खत्म कर दी गई है बुर्जी और सेहदा
1962 में चकबंदी के समय हर 5 एकड़ एवं 10 एकड़ पर स्थापित किए गए लाल पत्थर दो गांवों की सीमा पर स्थापित बुर्जी तीन गांवों की सीमा पर स्थापित सेहदा धीरे-धीरे किसानों ने खत्म कर दिया।
संवाद सहयोगी, कनीना: 1962 में चकबंदी के समय हर 5 एकड़ एवं 10 एकड़ पर स्थापित किए गए लाल पत्थर, दो गांवों की सीमा पर स्थापित बुर्जी, तीन गांवों की सीमा पर स्थापित सेहदा धीरे-धीरे किसानों ने खत्म कर दिया। अब जब पैमाइश होती है तो इनके अभाव में भारी परेशानी उठानी पड़ती है। कभी-कभी तो दो गांवों की सीमा विवाद के चलते धरती को खोदना पड़ता है और बनाई गई बुर्जी को देखना होता है।
चकबंदी के समय में पूर्व से पश्चिम दिशा में हर 5 एकड़ पर तथा उत्तर से दक्षिण पर दिशा में 10 एकड़ पर लाल पत्थर नाम से पत्थर गाड़े गए थे। गहराई तक गाड़े गये ये पत्थर आज भी वैसे के वैसे मिल सकते हैं। किसानों ने उनको इसलिए तोड़ डाला, क्योंकि वे हल चलाने में या ट्रैक्टर द्वारा जुताई करने में समस्या बन रहे थे। परंतु जब भी पैमाइश की जाती है तीन लाल पत्थरों का ही सहारा लिया जाता है। यदि इन पत्थरों की दूरी में कहीं फर्क भी पाया जाता है तो उसे किले से काट दिया जाता है। ये चकबंदी की बेहतरीन व्यवस्था थी। जब पैमाइश की गई, खेत का रास्ता छोड़ा गया था। बहुत ही सूझबूझ से काम लिया गया था।
दो गांव की सीमा पर बुर्जी स्थापित की जाती थी और जो गहराई पर स्थापित की जाती थी। कच्चा कोयला भरकर चूना से बनाई जाती थी। ऊपर लाल पत्थर या बुर्जी बनाई जाती थी, ताकि दूर से दिखाई दे कि यह दो गांव की सीमा है और उन सीमाओं पर दोनों गांव के लोग पेड़ पौधे लगाते थे। विवाह-शादी के समय भी इन सीमाओं पर रस्म अदा की जाती थी।
तीन गांव की सीमा हो वहां पेयजल सप्लाई टैंक जैसा सेहदा बनाया जाता था। यह भी 6-7 फुट गहराई तक गाड़ा जाता था। दूर से दिखाई देता था कि यहां 3 गांवों की सीमा लगती है।
बाक्स
क्या कहते हैं उमेद सिंह जाखड़ पटवारी
उमेद सिंह जाखड़ पटवारी का कहना है कि बुर्जी, सेहदा,लाल पत्थर चकबंदी की निशानी ही नहीं भविष्य में की जाने वाली पैमाइश का आधार होती है। इनके साथ छेड़छाड़ करना अपराध है। यदि इनके साथ कोई छेड़छाड़ करता है तो उसकी एफआइआर दर्ज कराई जा सकती है। नियम अनुसार ऐसे व्यक्ति को सजा का प्रावधान है।
बाक्स------
कौन-कौन सी सीमाएं लगती हैं
कनीना की कुल 2383 हेक्टेयर भूमि है जिसके चारों ओर कोटिया, करीरा, भड़फ, उन्हाणी, चेलावास, ककराला, गाहडा आदि गांवों की सीमाएं लगती हैं। लगभग सारे पत्थर और बुर्जी सेहदा आदि तोड़ दिए हैं या भूमि में दबे हुए हैं। जब कभी गांवों की सीमा का विवाद हो जाता है तो बुर्जी को भूमि से खोदकर ढूंढ़ा जाता है। परंतु ऐसा भी होता है कि कई बार ये नहीं मिलती।