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डिफॉल्टरों पर बिजली निगम के 233 करोड़ रुपये फंसे

राजकुमार, नारनौल जिले में बिजली निगम को घाटे से उबारने में लिए डिफॉल्टर उपभोक्ता बाधा

By JagranEdited By: Published: Thu, 22 Mar 2018 07:05 PM (IST)Updated: Thu, 22 Mar 2018 07:05 PM (IST)
डिफॉल्टरों पर बिजली निगम के 233 करोड़ रुपये फंसे
डिफॉल्टरों पर बिजली निगम के 233 करोड़ रुपये फंसे

राजकुमार, नारनौल

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जिले में बिजली निगम को घाटे से उबारने में लिए डिफॉल्टर उपभोक्ता बाधा बने हुए हैं। निगम द्वारा गत 7 मार्च को डिफॉल्टरों के विरुद्ध चलाए गए सर्जिकल स्ट्राइक अभियान को पहले दिन ही बड़ी कामयाबी मिली गई थी, मगर उसके बाद से अधिकारियों ने सर्जिकल स्ट्राइक को साइलेंट मोड पर डाल दिया इससे निगम के घाटे से उबरने की उम्मीद भी काफूर होने लगी है। इस समय बिजली निगम का नारनौल सर्कल में करीब 233 करोड़ 68 लाख फंसा पड़ा है।

नारनौल सर्कल में इस समय 38 हजार 982 उपभोक्ता ऐसे हैं, जो समय पर बिल अदा नहीं कर रहे। ऐसे उपभोक्ताओं की तरफ निगम का करीब 141 करोड़ 12 लाख बकाया चला रहा है। साथ ही ऐसे डिफाल्टर उपभोक्ता भी हैं जिनके मीटर कनेक्शन काटे जा चुके हैं। ऐसे उपभोक्ताओं की तरफ 92 करोड़ 55 लाख बकाया है। कुल मिलाकर देखा जाए तो डिफा¨ल्टग अमाउंट करीब 233 करोड़ है। यह डिफा¨ल्टग अमाउंट निकालने के लिए ही बिजली निगम ने इसी 7 मार्च को डिफॉल्टरों के विरुद्ध सर्जिकल स्ट्राइक अभियान चलाया था। पहले दिन यह अभियान महज नारनौल सिटी में चला था। उस दिन 457 मीटर उखाड़े गए थे, जिस पर पहले ही दिन 156 उपभोक्ताओं ने 28 लाख 47 हजार 427 रुपये जमा करा दिए थे।

उस दिन के बाद निगम के डिफॉल्टरों की तरफ से बकाया राशि तो आती रही, लेकिन सर्जिकल स्ट्राइक अभियान को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। इससे डिफॉल्टरों ने जो रफ्तार बकाया जमा कराने में पकड़ी थी, वह पुन: सुस्त हो गई। फिलहाल निगम के अधिकारी व कर्मचारी 31 मार्च को समाप्त हो रहे वित्त वर्ष की फाइलें निपटाने में लगे हैं। जिस कारण डिफॉल्टर भी कोई रुचि नहीं दिखा रहे। निजी उपभोक्ता नहीं दे रहे ध्यान :

बिजली निगम का शहरी घरेलू उपभोक्ताओं में जहां करीब 10 करोड़ फंसे हैं, वहीं ग्रामीण घरेलू उपभोक्ताओें की तरफ करीब 103 करोड़ 40 लाख बकाया है। इंडस्ट्रीज की तरफ भी निगम का 15 करोड़ 74 लाख तो किसानों की तरफ 14 करोड़ 36 रुपये फंसा पड़ा है। सरकारी विभाग भी नहीं हैं पीछे :

निजी उपभोक्ता ही नहीं, सरकार उपभोक्ता भी बिजली निगम के घाटे को बढ़ाने में लगे हैं। ¨सचाई विभाग की तरफ 14 करोड़, पब्लिक हेल्थ की तरफ 23 करोड़, म्यूनिसिपल कमेटी की तरफ एक करोड़ 62 लाख, पंचायतों की तरफ पांच करोड़ 42 लाख तथा अन्य सरकारी विभागों की तरफ करीब 57 करोड़ 69 लाख डिफा¨ल्टग अमाउंट खड़ी है। वर्जन:

''बिजली निगम के डिफॉल्टरों के मीटर कनेक्शन काटने का अभियान जारी है। फिलहाल वित्त वर्ष के समापन के चलते कार्यालयों में कार्यभार बढ़ा हुआ है। इसे अभियान को पुन: चलाया जाएगा तथा किसी डिफॉल्टर को बख्शा नहीं जाएगा।

- मनोज यादव, कार्यकारी अभियंता, बिजली निगम, नारनौल


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