रमजान सिर्फ भूख का नहीं, सब्र और सादगी का भी महीना है : मो. हनीफ
जागरण संवाददाता, नारनौल : दिल में फिर खुशियों का पैगाम आया है। हो मुबारक दोस्तों रमजा
जागरण संवाददाता, नारनौल : दिल में फिर खुशियों का पैगाम आया है। हो मुबारक दोस्तों रमजान आया है। रमजान सिर्फ भूख का नहीं, सब्र और सादगी का भी महीना है। रोजा है ही अच्छा बनने के लिए। अच्छा वो बनेगा, जो परहेजगारी इख्तियार करेगा। आंखों की परहेजगारी जैसे टीवी और गैर को देखना अपनी आंखों को बचाना। जबान की परहेजगारी जैसे गाली गलौज, गाना गाने, झूठ, चुगली से अपनी जबान को रोकना,
कानों की परहेजगारी जैसे गाना और गैर महरम की आवाज सुनने से अपने कानों को बचाना। पेट की परहेजगारी जैसे सेहरी इफ्तार और हर वक्त खाने पीने में हलाल माल इस्तेमाल करना। हाथों की परहेजगारी जैसे गैर महरम से ची¨टग और किसी को तकलीफ पहुंचाने से अपने हाथों को रोकना। पैर की परहेजगारी जैसे नाजायज कामों और नाजायज जगहों की तरफ जाने से अपने कदमों को रोकना। जब हम भूख प्यास में होते हैं, तब हमें गरीबों और जरूरतमंदों के दर्द का सही पता चलता है। ऐसे में खाना और पानी की अहमियत पता होने के साथ गरीबों का आदर करना सीखते हैं। रोजा में कहा गया है कि अपने आसपास के लोगों और जरूरतमंदों का खास ख्याल रखें। उन्हें कोई कमी है तो उनकी भरपूर मदद करें। वैसे यह भी वैज्ञानिक रूप से साबित हो गया है कि रोजा शरीर के लिए फायदेमंद है। इससे शरीर में मौजूद विषैले तत्व बाहर निकल जाते हैं। माहे रमजान का पाठ केवल एक माह तक नहीं, बल्कि पूरी उम्र भर के लिए है यह बताता है कि हम कैसे बेहतर इंसान बनें।
- मोहम्मद हनीफ गोरवाल, शाही इमाम, जामा मस्जिद, शिवाजी नगर, नारनौल।