कंडेक्टर लाइसेंस की अतिरिक्त फीस मांगने पर आरटीए में हंगामा
कंडेक्टर के लाइसेंस अब उपमंडल स्तर पर बनने की बजाए राज्य यातायात प्राधिकरण (आरटीए) बनाए जाने लगे हैं। मगर सरकार की नई पॉलिसी कंडेक्टर लाइसेंस बनवाने या नवीनीकरण कराने वालों के लिए आफत बन गई है।
जागरण संवाददाता, नारनौल : कंडेक्टर के लाइसेंस अब उपमंडल स्तर पर बनने की बजाए राज्य यातायात प्राधिकरण (आरटीए) में बनाए जाने लगे हैं। मगर सरकार की नई पॉलिसी कंडेक्टर लाइसेंस बनवाने या नवीनीकरण कराने वालों के लिए आफत बन गई है। अब पूरे जिले के ऐसे लोगों को जिला मुख्यालय आना पड़ता है, जबकि पहले यही लाइसेंस एसडीएम कार्यालय के जरिए सरल केंद्र बनाते थे। बुधवार को नारनौल के पंचायत भवन में इसी कंडेक्टर लाइसेंस को लेकर हंगामे की स्थिति रही। यह लाइसेंस रिन्यू कराने आए लोगों ने फीस के तौर पर 1050 रुपये मांगने पर हंगामा खड़ा कर दिया। हालांकि बाद में उच्चाधिकारियों ने हस्तक्षेप कर इसे मामले को निपटा दिया और इसके बाद सुचारु रूप से कार्य चला।
गौरतलब हो कि कंडेक्टर लाइसेंस पहले एसडीएम कार्यालयों द्वारा जारी किए जाते थे और नवीनीकरण का कार्य भी वहीं होता था, लेकिन सरकार ने नियम बदलकर अब यह पॉवर आरटीए को दे दी हैं। इसी के चलते गत 4 दिसंबर से कंडेक्टर लाइसेंस का कार्य आरटीए कार्यालय द्वारा डील किया जाने लगा है। इस कार्य के लिए बुधवार को जिले के दूर-दराज से आए योगेश कुमार, योगेश सिंह, राकेश, श्रीभगवान, प्रदीप, रवींद्र, रघुनाथ व हवासिंह आदि ने बताया कि बड़ी मुश्किल से सफर करके वह नारनौल पहुंचे हैं, लेकिन अब उनसे 1050 रुपये फीस के रूप में मांग लिए गए हैं। योगेश कुमार ने बताया कि लाइसेंस रिन्यू कराने के एक्सपायरी डेट से पहले आवेदन करना होता है। जब कोई ऐसा करता है तो उससे कोई अतिरिक्त चार्ज नहीं लिया जाता। इसके साथ ही नियमानुसार एक महीने का ग्रेस पीरियड दिया जाता है। यदि कोई इस ग्रेस पीरियड में भी आवेदन नहीं करता है तो उससे अतिरिक्त चार्ज लिया जाता है। मगर यहां केवल एक्सपायरी डेट पर ही 1050 रुपये मांग लिए गए हैं।
इस शिकायत को लेकर प्रभावित लोग रेडक्रॉस कार्यालय भी गए, लेकिन वहां उन्हें संतोषजनक जवाब नहीं मिला। इसके बाद वह पुन: आरटीए कार्यालय पंचायत भवन आए और वहां सहायक सचिव राकेश कुमार शर्मा से मिले। रेडक्रॉस अधिकारियों से बात होने के उपरांत ग्रेस पीरियड में शामिल सभी लोगों को फीस के रूप में राहत प्रदान कर दी गई। इस पर सभी लोगों ने हर्ष व्यक्त किया, पर उनमें इस बात का मलाल था कि पहले यह कार्य पहले की भांति एसडीएम कार्यालय स्तर पर ही होना चाहिए। महेंद्रगढ़ जिले में इस समय तीन एसडीएम कार्यालय चल रहे हैं और भीड़ भी तीन हिस्सों में बंट जाती है और काम का दबाव भी घट जाने के साथ ही दूर-दराज से चलकर नारनौल आने की समस्या भी खत्म हो जाती है।