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महेंद्रगढ़ जिला में पहुंची स्वर्णिम विजय वर्ष मशाल यात्रा

सन 1971 के भारत-पाक युद्ध में जीत से हर देशवासी का सीना गर्व से फूल जाता है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 24 Jan 2021 07:02 PM (IST)Updated: Sun, 24 Jan 2021 07:40 PM (IST)
महेंद्रगढ़ जिला में पहुंची स्वर्णिम विजय वर्ष मशाल यात्रा
महेंद्रगढ़ जिला में पहुंची स्वर्णिम विजय वर्ष मशाल यात्रा

जागरण संवाददाता, नारनौल: सन 1971 के भारत-पाक युद्ध में जीत से हर देशवासी का सीना गर्व से फूल जाता है। लेकिन इस जीत के पीछे हमारे देश के हजारों बहादुर सैनिकों ने कुर्बानी दी थी। महेंद्रगढ़ जिले के गांव नीरपुर के वीरचक्र से सम्मानित राइफलमैन प्रेमसिंह ने इस युद्ध में पाक सेना के काउंटर अटैक को न केवल विफल किया, बल्कि पाकिस्तान के कई सैनिकों को मार गिराया और खुद भी शहीद हो गए। रविवार को राष्ट्रीय युद्ध स्मारक से आई ज्योत जैसे ही इस वीर जवान की पत्नी के हाथों में सौंपी गई तो गांव नीरपुर में देशभक्ति का माहौल बन गया। सैकड़ों लोगों ने देशभक्ति के नारे लगाकर वीरांगना का सम्मान किया।

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बता दें कि भारत-पाक युद्ध के 50 वर्ष पूरे होने पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर लगातार जलती रहने वाली ज्योति से प्रज्जवलित कर जिस मशाल को भारतीय सेना को सौंपा था। यह मशाल रविवार को जिला महेंद्रगढ़ में पहुंच गई। पूरा देश 1971 के भारत-पाक युद्ध में भारत को मिली विजय को स्वर्णिम विजय वर्ष के रूप में मना रहा है।

रविवार को हिसार छावनी सेना की टीम सबसे पहले जिले के गांव नीरपुर के वीरचक्र से सम्मानित राइफलमैन प्रेम सिंह के घर पहुंची, जहां पर उनकी पत्नी ने मशाल को रिसीव किया। यहां पर आर्मी टीम ने वीरांगना का सम्मान किया।

इसके बाद यह मशाल यात्रा जिला सैनिक बोर्ड स्थित युद्ध स्मारक स्थल पर पहुंची, जहां पर शहीदों को गार्ड ऑफ ऑनर दी गई और उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किया गया। साथ ही इस मशाल को जिला सैनिक बोर्ड के प्रांगण में स्थापित किया गया। यह कार्यक्रम हिसार डॉट डिवीजन के अधीनस्थ संपन्न हुआ।

जिला सैनिक बोर्ड में आयोजित कार्यक्रम में सेना की टीम ने जिला की वीरांगनाओं को सम्मानित किया। इस मौके पर जिला प्रशासन की ओर से एसडीएम रणबीर सिंह सहित जिला के कई सेवानिवृत्त सैन्य कर्मी तथा अन्य नागरिक भी मौजूद थे।

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नीरपुर निवासी प्रेमसिंह का जन्म 22 मई 1947 को हुआ था। वह छोटूसिंह का इकलौता पुत्र था। 22 मई 1967 को वह सेना में भर्ती हुए और 1971 की जंग के दौरान पूर्वी सेक्टर में उनकी बटालियन को दुश्मन की पोस्ट पर कब्जा करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। पोस्ट पर कब्जा होने के बाद पाक सैनिकों ने काउंटर अटैक कर दिया। इस दौरान पलटन के काफी जवान घायल हो गए। इस दौरान राइफलमैन प्रेम सिंह दुश्मनों पर टूट पड़े और कई सैनिकों को मार गिराया। हालांकि इस दौरान वह खुद भी शहीद हो गए। लेकिन दुश्मनों को कामयाब नहीं होने दिया। 17 जून 1972 को उन्हें मरणोपरांत वीरचक्र से सम्मानित किया गया।


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