नारनौल कारागार से शिफ्ट होंगे बंदी : के सेल्वराज
कारागार डीजीपी के सेल्वराज ने किया जिला कारागार का निरीक्षण फोटो संख्या :
जागरण संवाददाता, नारनौल:
कारागार डीजीपी के सेल्वराज ने बुधवार को जिला कारागार नारनौल का निरीक्षण किया। निरीक्षण में डीजीपी ने कारागार की सीमाओं को चैक किया। बंदियों से मुलाकात की व उनकी समस्याओं व सुविधाओं के बारे में जानकारी ली। डीजीपी ने कारागार में साफ-सफाई में संतुष्टी जाहिर की। बंदियों को उचित समय पर खाना, कैशलेस ट्रांजेक्शन आदि के आदेश भी डीजीपी ने दिए।
डीजीपी ने कारागार अधिकारियों को आदेश देते हुए कहा कि बंदियों को मिलने वाली सुविधाओं में लापरवाही कतई बर्दाश्त नहीं होगी। हर माह कारागार एसपी द्वारा समीक्षा बैठक की जानी सुनिश्चित की जाए। इसमें बंदियों को मिलने वाली सुविधाएं व बंदियों को दिए जाने वाले प्रशिक्षण कितने कारगार हो रहे है उनकी जानकारी जुटानी चाहिए।
डीजीपी ने कहा कि कारागार का विस्तार करना संभव नहीं है। कारागार के पीछे पहाड़ी इलाका है तो दूसरी तरफ गांव की जमीन है। जिला कारागार में बंदियों को जल्द ही शिफ्ट किया जाएगा। कारागार में उन्होंने प्रधानमंत्री विकास कौशल योजना के तहत चल रहे कार्यों का निरीक्षण किया। इसके साथ उन्होंने कारागार के अंदर स्थित अस्पताल व बंदियों के घूमने व सुरक्षा की पूरी जानकारी ली। बाक्स :
मुलाकात करने आए लोगों से मिले
डीजीपी कारागार ने बंदियों से मुलाकात करने आए परिजनों से मुलाकात की। उन्होंने उनके परिजनों से पूछा की उनको मिलने में किसी प्रकार की परेशानियों का तो सामना नहीं करना पड़ रहा है। मुलाकात के नाम पर किसी प्रकार शुल्क आदि तो नहीं लिया जा रहा है। क्या कैशलेस ट्रांजेक्शन के जरिए रुपये बंदियों के पास भेजे जाते हैं उसमें किसी प्रकार की परेशानी तो नहीं हो रही है। उन्होंने बंदियों के परिजनों से बताया कि अब बंदी के खाते में रुपये जमा करवाने के लिए यहां आना जरूरी नहीं हैं पोर्टल के माध्यम से भी रुपये पहुंचाए जा सकते हैं। क्षमता 350 की रह रहे 606
जिला कारागार की क्षमता 350 बंदियों या विचाराधीन बंदियों की हैं, लेकिन जिला कारागार में इस समय 606 बंदी व विचाराधीन बंदी है। इसमें महिलाएं व पुरूष शामिल है। डीजीपी ने कहा कि जल्द ही बंदियों को यहां से शिफ्ट किया जाएगा, जिससे की बंदियों को रहने में किसी प्रकार की परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि हालांकि अब भी बंदियों को किसी प्रकार की दिक्कतें नहीं हैं, लेकिन सुप्रीमकोर्ट की गाइड लाइन के अनुसार क्षमता से अधिक बंदी नहीं रखे जा सकते हैं।