जब चेहरे पर होगा मास्क, तभी कोरोना होगा परास्त
कोरोना जैसी महामारी में दूसरों की पीड़ा हरने के लिए निज स्वार्थ त्याग दिनरात सेवा में जुटी सामना आर्ट की मातृशक्ति इन दिनों साक्षात शक्ति के स्वरूप से कम नहीं हैं। कोरोना कहर में सामना आर्ट की महिलाएं एक नई मिसाल पेश कर रही है।
संवाद सहयोगी, महेंद्रगढ़ : कोरोना जैसी महामारी में दूसरों की पीड़ा हरने के लिए निज स्वार्थ त्याग दिनरात सेवा में जुटी सामना आर्ट की मातृशक्ति इन दिनों साक्षात शक्ति के स्वरूप से कम नहीं हैं। कोरोना कहर में सामना आर्ट की महिलाएं एक नई मिसाल पेश कर रही है। गत 17 वर्षाे से नारी शक्ति की मिसाल बनी मंजू कौशिक के नेतृत्व में सामना आर्ट की महिलाओं ने निजी सुख और स्वार्थ को त्याग वसुधैव कुटुम्बकम और परहित सरिस धर्म नहीं भाई को जीवन में धारण कर लिया है। ग्रुप की महिलाएं कोरोना की जंग के मैदान में पूरी तरह समर्पित हो चुकी है।
स्मरण रहें की ग्रुप कि महिलाएं रोजाना मिलकर सैकड़ों मास्क तैयार करती है ताकि मास्क की कमी से कोरोना जीत न जाए। ग्रुप की महिलाओं ने महसूस किया कि किस तरह कोरोना को हराने में वो मदद कर सकती है। इसी उद्देश्य की पूर्ति के साथ ही ग्रुप की महिला आशा शर्मा, ज्योति शर्मा, प्रगति सेन ग्रुप के कार्यालय में मास्क बनाने का कार्य कर रही है। वहीं अन्य महिलाएं अपने-अपने घरों से ही मास्क बनाकर ग्रुप को उपलब्ध करवा रही है। प्रतिदिन पारिवारिक जिम्मेदारियों से निवृत होते ही ये सभी मास्क बनाती है। मंजू कौशिक ने बताया कि मास्क बनाने के कार्य के लिए संस्था किसी से आर्थिक सहायता नहीं लेती। इस कार्य के लिए सारा खर्च वे अपने निजी कोष से कर रही है। ग्रुप की महिलाए निस्वार्थ भाव से मास्क बनाने के कार्य में जुटी है। संगठन के सदस्य इन्हें जरूरतमंदों तक पहुंचा रहे है।