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8 घंटे नहीं पहुंचा चिकित्सक, इलाज के अभाव में बच्ची ने तोड़ा दम

स्पेशल न्यूबॉर्न केयर यूनिट (एसएनसीयू) में पिछले 16 घंटे से चिकित्सक नहीं होने से उपचार के अभाव में एक दिन की नवजात बच्ची ने दम तोड़ दिया। नवजात बच्ची प्री-मेच्योर थी व महेंद्रगढ़ उप नागरिक अस्पताल से रेफर होकर आई थी। एसएनसीयू के स्टाफ ने अपनी कमियों को छुपाने के लिए बच्ची की मौत के करीब दो घंटे बाद तक भी परिजनों को इसकी जानकारी नहीं दी। यहां तक की बच्ची की मौत के बाद भी एसएनसीयू में कोई चिकित्सक नहीं पहुंचा बल्कि आपातकालीन विभाग के चिकित्सकों को जाना पड़ा। जब बच्ची के माता-पिता को उसकी मौत के बारे में पता चला तो उनका रो-रोकर बुरा हाल था। हालांकि बच्ची के परिजनों ने किसी प्रकार की लिखित में शिकायत नहीं दी लेकिन फिर भी एसएनसीयू में स्टाफ व चिकित्सकों की लापरवाही का मामला सामने आया है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 09 Sep 2018 07:46 PM (IST)Updated: Sun, 09 Sep 2018 07:46 PM (IST)
8 घंटे नहीं पहुंचा चिकित्सक, इलाज के अभाव में बच्ची ने तोड़ा दम
8 घंटे नहीं पहुंचा चिकित्सक, इलाज के अभाव में बच्ची ने तोड़ा दम

जागरण संवाददाता, नारनौल :

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स्पेशल न्यूबॉर्न केयर यूनिट (एसएनसीयू) में 8 घंटे से चिकित्सक उपलब्ध नहीं होने से उपचार के अभाव में एक दिन की नवजात बच्ची ने दम तोड़ दिया। नवजात बच्ची प्री-मेच्योर थी व महेंद्रगढ़ उप नागरिक अस्पताल से रेफर होकर आई थी। एसएनसीयू के स्टाफ ने अपनी कमियों को छुपाने के लिए बच्ची की मौत के करीब तीन घंटे बाद तक भी परिजनों को इसकी जानकारी नहीं दी। जब बच्ची के माता-पिता को उसकी मौत के बारे में पता चला तो उनका रो-रोकर बुरा हाल था।

मध्यप्रदेश के जिला दादू के गांव गैसावास निवासी सुमन पत्नी दशरथ को प्रसव पीड़ा के दौरान शनिवार को देर शाम करीब आठ बजे महेंद्रगढ़ के उप नागरिक अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। वहां सुमन ने प्री-मेच्योर बच्ची को जन्म दिया। महेंद्रगढ़ में चिकित्सकों ने नवजात बच्ची की हालत को देखते हुए हायर सेंटर नागरिक अस्पताल के लिए रेफर कर दिया था। परिजन बच्ची को लेकर नागरिक अस्पताल पहुंचे। यहां बच्ची को भर्ती कर लिया गया। देर रात करीब साढ़े 11 बजे बच्ची की हालत अधिक खराब हो गई। चिकित्सक ने बच्ची की हालत को देखते हुए हायर सेंटर रेफर कर दिया। बच्ची के पिता दशरथ ने चिकित्सक से कहा कि वे बच्ची को यहीं पर रखें क्योंकि उसके पास बच्ची के उपचार के लिए पैसे नहीं हैं। बच्ची के पिता ने फाइल पर यह बात लिखते हुए अपने हस्ताक्षर कर दिए। बच्ची पूरी रात ठीक रही लेकिन बताया जाता है कि सुबह करीब 11 बजे बच्ची की हालत अधिक खराब हो गई। एसएनसीयू में कार्यरत स्टाफ ने चिकित्सकों को जानकारी देने की बजाय परिजनों को बच्ची को ले जाने की बात कही। परिजनों ने फिर रुपये नहीं होने की बात दोहराई। करीब साढ़े 12 बजे बच्ची ने दम तोड़ दिया, लेकिन चार बजे तक चिकित्सक के अभाव में डेड ही घोषित नहीं किया गया। जब बच्ची की मौत हुए करीब दो घंटे बीत गए तो आपातकालीन विभाग में ड्यूटी पर तैनात चिकित्सक को फोन पर जानकारी उपलब्ध करवाई गई। तब तक बच्ची की लापरवाही के चलते मौत हो चुकी थी। सूचना पर डॉ. धर्मेश सैनी अस्पताल पहुंचे व ड्यूटी चार्ट चेक किया। ड्यूटी चार्ट में न तो सुबह व न ही शाम के समय की चिकित्सक की ड्यूटी लगाई हुई थी। इसके साथ न ही किसी चिकित्सक की फोन काल तक पर भी ड्यूटी नहीं थी। एसएमओ डॉ. धर्मेश सैनी ने ड्यूटीचार्ट देखा तो उस पर न तो किसी अधिकारी हस्ताक्षर थे न ही किसी की ड्यूटी।

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डीजी हेल्थ तक लिखा जा चुका है पत्र:

अस्पताल के विश्वसनीय सूत्रों की माने तो एसएनसीयू में चिकित्सकों की लापरवाही का पत्र स्वास्थ्य महानिदेशक तक को तीन दिन पहले पत्र लिखा गया है। चिकित्सक डीजी हेल्थ को लिखे गए पत्र तक की बात को नहीं मान रहे व लापरवाही पर लापरवाही करते हुए नजर आ रहे है जोकि नवजात बच्चों पर भारी पड़ रही है। छुट्टी के दिन या किसी प्रकार घटना होने के बाद एमएस डॉ. लव कुमार तो कभी भी फोन ही नहीं उठाते हैं। घटना के बाद हर बार जांच करने की बात कहते हुए मामले को रफा-दफा कर देते हैं।


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