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वीरचक्र प्राप्त बलिदानी प्रेम सिंह के गांव 24 को पहुंचेगी मशाल यात्रा

राष्ट्रीय युद्ध स्मारक की ज्योति से प्रज्ज्वलित मशाल यात्रा 24 जनवरी को जिले में प्रवेश करेगी।

By JagranEdited By: Published: Fri, 22 Jan 2021 06:34 PM (IST)Updated: Fri, 22 Jan 2021 06:34 PM (IST)
वीरचक्र प्राप्त बलिदानी प्रेम सिंह के गांव 24 को पहुंचेगी मशाल यात्रा
वीरचक्र प्राप्त बलिदानी प्रेम सिंह के गांव 24 को पहुंचेगी मशाल यात्रा

जागरण संवाददाता, नारनौल : राष्ट्रीय युद्ध स्मारक की ज्योति से प्रज्ज्वलित मशाल यात्रा 24 जनवरी को जिले में प्रवेश करेगी। यह मशाल वीरचक्र से सम्मानित गांव नीरपुर निवासी बलिदानी राइफल मैन प्रेम सिंह के गांव ले जाई जाएगी।

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हिसार छावनी से 4-मैकेनिकल इंफेंटरी (1-सिख) के कैप्टन देवेश चिलवाल ने बताया कि वर्ष 1971 के भारत-पाक युद्ध के 50 वर्ष पूरे होने पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर लगातार जलती रहने वाली ज्योति से प्रज्ज्वलित चार मशालों को उस युद्ध के परमवीर चक्र और महावीर चक्र विजेताओं के गांवों सहित देश के विभिन्न भागों में ले जाने के लिए सेना को सौंपा था। इन्हीं में से एक मशाल को सेना द्वारा राइफल मैन बलिदानी प्रेम सिंह के गांव नीरपुर भी ले जाया जाएगा।

उन्होंने बताया कि वर्ष 2021 को देश स्वर्णिम विजय वर्ष के रूप में मना रहा है। वर्ष 1971 में भारतीय सेना ने पाकिस्तान को धूल चटाई थी। मशाल को 1971 की जंग में हिस्सा लेने वाले बहादुर सैनिकों के गांवों में ले जाया जाएगा। इसके बाद जिला शहीद स्मारक पर 1971 के बलिदानियों को श्रद्धांजलि अर्पित की जाएगी। साथ ही 1971 की जंग में हिस्सा लेने वाले बहादुर सैनिकों और उनके परिजनों को सम्मानित किया जाएगा।

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राइफल मैन प्रेम सिंह ने विफल किया था दुश्मन का काउंटर अटैक

जिले के गांव नीरपुर निवासी राइफल मैन प्रेम सिंह 1971 में हुए भारत-पाक युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुए थे। बलिदानी प्रेम सिंह का जन्म 22 मई 1947 को गांव नीरपुर में हुआ था। वह छोटू सिंह के अकेले पुत्र थे। भारतीय सेना में वह 22 मई 1967 को भर्ती हुए थे। सन 1971 की जंग के दौरान पूर्वी सेक्टर में उनकी बटालियन को दुश्मन की पोस्ट पर कब्जा करने की जिम्मेदारी सौंपी गई। दुश्मन ने पोस्ट पर कब्जा होने के तुरंत बाद एक काउंटर अटैक किया, जिसमें पलटन के काफी जवान घायल हो गए। इसी दौरान राइफल मैन प्रेम सिंह आगे बढ़ते हुए दुश्मन पर टूट पड़े। इससे दुश्मनों का मनोबल टूट गया और दुश्मन का काउंटर अटैक विफल हो गया।

इस भीषण अटैक में राइफल मैन प्रेम सिंह भी वीरगति को प्राप्त हो गए। इस दौरान उन्होंने अदम्य साहस और नेतृत्व का परिचय दिया। इसके लिए मरणोपरांत 17 जून 1972 को उन्हें वीरचक्र से सम्मानित किया गया।


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