी रात बिजली नहीं आने के बावजूद भी वाटर सप्लाई में कोई कमी नहीं आती है और फिल्टर मशीन चलने के बावजूद भी आरओ फिल्टर का वाटर बताकर पानी बेचा जाता है।

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छह साल पहले चार वाटर प्लांट हुए थे सील :

पानी में गुणवत्ता की कमी के चलते स्वास्थ्य विभाग ने मई 2012  में दो वाटर सप्लायर के प्लांटों को सील किया था। मगर कुछ दिन बाद ये फिर से शुरू हो गए। इसके बाद जून 2012 में भी दो अन्य प्लांटों को सील किया गया था। विभाग के अनुसार उस समय सील किए गए प्लांटों के सैंपल लिए गए थे। जिसके बाद रोहतक स्थित लैब में जांच के बाद पाया गया कि इनका पानी मनुष्य के पीने उपयोगी नहीं है।

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अधिक मुनाफे के चक्कर में बर्फ की सिल्ली वाला पानी करते सप्लाई :

भीषण गर्मी के सीजन में पीने के पानी की खपत को पूरा करने के लिए आरओ फिल्टर वाटर उतना पानी प्यूरीफाइ  नहीं कर पाते हैं, जितना पानी सप्लाई किया जाता है। गर्मी के मौसम में लोगों का गला तर करने के लिए अनेक आरओ प्लांट संचालक साधारण पानी में महज बर्फ की सिल्ली डाल देते हैं और उसके ठंडा होने पर सीधे उसे ही सप्लाई कर देते हैं।

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प्रदूषित या गंदे पानी से होतीं हैं ये बीमारियां :

पानी का सीधा असर स्वास्थ्य पर पड़ता है। अगर पानी दूषित है तो वह स्वास्थ्य पर भी बुरा असर डालता है। पेट से जुड़ी अधिकांश बीमारियां पानी की खराबी की वजह से ही होती हैं। पीने के पानी की स्वच्छता के मामले में यदि कोई असावधानी होती है तो कई तरह के रोग शरीर को घेरने में देर नहीं लगाते। अगर पानी में स्वच्छता नहीं होगी तो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। अशुद्ध पानी पीने से डायरिया, पीलिया, हैजा, टाइफाइड व जापानी बुखार आदि भयंकर बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है। उल्टी-दस्त होना तो बहुत मामूली सी बात है। वर्जन:

''अभी तक किसी ने भी आरओ प्लांट चलाने के लिए कोई लाइसेंस नहीं लिया है। इनके पानी के सैंपल लेने के बाद ही कहा जा सकेगा कि किस वाटर सप्लायर का पानी पीने योग्य ही नहीं है। वहीं समय-समय पर इनके सैंपल लिए जाते हैं।

- डा. नवीन, स्वास्थ्य अधिकारी, नारनौल।


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