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इंद्रदेव रूठे, मुरझाने लगी खरीफ की फसलें

जिले में गत बीस दिन से इंद्रदेव रूठे हैं। बरसात की कमी बनी हुई है और मौसम में धूप की तल्खी है। इससे किसानों की खरीफ फसल खुश्क होकर मुरझाने लगी है। हालांकि कई किसानों ने तो अपनी खरीफ फसल की ट्यूबवैल से ¨सचाई करना भी शुरू कर दिया है, लेकिन ट्यूबवैलों को पर्याप्त बिजली सप्लाई नहीं मिलने से फसल सींचना मुश्किल बना हुआ है। पछेती फसल को तव्वजो देने वाले कई गांवों के किसान तो बरसात नहीं होने से अपनी बाजरे की फसल में यूरिया खाद भी नहीं डाल सके।

By JagranEdited By: Published: Sat, 18 Aug 2018 05:55 PM (IST)Updated: Sat, 18 Aug 2018 05:55 PM (IST)
इंद्रदेव रूठे, मुरझाने लगी खरीफ की फसलें
इंद्रदेव रूठे, मुरझाने लगी खरीफ की फसलें

संवाद सहयोगी, नांगल चौधरी:

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जिले में गत बीस दिन से इंद्रदेव रूठे हैं। बरसात की कमी बनी हुई है और मौसम में धूप की तल्खी है। इससे किसानों की खरीफ फसल खुश्क होकर मुरझाने लगी है। हालांकि कई किसानों ने तो अपनी खरीफ फसल की ट्यूबवेल से ¨सचाई करना भी शुरू कर दिया है, लेकिन ट्यूबवेलों को पर्याप्त बिजली सप्लाई नहीं मिलने से फसल सींचना मुश्किल बना हुआ है। पछेती फसल को तव्वजो देने वाले कई गांवों के किसान तो बरसात नहीं होने से अपनी बाजरे की फसल में यूरिया खाद भी नहीं डाल सके।

खाद व पानी के अभाव में फसल ग्रोथ नहीं कर रही है। वही दिन में तेज धूप से फसल मुरझाकर जलने लगी है। सबसे बुरा हाल गुजरवाटी क्षेत्र का है। यहां किसानों के पास फसल ¨सचाई के लिए न ट्यूबवेल है और न ही नहरें हैं। इससे यहां का किसान फसल बचाने को लेकर काफी ¨चतित है। किसानों का कहना है कि क्षेत्र में गत चौबीस जुलाई को ही अच्छी बरसात हुई थी। बरसात के अभाव में तेज धूप से खुश्क होकर उनकी ग्वार व बाजरे की फसल मुरझाने लगी है, जबकि खरीफ फसल को पंद्रह दिन में पानी जरूरी है। किसानों का कहना है कि अब उनके पास ¨सचाई का एकमात्र विकल्प नहरी पानी ही शेष है। कृषि विभाग का भी मानना है कि खरीफ फसल को पंद्रह से बीस दिन पानी की अति आवश्यकता होती है।

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कनीना में बाजरे की फसल पर असर

संवाद सहयोगी, कनीना

बाजरे की फसल पकने को तैयार खड़ी है। इस बार समर्थन मूल्य में की गई बढ़ोतरी से किसानों को इस फसल से उम्मीद है ¨कतु पानी के अभाव में सूखने के कगार पर पहुंच गई है। जुलाई माह के बाद बारिश नहीं होने से किसान पानी दे रहे हैं। इस वर्ष कनीना क्षेत्र में 17620 हेक्टेयर पर बाजरे की बीजाई की हुई है जो विगत वर्ष की अपेक्षा अधिक है। कनीना की बावनी भूमि पर सबसे अधिक बाजरे की बीजाई की हुई है। फसल बारिश एवं मौसम के विभिन्न उतार चढ़ाव देखने के बाद अब पकने लगी है। कनीना क्षेत्र में दो प्रकार की बाजरे की बीजाई हुई है। एक फसल अगेती है जो सितंबर माह के प्रारंभ में पक जाएगी तो दूसरी पछेती फसल है जो सितंबर माह के अंत में पक जाएगी। कृषि अधिकारी कनीना डॉ. मनोज यादव का कहना है कि इस वक्त बाजरे की फसल पकने को है। पकान के वक्त पानी की जरूरत होती है। बारिश नहीं होने से पानी की कमी महसूस होने लगी है। कनीना बावनी भूमि पर 30672 हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि है जिस पर 8200 हेक्टेयर कपास, 960 हेक्टेयर हरा चारा, 3300 हेक्टेयर ग्वार, 17620 हेक्टेयर बाजरा, 60 हेक्टेयर मूंग, 30 हेक्टेयर तिल, 490 हेक्टेयर ढैंचा, दस हेक्टेयर मूंगफली तो दो हेक्टेयर पर अरंड की खेती की गई है। बाजरा अब पकान की ओर जा रहा है।

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टेल तक पानी नहीं पहुंचाने पर करेंगे प्रदर्शन

जासं, नारनौल : प्रजा भलाई संगठन के सुप्रीमो समाजसेवी ठाकुर अतरलाल एडवोकेट ने अटेली तहसील की खेड़ी माइनर में टेल तक पानी पहुंचाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि माइनल में टेल तक पानी नहीं पहुंचने के कारण खेड़ी, कांटी, रामपुरा, नावदी के किसानों को ¨सचाई के लिए नहरी पानी नहीं मिल रहा है। परिणामस्वरूप किसानों की फसलें मुरझा रही हैं। जोहड़ सूखे पड़े है और मवेशी प्यासे हैं। उन्होंने कहा कि खेड़ी माइनर में तीन दिन के अंदर पूरी क्षमता के अनुसार टेल तक पानी नहीं पहुंचाया तो अधीक्षक अभियंता (नहर) नारनौल के कार्यालय का घेराव किया जाएगा। इस अवसर पर सज्जन ¨सह, कृष्ण ¨सह, शेर ¨सह, दान ¨सह प्रधान, राजकुमार यादव, धर्मेन्द्र आदि उनके साथ थे।


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