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शुद्ध पानी क्या खाक मिले, जब आरओ प्लांट ही खा रहा जंग

एक ओर प्रदेश सरकार गांव स्तर पर लोगों को स्वच्छ व शुद्ध पेयजल उपलब्ध करवाने के प्रयासों के तहत आरओ प्लांट लगवाने पर जोर दे रही है। वहीं दूसरी ओर कस्बे के लोगों को कम कीमत पर आरओ का शुद्ध पेयजल उपलब्ध करवाने के लिए कई साल पूर्व सरकारी योजना के तहत नांदी फांउडेशन द्वारा लगाया गया आरओ प्लांट करीब तीन वर्ष से बंद पड़ा हुआ है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 06 Jan 2020 04:13 PM (IST)Updated: Mon, 06 Jan 2020 05:53 PM (IST)
शुद्ध पानी क्या खाक मिले, जब आरओ प्लांट ही खा रहा जंग
शुद्ध पानी क्या खाक मिले, जब आरओ प्लांट ही खा रहा जंग

संवाद सहयोगी, सतनाली : एक ओर प्रदेश सरकार गांव स्तर पर लोगों को स्वच्छ व शुद्ध पेयजल उपलब्ध करवाने के प्रयासों के तहत आरओ प्लांट लगवाने पर जोर दे रही है। वहीं दूसरी ओर कस्बे के लोगों को कम कीमत पर आरओ का शुद्ध पेयजल उपलब्ध करवाने के लिए कई साल पूर्व सरकारी योजना के तहत नांदी फांउडेशन द्वारा लगाया गया आरओ प्लांट करीब तीन वर्ष से बंद पड़ा हुआ है। जिससे कस्बे के लोगों को आरओ का पानी नहीं मिल पा रहा है। हालात यह है कि आरओ प्लांट पर करीब तीन वर्ष से ताला लटका हुआ है और उसमें रखी मशीने जंग खा रही है।

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उल्लेखनीय है कि कस्बे में लोगों को आरओ का शुद्ध पानी उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से सरकारी योजना के तहत नांदी फाउंडेशन द्वारा आरओ प्लांट लगाया गया था। इस प्लांट से उपभोक्ताओं को 4 रुपये में 20 लीटर प्रतिदिन के हिसाब से पानी दिया जाता था। करीब तीन वर्ष पूर्व नांदी फाउंडेशन के कर्मचारी अचानक कस्बे में आए और रात्रि के समय प्लांट से सामान उतारकर गाड़ियों में डाल रहे थे तो इसकी सूचना मिलने पर सरपंच ससुर उदय सिंह मौके पर पहुंचे और उन्होंने वहां पहुंचे कर्मचारियों से प्लांट उखाड़ने का कारण पूछा तो उनका कहना था कि अधिकारियों के आदेश हैं और यह प्लांट अब दूसरी जगह लगाया जाएगा और इसमें उपभोक्ताओं के कनेक्शन भी कम है। इस पर उदय सिंह ने कहा कि आपके कनेक्शन हम बढ़वाएंगे, लेकिन प्लांट को नहीं उखाड़ने देंगे। जिसके उपरांत नंदी फाउंडेशन के कर्मचारी बैरंग ही अपनी गाड़ी लेकर वहां से लौट गए। लोगों की माने तो कस्बे में प्रदेश सरकार के सहयोग से कस्बे में नांदी फाउंडेशन द्वारा लगाया गया आरओ प्लांट में मात्र 4 रुपये में 20 लीटर प्रतिदिन के हिसाब से आरओ का शुद्ध पानी मिलता था, लेकिन इसके लगभग तीन वर्ष से बंद रहने से वे मजबूरी में निजी प्लांट संचालकों से पानी खरीद रहे है। निजी पानी सप्लायर पानी के फिल्टर होने के दावे तो करते हैं, लेकिन उनके दावों पर भी संदेह है क्योंकि आज तक कभी किसी प्लांट संचालक के पानी के सैंपल नहीं लिए गए। वहीं उनसे पानी खरीदने पर 20 लीटर के कैंपर के लिए 20 रुपये प्रतिदिन खर्च करने पड़ रहे है। लोगों ने सरकार से मांग की है कि उक्त प्लांट को पुन: शुरू करवाया जाए ताकि ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को स्वच्छ व शुद्ध आरओ का पानी मिल सके व उनके स्वास्थ्य से खिलवाड़ न हो। वर्जन :

सरपंच रिकू देवी ने बताया कि आरओ प्लांट को फिर से शुरू करवाने के लिए जनस्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को अवगत करवाया गया था तथा सकारात्मक आश्वासन भी मिले थे, परंतु इसके बावजूद भी आरओ प्लांट शुरू नहीं हुआ है।


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