सक्षम प्रयासों की बूंदों से भरने लगा घड़ा, 708 घरों में पहुंचा पानी
विजय मिश्रा, नारनौल जिले में सक्षम युवाओं व जल एवं स्वच्छता सहायक संगठन के सक्षम प्रयासों की ब
विजय मिश्रा, नारनौल
जिले में सक्षम युवाओं व जल एवं स्वच्छता सहायक संगठन के सक्षम प्रयासों की बूंदों से पानी की बूंद-बूंद की कीमत समझी जाने लगी है। जल संरक्षण के विषय में समय रहते सचेत होने के संबंध में किए गए सार्थक प्रयासों का ही सकारात्मक परिणाम है कि इस साल के दो महीने में ही जिले के 708 घरों में पानी पहुंचने लगा है।
गर्मी की दस्तक के पहले ही बूंद-बूंद पानी के लिए मोहताज होकर इधर-उधर भटकने को मजबूर इन घरों के सदस्यों को भी अब पानी का महत्व समझ आ गया है। पाताल में खिसकते जा रहे पानी के कारण भयावह होती स्थिति को लेकर सक्षम युवाओं की टीम द्वारा किए जा रहे सतत प्रयास महेंद्रगढ़ जिले के लिए किसी वरदान से कम नहीं है।
दरअसल, जिले में पानी की बर्बादी को रोकने का यह बीड़ा उठाया जनस्वास्थ्य विभाग के जल एवं स्वच्छता सहायक संगठन के तहत चयनित सक्षम युवाओं ने। युवा न केवल हर गांव और हर द्वार पर जाकर लोगों को पानी का महत्व बताने में जुटे हैं बल्कि बिना टोंटी के नलों, टूटी लाइनों को दुरुस्त कराने, अवैध कनेक्शनों को वैध कराकर अनावश्यक बर्बादी को रोकने में जुटे हैं। धरातलीय प्रयासों का ही नतीजा है कि 35 हजार एक सौ एक घरों का सर्वे किया जा चुका। इनमें से 11 हजार 821 नलों पर टोंटियां लगाकर हजारों लीटर पानी को बेकार बहने से बचाया। वहीं गंदी नाली में पड़े 1915 नलों को बाहर निकालकर अच्छे से स्टैंड पोस्ट किया गया। साध्य बेहतर देखकर ग्रामीण भी साधन के रूप में सक्षम युवाओं के साथ जुटे। जो ग्रामीण कल तक पानी की बर्बादी को लेकर उदासीन थे वे भी अब खुद पानी बचाने के तरीके बताकर एक दूसरे को जल संरक्षण के लिए प्रेरित करने में जुटे हैं। इसी का परिणाम है कि जिले के सात सौ आठ ऐसे घर जहां पानी की बूंद भी नहीं पहुंचती थी उन घरों को अब पर्याप्त पानी मिलने लगा है। सरकार के राजस्व में भी 57 लाख 24 हजार 3 सौ रुपये का इजाफा हुआ है। यह इस बात का भी साफ संकेत है कि जिला महेन्द्रगढ़ के लोग धीरे धीरे पानी की बर्बादी को रोकने में कामयाब हुए हैं। जागरूकता निरंतर बढ़ती जा रही है। कुल 15 टीमें घर-घर जाकर ग्रामीणों को जल की बर्बादी को रोकने के लिए जागरूक करने में जुटी हैं। जिले में कुल 370 गांव हैं। इनमें से सौ गांवों में जागरूकता का चरण पूरा किया जा चुका है। कहीं कहानी से प्रेरणा तो कहीं चेतावनी:
सक्षम युवाओं का ग्रामीणों का जागरूक करने का तरीका भी अनूठा है। जिला सलाहकार मंगतूराम सरसवा के मुताबिक कहीं एक था राजा एक थी रानी, दोनों मर गए खत्म कहानी को पानी से जोड़कर ग्रामीणों की हर एक बूंद का महत्व बताया जा रहा है तो कहीं पानी बर्बाद करने के आदी हो चुके ग्रामीणों को कानून का डर दिखाया जा रहा है। पंचायतें भी पूर्ण भागीदारी निभाने लगी है। इसी का सुखद परिणाम मिलने लगा है।