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गोल्डन गर्ल नाम से जानी जाती हैं डा. आकांक्षा

एक ओर इंसान काम न करके हाथ पर हाथ रख बैठकर किस्मत का रोना रोता है वहीं कनीना की बेटी आकांक्षा ने एक साथ 12 स्वर्ण पदक लेकर गोल्डन गर्ल का खिलाब जीता।

By JagranEdited By: Published: Wed, 21 Oct 2020 06:26 PM (IST)Updated: Wed, 21 Oct 2020 06:26 PM (IST)
गोल्डन गर्ल नाम से जानी जाती हैं डा. आकांक्षा
गोल्डन गर्ल नाम से जानी जाती हैं डा. आकांक्षा

संवाद सहयोगी, कनीना: एक ओर इंसान काम न करके हाथ पर हाथ रख बैठकर किस्मत का रोना रोता है, वहीं कनीना की बेटी आकांक्षा ने एक साथ 12 स्वर्ण पदक लेकर गोल्डन गर्ल का खिताब जीता है। आकांक्षा अपने बलबूते पर एमबीबीएम कर चुकी हैं और एमडी की तैयारी में जुटी हुई हैं। उनके भाई भी जार्जिया से एमबीबीएस कर रहे हैं।

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कनीना की बेटी को वर्ष 2019 में एमबीबीएस करते हुये पूरे भारत में 12 गोल्ड मेडल एमबीबीएस के विभिन्न विषयों में विश्वविद्यालय टापर रहने पर दिये गये। इस प्रकार गोल्डन गर्ल का खिताब जीता है।

कनीना में ही पढ़ी, पली तथा बड़ी हुई आकांक्षा ने अपने मेहनत के बल पर सिद्ध कर दिया है कि एक मध्यम वर्ग में पैदा हुआ बच्चा भी पूरे विश्व में नाम कमा सकता है उनके भाई जहां एमबीबीएस कर रहे हैं। आगरा विश्वविद्यालय में एमबीबीएस करते हुये 11 अक्टूबर को विभिन्न क्षेत्रों में 12 गोल्ड मेडल हासिल किये। उनके पिता सत्यवीर सिंह तथा मा सरला देवी शिक्षक पद पर विराजमान हैं। पारिवारिक पृष्ठभूमि की बात कहें तो यह परिवार मध्यम वर्ग में आता है, कितु होनहार बच्ची के बल पर माता-पिता ने भी नाम कमाया है। आकांक्षा ने जहां प्रथम क्लास से बारहवीं कक्षा तक की परीक्षाएं प्रथम श्रेणी में हासिल की वहीं अपने मेहनत के बल पर एमबीबीएस में प्रवेश पाया। एमडी करके जनसेवा में जुड़ना चाहती है और उनकी हार्दिक इच्छा है कि वह जन सेवा करें, क्योंकि जन सेवा से ही इंसान का जीवन सफल होता है। भारत में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ नारा चला हुआ है। सत्यवीर एवं सरला ने अपनी बच्ची को पढ़ा लिखा कर इस काबिल बना दिया है कि वे आज नाम कमा रही है। प्रारंभिक शिक्षा से होनहार रही छात्रा आकांक्षा आज पूरे विश्वविद्यालय में नाम कमा चुकी है और सिद्ध कर दिया है कि शिक्षा के बल पर छात्राएं घर की चारदीवारी से बाहर आकर नाम कमा सकती हैं। जहां खेलों में भी आकांक्षा ने नाम कमाया है शिक्षा के क्षेत्र में भी नाम कमाया है।

कनीना के जीएल स्कूल से दसवीं तथा बारहवीं करके आकांक्षा का प्रवेश मेडिकल कालेज आगरा में हुआ था और वहीं से वे एमबीबीएस कर चुकी हैं। आकांक्षा का छोटा भाई आलोक जार्जिया(अमेरिका) से एमबीबीएस कर रहा है।

आकांक्षा गायनी में एमएस करके महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए काम करना चाहती हैं। वे इस पल को हमेशा याद रखेंगी। उपन्यास पढ़ना, फिल्म देखना, नृत्य आदि उनके प्रमुख शौक हैं। आकांक्षा ने कनीना से 86 फीसदी अंक लेकर इंटर किया था और एमबीबीएस में चयन हुआ था। सदा ही अपना लक्ष्य लेकर चल रही है। आकांक्षा के पिता सत्यवीर सिंह बताते हैं कि आकांक्षा एक मेधावी छात्रा रही है। उन्होंने हर परीक्षा प्रथम श्रेणी से पास की। आगरा के एचएफ मेडिकल कालेज में उनका एमबीबीएस में चयन हुआ था जहां आकांक्षा ने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा दिया है। उन्हें राष्ट्रपति रामनाथ कोविद ने वर्ष 2017 में भी स्वर्ण पदक से नवाजा था, वहीं 11 स्वर्ण पदक 2019 में राज्यपाल आनंदीबेन ने विश्वविद्यालय एमबीबीएस के विभिन्न विषयों में अव्वल रहने पर दिए। इतने मैडल अपने आप में मायने रखते हैं एक साधारण परिवार में जन्म लेकर इन ऊंचाइयों को छू चुकी है। भविष्य में भी उनका उद्देश्य ऊंचाइयों को छूना चाहती है लेकिन किसी प्रकार के धन दौलत नहीं कमाना नहीं चाहती बल्कि जन सेवा में योगदान देना चाहती है और उनकी इच्छा है कि वे बड़ी होकर जन सेवा करें। हरियाणा में जहां बच्ची को गर्भ में ही मार देते हैं उनके मुंह पर जोर का तमाचा है।


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