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मंडियों में बारदाने की कमी बरकरार, किसान परेशान

पिछले कुछ दिनों की जिले की विभिन्न मंडियों में बारदाने की कमी के चलते सरसों व गेहूं की खरीद प्रभावित हो रही है लेकिन इस ओर न तो सरकार ध्यान दे रही है और न ही प्रशासनिक अधिकारी। जिस कारण किसान मंडियों में अपने अनाज को लेकर कई दिनों ने खरीद का इंतजार कर रहे है लेकिन उनकी

By JagranEdited By: Published: Sun, 05 May 2019 05:52 PM (IST)Updated: Mon, 06 May 2019 06:40 AM (IST)
मंडियों में बारदाने की कमी बरकरार, किसान परेशान
मंडियों में बारदाने की कमी बरकरार, किसान परेशान

जागरण संवाददाता, नारनौल:

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पिछले कुछ दिनों से जिले की विभिन्न मंडियों में बारदाने की कमी के चलते सरसों व गेहूं की खरीद प्रभावित हो रही है, लेकिन इस ओर न तो सरकार ध्यान दे रही है और न ही प्रशासनिक अधिकारी। जिस कारण किसान मंडियों में अपने अनाज को लेकर कई दिनों ने खरीद का इंतजार कर रहे है, लेकिन उनकी खरीद नहीं हो पा रही है। इससे किसानों में सरकार व प्रशासन के प्रति भारी रोष है। एक-दो दिन पूर्व कुछ मंडियों में बारदाना आया था, परंतु कम बारदाना मिलने के कारण इन मंडियों में एक-दो दिन ही खरीद हो पाई। ऐसे में एक बार फिर से मंडियों में बारदाने की कमी के आड़े आ गई है।

नारनौल, नांगल चौधरी, कनीना व अटेली सहित महेंद्रगढ़ अनाज मंडियों में बारदाने की कमी की पिछले 10-15 दिनों से समस्या बनी हुई है। मंडियों में तीन-चार दिन में एक बार बारदाना पहुंचा रहा है, जिससे पहले खरीदी गई सरसों की ही भराई हो पाती है। ऐसे में शेड्यूल अनुसार गांवों के किसानों की खरीद नहीं हो पाती है और उन्हें तीन-चार दिन तक बारदाना आने का इंतजार करना पड़ता है। खरीद अधिकारी बिना बारदाने के सरसों खरीद करने में रुचि नहीं दिखा रहे है। इस प्रकार किसानों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। सुबह से सायं तक तपती दोपहरी में खुले आसमान के नीचे अपनी सरसों लेकर खरीद का इंतजार करते रहते है।

प्रशासन ने भी शेड्यूल में एक गांव को किया शामिल :

मंडियों में बारदाने की कमी के कारण खरीद नहीं होने पर किसान कई बार जाम लगा चुके है, लेकिन बारदाने की कमी पूरे प्रदेश में ही बनी होने के कारण प्रशासन भी मजबूर है। ऐसे में खरीद अधिकारियों को किसानों के गुस्से का सामना न करना पड़े इसलिए प्रशासन ने सरसों खरीद के शेड्यूल में भी बदलाव कर दिया है। पहले प्रशासन द्वारा प्रतिदिन 4 से 5 गांवों के किसानों को खरीद के लिए मंडी बुलाया जाता था। वहीं अब केवल एक गांव को मंडियों में बुलाया जा रहा है ताकि मंडियों में व्यवस्था बनी रहे और सरसों की भी खरीद हो सके।


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